पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों में शामिल महाराजगंज का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है। महाकाव्य काल में यह क्षेत्र करपथ के नाम से जाना जाता था, जो कोशल राज्य का एक अंग हुआ करता था। मान्यता है कि इस क्षेत्र पर राज करने वाले प्राचीनतम सम्राट इक्ष्वांकु थे, जिनकी राजधानी अयोध्या थी। अवध में नवाबी शासन की स्थापना के समय तक यहां पर वास्तविक प्रभुत्व राजपूत राजाओं के हाथों में था। आजादी के बाद लोकसभा में यहां का पहला प्रतिनिधित्व शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता शिब्बन लाल सक्सेना ने किया। वह संविधान सभा के सदस्य भी रहे। पंकज चौधरी भाजपा के टिकट से पांच बार सांसद रहे।
डेमोग्राफी, विधानसभा और मुद्दे
करीब 16 लाख वोटर वाले महराजगंज संसदीय क्षेत्र में कुर्मी वोटरों की संख्या करीब तीन लाख है। महराजगंज संसदीय सीट के अंतर्गत फरेंदा, नौतनवां, सिसवा, महाराजगंज और पनियरा विधान सभा क्षेत्र आते हैं। जिले की आबादी 26.8 लाख है। यहां की औसत साक्षरता दर 52.86% है जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 63.81% और महिलाओं की साक्षरता दर 41.25% है। स्थानीय मुद़दों में औद्योगिक विकास और मूलभूत संसाधनों की कमी है, विकास की धीमी गति और शिक्षा और बेरोजगारी है।
महाराजगंज की खास बातें
महाराजगंज, उत्तर प्रदेश लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। जिले का मुख्यालय महाराजगंज है। यह भारत-नेपाल सीमा के समीप स्थित है। पहले इस जगह को 'कारापथ' के नाम से जाना जाता था। यह जिला नेपाल के दक्षिण, गोरखपुर जिले के उत्तर, कुशीनगर जिले के पश्चिम सिद्धार्थ नगर के पूर्व और सन्त कबीर नगर जिले के उत्तर-पूर्व में स्थित है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण स्थल है। इटहिया शिव मंदिर, लेहदा मंदिर, देवी का मंदिर (लेहड़ा), महेशियन का विष्णु मंदिर, बोकरा देवी मंदिर, सोना देवी मंदिर, सोहागी बरवा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। दिल्ली से महारगंज की दूरी 857.8 किलोमीटर है।
पंकज चौधरी
बीजेपी2019
हर्ष वर्धन
कांग्रेस2009
पंकज
बीजेपी2004
अखिलेश सिंह
सपा1999
पंकज चौधरी
बीजेपी1998
पंकज चौधरी
बीजेपी1996
पंकज चौधरी
बीजेपी1991
हर्ष वर्धन
जेडी1989
जितेंद्र सिंह
कांग्रेस1984
अशफाक हुसैन
कांग्रेस1980
शिब्बन लाल सक्सेना
बीएलडी1977
सिब्बन लाल सक्सेना
निर्दलीय1971
एम प्रसाद
कांग्रेस1967
महादेव प्रसाद
कांग्रेस1962
“प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„
अन्य बयान“मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„
अन्य बयान“हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„
अन्य बयान“आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„
अन्य बयान“जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„
अन्य बयान