कृषि कानूनों पर किसान नेताओं को उकसाने में जुटे विभिन्न दलों के नेता किस तरह घोर अवसरवादी और एक तरह से छल-कपट भरी राजनीति का परिचय दे रहे हैं, इसका पता खुद उनके उन पुराने बयानों से चलता है, जिनमें वे किसानों को बिचौलियों से मुक्त करने और उन्हें अपनी मर्जी से अपनी उपज बेचने की व्यवस्था करने की जरूरत जता रहे थे। गत दिवस भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल गांधी के उस वीडियो को सार्वजनिक किया, जिसमें वह लोकसभा में यह कहते हुए देखे-सुने जा सकते हैं कि किसानों को बिचौलियों से बचाने की जरूरत है। राहुल गांधी की तरह सोनिया गांधी का भी एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह एक सभा में किसानों के लिए बिचौलिया मुक्त बाजार की जरूरत पर बल देती हुई नजर आ रही हैं। यह हैरानी की बात है कि आज समूची कांग्रेस इन्हीं बिचौलियों की तरफदारी करने में लगी हुई है। वह ढिठाई के साथ इसकी भी अनदेखी कर रही है कि पिछले लोकसभा चुनाव के अवसर पर जारी अपने घोषणा पत्र में उसने उसी तरह के कानून बनाने का वचन दिया था, जैसे मोदी सरकार ने पिछले दिनों बनाए। केवल इतना ही नहीं, पंजाब विधानसभा चुनाव के अवसर पर भी कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में इसी तरह के कानून बनाने का वादा किया था। इसी तरह का वादा आम आदमी पार्टी ने भी किया था।

वास्तव में कृषि उपज की खरीद-बिक्री से बिचौलियों को दूर करने की वकालत अन्य अनेक दलों के नेता भी करते रहे हैं। इस आशय के प्रमाण भी उपलब्ध हैं। इनमें प्रमुख हैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार और उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले। एक सच यह भी है कि मंडी समितियों में बिचौलियों के वर्चस्व को खत्म करने की मांग अनेक किसान नेता भी करते रहे हैं। यह देखना दयनीय है कि इन किसान नेताओं में से कई अब किसान हित के नाम पर बिचौलियों के हित साधने में लगे हुए हैं। इनमें से कुछ तो वे भी हैं, जिन्होंने कुछ माह पहले संसद से पारित कृषि कानूनों की तारीफ करते हुए कहा था कि आखिरकार उनकी एक पुरानी मांग पूरी हुई। समझना कठिन है कि वे यकायक पलटी क्यों मार गए? चूंकि इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब सामने नहीं इसलिए इस नतीजे पर पहुंचने के अलावा और कोई उपाय नहीं कि वे अपने किन्हीं संकीर्ण हितों को पूरा करना चाह रहे हैं। इससे बुरी बात और कोई नहीं हो सकती कि किसान नेता ही किसानों के भविष्य से खिलवाड़ करें। दुर्भाग्य से यही काम कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल भी कर रहे हैं। वे ऐसा करके अपनी विश्वसनीयता को ही नष्ट कर रहे हैं।