आज़मगढ उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। तमसा नदी के तट पर स्थित आजमगढ़ उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है। आजमगढ़ गंगा और घाघरा नदी के मध्य बसा हुआ है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। यह जिला मऊ, गोरखपुर, गाजीपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर और अम्बेडकर जिले की सीमा से लगा हुआ है। पर्यटन के लिहाज से महाराजगंज, मुबारकपुर, मेहनगर, भवरनाथ मंदिर और अवन्तिकापुरी आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। शाहजहां के शासन काल के एक शक्तिशाली जमींदार आजम खां ने 1665 ई. में आजमगढ़ की स्थापना की थी। इसी कारण इस जगह को आजमगढ़ के नाम से जाना जाता है। चीनी की मिलें और कपड़ों की बुनाई यहां के प्रमुख उद्योग हैं। दिल्ली से आज़मगढ़ की दूरी 819.9 किलोमीटर है।
अखिलेश यादव
सपा2019
रमाकांत यादव
बीजेपी2009
रमाकांत यादव
बीएसपी2004
रमा कांत यादव
सपा1999
अकबर अहमद डम्पी
बीएसपी1998
रमा कांत यादव
सपा1996
चंद्रजीत
जेडी1991
राम किशन
बीएसपी1989
सन्तोष कुमार सिंह
कांग्रेस1984
चंद्रजीत
जनता पार्टी एस1980
राम नरेश
बीएलडी1977
चंद्रजीत
कांग्रेस1971
सी जीत
कांग्रेस1967
राम हर्ख
कांग्रेस1962
कलिका
कांग्रेस1957
“प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„
अन्य बयान“मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„
अन्य बयान“हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„
अन्य बयान“आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„
अन्य बयान“जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„
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