उदयपुर में नुपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने वाले दर्जी कन्हैया लाल की जिस वीभत्स तरीके से गला काटकर हत्या कर दी गई, वह हैवानियत की पराकाष्ठा है। इस तरह की बर्बरता तो सीरिया और अफगानिस्तान में देखने को मिलती रही है। कन्हैया लाल को निर्ममता से मारने वालों का दुस्साहस इससे समझ आता है कि उन्होंने न केवल रोंगटे खड़े कर देने वाले अपने पैशाचिक कृत्य का वीडियो बनाया, बल्कि बाद में एक और वीडियो जारीकर अपनी करतूत को सही ठहराते हुए प्रधानमंत्री को भी धमकाया। ऐसा काम मजहबी उन्माद से भरा कोई खूंखार आतंकी ही कर सकता है।

कन्हैया लाल की दिल दहलाने वाली हत्या को आतंकी घटना के रूप में ही लिया जाना चाहिए। इस मामले में राजस्थान सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी सक्रिय होना चाहिए, ताकि देश में कहीं पर भी सांप्रदायिक तनाव न फैलने पाए। इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वहशी हत्यारों को जितनी जल्दी संभव हो, कठोरतम सजा दी जाए। यह सजा ऐसी हो, जो उन्माद से भरे उन सब तत्वों के लिए सबक बने, जो सिर तन से जुदा करने को अपना मजहबी कृत्य समझने लगे हैं।

उदयपुर की घिनौनी घटना यही बता रही है कि सिर तन से जुदा महज एक नारा भर नहीं, बल्कि कबीलाई युग वाली एक घृणित मानसिकता है। आज के युग में ऐसी बर्बर मानसिकता के लिए कोई जगह नहीं हो सकती। सभ्य समाज को खौफजदा करने वाली उदयपुर की घटना के लिए कहीं न कहीं वे सब भी जिम्मेदार हैं, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद साहब पर नुपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद सड़कों पर उतरकर सिर तन से जुदा करने के नारे के साथ उत्पात मचाया।

इस उत्पात का इसलिए कोई औचित्य नहीं था, क्योंकि नुपुर शर्मा ने अपने बयान को लेकर स्पष्टीकरण जारी करने के साथ माफी मांग ली थी और उन्हें भाजपा ने निलंबित भी कर दिया था। इसके अलावा पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर उनके खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी थी। उदयपुर की पाशविक घटना के बाद राजस्थान सरकार फिर से कठघरे में खड़ी दिखाई दे रही है। उसे इस पर सचमुच गंभीरता दिखानी होगी कि राज्य में बार-बार मजहबी उन्मादजनित घटनाएं क्यों हो रही हैं?

राजस्थान सरकार के साथ मुस्लिम समाज के मजहबी-सियासी नेतृत्व को भी चेतना होगा। उसे सभ्य समाज को शर्मिंदा करने वाली इस घटना की निंदा-भ‌र्त्सना करने के साथ उन कारणों की तह तक भी जाना होगा, जिनके चलते इस्लामिक स्टेट के आतंकियों जैसे खूंखार और जहरीले तत्व उनके बीच पनप रहे हैं। इन कारणों की पहचान करना ही पर्याप्त नहीं, उनका निवारण भी करना होगा।