उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की राजनीति में गोरखपुर लोकसभा सीट की अहम भूमिका है। यह विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस, गुरु गोरखनाथ मंदिर, गीता वाटिका, टेराकोटा शिल्प के लिए मशहूर तो है ही, मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली, फिराक गोरखपुरी, पं: रामप्रसाद बिस्मिल की शहादत स्थली है। लोकसभा हो अथवा विधान सभा चुनाव, पिछले तीन-चार दशकों से यहाँ का गोरखनाथ मठ इसकी धुरी बना हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहनगर भी गोरखपुर ही है, जो अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए फिर 1998 से लगातार 2017 तक लोकसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। हालांकि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में यहां भारी उलटफेर देखने को मिला और सपा प्रत्याशी के रूप में प्रवीण निषाद ने बीजेपी प्रत्याशी को चुनावी शिकस्त दी। अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों और एक उपचुनाव में बीजेपी ने सात बार, कांग्रेस ने छह बार, निर्दलीय ने दो बार, हिंदू महासभा ने एक बार और भारतीय लोकदल ने एक बार जीत दर्ज की है।
विधानसभा क्षेत्र, स्थानीय मुद्दे और विकास की स्थिति
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की कैम्पियरगंज, पिपराईच, गोरखपुर नगर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा शामिल हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार गोरखपुर की औसत साक्षरता दर 60.81% है। योगी के सीएम बनने के बाद विकास संबंधी कार्यो में तेजी आई है। हाल के समय मे यहां एम्स, फर्टिलाइजर कारखाना निर्माण का कार्य जोरों पर है। स्थानीय मुद़दों में इंसेफ़लाइटिस बीमारी और बाढ़ प्रमुख रहते हैं।
गोरखपुर की खास बातें
गोरखपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रमुख सीट है, वर्तमान में यहां से प्रवीन कुमार निषाद सांसद हैं। जो उपचुनाव में जीते थे। प्रवीन निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद के पुत्र हैं। योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। गोरखपुर के अंतर्गत कैम्पियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहरी, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा विधानसभा सीट आती हैं। गोरपखुर राप्ती नदी के किनारे बसा है, इसकी लखनऊ से दूसरी 273 किलोमीटर है। शहर गोरखधाम मंदिर और धार्मिक ग्रंथों की गीताप्रेस के लिए प्रसिद्ध है।
रवि किशन
बीजेपी2019
योगी आदित्यनाथ
बीजेपी2009
आदित्य नाथ
बीजेपी2004
आदित्य नाथ
बीजेपी1999
आदित्यनाथ
बीजेपी1998
अवैद्यनाथ
बीजेपी1996
अवैद्य नाथ
बीजेपी1991
अवैद्यनाथ
एचएमएस1989
मदन पांडे
कांग्रेस1984
हरि केश बहादुर
कांग्रेस1980
हरिकेश बहादुर
बीएलडी1977
नरसिंह नारायण
कांग्रेस1971
डी वी नाथ
निर्दलीय1967
सिंहासन सिंह
कांग्रेस1962
सिंहासन सिंह
कांग्रेस1957
“प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„
अन्य बयान“मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„
अन्य बयान“हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„
अन्य बयान“आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„
अन्य बयान“जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„
अन्य बयान