जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश देकर यही संकेत दिया कि राष्ट्रीय महत्व के इस मामले में वह तुरत-फुरत कोई फैसला करने नहीं जा रहा है। हालांकि याचिका दायर करने वालों ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिए जाने का विरोध किया, लेकिन वे इसकी अनदेखी कर गए कि अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ करीब एक दर्जन याचिकाएं दायर की गई हैैं और उनके जवाब तैयार करना आसान काम नहीं। इनमें कुछ याचिकाएं ऐसे लोगों की ओर से भी दायर की गई हैैं जिनका काम ही है किसी न किसी मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना।

सुप्रीम कोर्ट को इस याचिकाबाजी के खिलाफ कुछ कदम उठाने की जरूरत है। पता नहीं ऐसा कब होगा, लेकिन अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर से सुनवाई शुरू होने का मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस आपत्ति पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा कि तब तक तो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आ जाएंगे। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने इसके लिए 31 अक्टूबर की तिथि तय कर रखी है। स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया को रोकना आवश्यक नहीं समझ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी भी उल्लेखनीय है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और देश की सुरक्षा में संतुलन जरूरी है। इसमें संदेह नहीं कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, लेकिन इस हद तक नहीं कि देश की सुरक्षा की अनदेखी कर दी जाए। इससे इन्कार नहीं कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैैं, लेकिन इसका मकसद लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करना नहीं, बल्कि शांति एवं व्यवस्था सुनिश्चित करना है। इसे सुनिश्चित करने में इसीलिए बाधाएं आ रही हैं, क्योंकि कुछ लोग अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे तत्वों पर लगाम लगाना शासन का दायित्व है। इसी तरह उन तत्वों पर भी लगाम लगाना आवश्यक है जो न केवल अलगाववादियों और आतंकवादियों की भाषा बोलने में लगे हुए हैैं, बल्कि उनके हितैषी भी बने हुए हैैं।

यह विडंबना ही है कि यही लोग संविधान और मानवाधिकारों की दुहाई देने में लगे हुए हैं। ऐसे लोगों को बेनकाब करने और साथ ही उन पर अंकुश लगाने के ठोस उपाय किए जाने चाहिए। नि:संदेह ऐसा करते हुए यह भी देखा जाना चाहिए कि कश्मीर के उन इलाकों में सामान्य स्थिति कैसे बहाल हो जहां अराजक तत्व सक्रिय हैैं। बेहतर हो कि केंद्र सरकार 14 नवंबर तक यह काम कर ले।