बुजुर्गों और 45 साल से अधिक आयु के बीमार लोगों के टीकाकरण का अभियान शुरू होने के दो दिन के अंदर जिस तरह करीब 50 लाख लोगों ने टीका लगवाने के लिए पंजीकरण कराया, वह उत्साहजनक है। यह सकारात्मक प्रतिक्रिया यही बताती है कि टीके को लेकर जो हिचक थी, वह टूट रही है। नि:संदेह इसका एक बड़ा कारण प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों समेत अन्य प्रमुख लोगों की ओर से टीका लगवाना हो सकता है। नेताओं और अन्य हस्तियों की ओर से आगे आकर टीका लगवाने का यह सिलसिला कायम रहना चाहिए। इससे ही उस दुष्प्रचार का दमन भी होगा, जो संकीर्ण राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है। कम से कम सेहत के मामले में तो राजनीतिक क्षुद्रता का परिचय देने से बचा ही जाना चाहिए। इस क्षुद्रता के बीच इस पर गौर किया जाना चाहिए कि दूसरे चरण का टीकाकरण अभियान आगे बढ़ाकर भारत ने खुद की क्षमता को नए सिरे से स्थापित करने का काम किया है। उल्लेखनीय केवल यह नहीं कि भारत अपने बलबूते महामारी से निपटने में सक्षम साबित हो रहा है, बल्कि यह भी है कि वह दूसरे तमाम देशों के टीकाकरण में मददगार साबित हो रहा है। बात चाहे टीके को तैयार करने की हो या फिर उन्हें लगाने की, निजी क्षेत्र के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती।

यह समझने की जरूरत है कि जैसे कोरोना वायरस से उपजी महामारी से निपटने में निजी क्षेत्र का सहयोग कारगर साबित हो रहा है, वैसे ही अन्य क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान में भी इस क्षेत्र की भागीदारी बेहतर नतीजे दे सकती है। वैसे भी सब कुछ सरकार नहीं कर सकती। टीकाकरण के दूसरे चरण में निजी क्षेत्र का सहयोग लिया जाना वक्त की मांग और जरूरत थी। वास्तव में निजी क्षेत्र के सहयोग के बगैर टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करना संभव ही नहीं। चूंकि बड़ी संख्या में लोग टीका लगवाने के लिए आगे आ रहे हैं, इसलिए यह देखना होगा कि टीकाकरण की रफ्तार कैसे बढ़ाई जाए? यदि पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध हों तो फिर निजी क्षेत्र के और अस्पतालों को टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाए। इस दिशा में कदम बढ़ाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि टीके के लिए पंजीकरण कराने वालों की तुलना में कम संख्या में लोगों को टीका लग पा रहा है। टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि भारत एक विशाल आबादी वाला देश है और बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाकर ही कोरोना संकट को खत्म किया जा सकता है। लक्ष्य यह होना चाहिए कि जल्द से जल्द ऐसी स्थिति बने कि जो चाहे, वह टीका लगवाने में समर्थ रहे।