पंजाब सरकार ने मनमानी करने वाले, बेलगाम अफसरों पर नकेल कसने की कवायद एक बार फिर शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री ने अफसरों को चेताया है कि अगर मंत्रियों के कार्यक्रमों का बायकाट किया तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता व मंत्री मदन मोहन मित्तल के एतराज के बाद मुख्यमंत्री को मजबूरी में ही सही लेकिन यह जरूरी एलान करना पड़ा है।

यह भाजपा के मंत्रियों व नेताओं में अकाली दल के प्रति बढ़ती तल्खी को कुछ कम करने की कवायद भी कही जा सकती है लेकिन इससे उन अफसरों पर दबाव तो बनेगा ही जो प्रोटोकॉल तक की अनदेखी कर मनमानी कर रहे थे और भाजपा व अकाली दल में रार का फायदा उठा रहे थे। दूसरा एलान ज्यादा महत्वपूर्ण है जिसमें सरकार ने सभी विभागों को उन अफसरों की सूची बनाने को कहा है जो जनता से सीधे जुड़े कार्यों का निष्पादन कर रहे हैं लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। यह काम विभागों के मुख्य सतर्कता अफसरों को करना होगा। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि जिन अफसरों की छवि खराब है उन्हें संवेदनशील व पब्लिक डीलिंग वाले पदों पर तैनाती हरगिज न दी जाए। इससे ऐसा लगता है कि सरकार भ्रष्ट अफसरों पर लगाम कसने का मन बना रही है।

सच तो यह है कि सरकारी विभागों में काम से आने वाली जनता कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों-अफसरों के कारण बेहद परेशान होती है। यदा कदा ऐसे मामले उजागर भी होते हैं लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। ज्यादातर लोग या तो कुछ बोलते ही नहीं या ऐसी परिस्थितियों से समझौता कर लेते हैं। सरकार को मालूम है कि भ्रष्टाचार के कारण अगर उसकी छवि खराब हुई तो आगामी चुनावों में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। लेकिन लाख टके का सवाल यही है कि जिन अफसरों को खुद नेता शह देते हैं उन पर लगाम क्या सरकार कस पाएगी? यह इससे साबित होता है कि सरकार ने इससे पूर्व भी विभागों में भ्रष्ट अफसरों की सूची बनाने के निर्देश जारी किए थे लेकिन उन पर अमल ही नहीं हुआ। यह यथास्थितिवाद घोर निराशाजनक है।

अगर अब भी सरकार के इन निर्देशों पर अमल नहीं हुआ तो यही साबित होगा कि सरकार की कथनी-करनी में अंतर है। भ्रष्ट अफसरों की सूचियां न बनीं और कार्रवाई न हुई तो सरकार की छवि बनने के बजाय और बिगड़ेगी। अगर अफसर भविष्य में भी, खासकर भाजपा मंत्रियों के कार्यक्रमों को गंभीरता से नहीं लेंगे तो गठबंधन सरकार के दोनों दलों में तल्खी और बढ़ने की भी आशंका है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि इन निर्देशों का सख्ती से पालन करवाया जाए।

(स्थानीय संपादकीय पंजाब)