गंगा और रामगंगा नदी के बीच बसा बदायूं संसदीय क्षेत्र छोटे सरकार और बड़े सरकार की प्रसिद्ध दरगाह की वजह से पूरी दुनिया में जाना जाता है। यह क्षेत्र सपा का यह गढ़ माना जाता है, वजह वर्ष 1998 से लेकर आज तक इस सीट पर सपा का ही कब्जा है। अब तक यादव-मुस्लिम गठजोड़ की सियासत कारगर साबित होती रही है। सपा से लगातार चार बार सलीम इकबाल शेरवानी चुनाव जीते, जबकि पिछला दो चुनाव सपा के ही धर्मेंद्र यादव जीत चुके हैं। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का यहां के लोगों से व्यक्तिगत जुड़ाव रहा है। गंगा और रामगंगा की कटरी डाकुओं की शरणस्थली रही है, लेकिन अब डाकुओं का सफाया हो चुका है।
विधानसभा क्षेत्र
इस लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं। सदर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के महेश चंद्र गुप्ता विधायक हैं। बिल्सी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के आरके शर्मा विधायक हैं। बिसौली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के कुशाग्र सागर विधायक हैं। सहसवान विधानसभा क्षेत्र से सपा के प्रेमपाल सिंह यादव विधायक हैं। गुन्नौर विधानसभा से भाजपा से अजीत कुमार यादव विधायक हैं। अगर विधानसभा के नजर से देखें तो सपा का गढ़ होने के बावजूद भी पांच में से चार सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
बड़ी घटनाएं
पिछले पांच साल में यहां कई घटनाएं हुई हैं। शहर के मुहल्ला कटरा ब्राह्मपुर में 8 अप्रैल 2015 को चर्चित गुप्ता दंपती हत्याकांड हुआ। रिटायर्ड इंजीनियर बिजेंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी सन्नों को घर में ही मौत के घाट उतार दिया गया। इस मामले की सीबीआइ जांच कर रही है, लेकिन अभी तक खुलासा नहीं हो सका है। वर्ष 2013 में शहर के अल्फा खां सराय में दो बहनों समेत पिता की हत्या की गई थी, इस मामले में मृतक युवती से ट्यूटर के अवैध संबंध उजागर हुए थे। शहर में 20 अक्टूबर 2015 में चर्चित नईम हत्याकांड हुआ था, वह हिस्ट्रीशीटर था। इस घटना से शहर कानून व्यवस्था दांव पर लग गई थी। अक्टूबर 2018 सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के रसूलपुर में आतिशबाजी कारखाने में हुए विस्फोट में 8 लोगों की मौत हो गई थी।
विकास का हाल
विकास के मामले में यह क्षेत्र पिछड़ापन का शिकार है। दो साल पहले तक यह जिला बड़ी रेल लाइन तक से नहीं जुड़ा था। अब भी कहने को तो बड़ी रेलवे लाइन से जुड़ गया है, लेकिन बड़े शहरों के लिए ट्रेनों का संचालन ही शुरू नहीं हो सका है। गांवों में सड़कों के साथ विद्यालय खुलना शुरू हुए तो जीवन स्तर सुधरा है। हालांकि, अब भी जिले में उद्योगों का अभाव होने से रोजी-रोटी की तलाश में यहां के युवाओं को दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता है। गरीबों के आवास तो बनने शुरू हुए हैं, लेकिन अब भी लाखों परिवार गरीबी का दंश झेल रहे हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज, बरेली-बदायूं फोरलेन, शहर के बाहर बाइपास, बदायूं सिंचाई परियोजना, शहर में ओवरब्रिज निर्माण बड़ी उपलब्धि रही है। काशी की तर्ज पर यहां कछला गंगा घाट पर 11 वेदियों पर नियमित गंगा आरती की शुरूआत हुई है, इससे जिले की आबोहवा बदलनी शुरू हो गई है।
स्थानीय मुद्दे
खेती पर आधारित क्षेत्र में गन्ने की खेती बहुतायत में होती है। गन्ना किसानों का अब भी पिछले साल का करोड़ों रुपये चीनी मिलों पर बकाया है। किसान संगठन इस मुद्दे को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे हैं। बड़ी रेलवे लाइन से जुड़ने के बाद भी यहां से बड़े शहरों के लिए ट्रेनों की कमी भी चुनावी मुद्दा बनेगा। सिंचाई और बाढ़ की दोहरी समस्या से निदान के लिए शुरू हुई बदायूं सिंचाई परियोजना अभी अधूरी पड़ी है। राजकीय मेडिकल कॉलेज में ओपीडी तो शुरू हो गई, लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई और इमरजेंसी अभी तक शुरू न हो पाने से जनता में आक्रोश है।
बदायूं की खास बातें
बदायूं, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर और लोकसभा क्षेत्र है। यह गंगा नदी के किनारे बसा है। 11वीं शती के एक अभिलेख में इस नगर का तत्कालीन नाम वोदामयूता कहा गया है। बदायूं के स्मारकों में जामा मस्जिद भारत की मध्य युगीन इमारतों में शायद सबसे विशाल है। इसे इल्तुतमिश ने बसाया था। बदायूंनी का मकबरा बदायूं का प्रसिद्ध स्मारक है। इसके अलावा इमादुल्मुल्क की दरगाह (पिसनहारी का गुम्बद) भी यहां की प्राचीन इमारतों में से एक है। लखनऊ से 291.9 किलोमीटर है वहीं दिल्ली से 286.1 किलोमीटर है।
श्रीमती संघ मित्र मौर्य
बीजेपी2019
धर्मेन्द्र यादव
सपा2009
सलीम इकबाल शेरवानी
सपा2004
सलीम इकबाल शेरवानी
सपा1999
सलीम इकबाल शेरवानी
सपा1998
सलीम इक़बाल शेरवानी
सपा1996
चिन्मयानंद
बीजेपी1991
शरद यादव
जेडी1989
सलीम इकबाल शेरवानी
कांग्रेस1984
मोहम्मद असरार अहमद
कांग्रेस1980
ओंकार सिंह
बीएलडी1977
करन सिंह यादव
कांग्रेस1971
ओ सिंह
बीजेएस1967
ओमकार सिंह
जेएसी1962
रघुबीर सहाय
कांग्रेस1957
“प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„
अन्य बयान“मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„
अन्य बयान“हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„
अन्य बयान“आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„
अन्य बयान“जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„
अन्य बयान