अमृतसर के अदलीवाल गांव के निरंकारी भवन में सत्संग में लीन लोगों पर बम फेंकने की घटना आतंकी कारनामा ही जान पड़ती है। ऐसी घटनाएं वही तत्व अंजाम देते हैं जो निर्दोष-निहत्थे लोगों की जान लेकर आतंक और नफरत का माहौल पैदा करने का इरादा रखते हैं। चूंकि पंजाब में ऐसे तत्व रह-रह कर सिर उठाने की कोशिश करते रहे हैं इसलिए यह सर्वथा उचित है कि पंजाब पुलिस अदलीवाल गांव के निरंकारी भवन में अंजाम दी गई इस कायराना वारदात को आतंकी हमले के रूप में ले रही है।

पंजाब पुलिस और साथ ही राज्य सरकार को इसलिए कहीं अधिक सतर्कता बरतने और इस घटना की सघन जांच करने की जरूरत है, क्योंकि करीब 40 साल पहले इन्ही स्थितियों में आतंकवाद का उभार हुआ था। यह महज दुर्योग नहीं हो सकता कि तब भी निरंकारी निशाने पर थे और गत दिवस भी उन्हें ही आतंकित किया गया। यह भी किसी से छिपा नहीं कि पिछले कुछ समय से पंजाब के हालात खराब करने की कोशिश रह-रह कर होती रही है। इसी तरह ऐसे भी संकेत मिलते रहे हैं कि राज्य में खौफ और नफरत का माहौल पैदा करने वाले तत्व और उनके समर्थक देश के अंदर भी सक्रिय हैं और बाहर भी। चंद दिनों पहले ही सेना प्रमुख ने पंजाब में नए सिरे से आतंकवाद के उभार की कोशिशों पर देश का ध्यान आकृष्ट किया था। यदि उनके अंदेशे को गंभीरता से लिया गया होता तो शायद उस खौफनाक हमले को रोका जा सकता था जिसमें तीन लोगों की जान गई और करीब 20 लोग घायल हो गए।

आवश्यक केवल यह नहीं है कि निरंकारी भवन में आतंक के दिनों की याद दिलाने वाली घटना की चौतरफा निंदा हो। आवश्यक यह भी है कि उन लोगों की पहचान भी हो जो अमन-चैन के शत्रुओं को उकसाने का काम किया करते हैं। ऐसे लोगों में तथाकथित राजनेता भी शामिल हैं। पंजाब की जनता इससे अपरिचित नहीं हो सकती कि पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान किस तरह चुनावी लाभ लेने की कोशिश में खालिस्तानी तत्वों को हवा देने की कोशिश की गई। यह सबके सामने ही है कि इन चुनावों में कूदे एक नेता ने निरंकारियों पर हमले को लेकर कितना गैर जिम्मेदाराना बयान दिया। उन्होंने राज्य सरकार पर ही संदेह जता दिया।

गंभीर मामलों में बेतुके बयान केवल आग में घी डालने का ही काम नहीं करते, बल्कि समस्या के समाधान में बाधक भी बनते हैं। अपनी राजनीतिक या फिर सामाजिक जमीन मजबूत करने की कोशिश में पंजाब का माहौल खराब करने वाले लोगों के खिलाफ जितनी सख्ती राज्य सरकार को दिखाने की जरूरत है उतनी ही आम जनता को भी। उसे एक बार फिर वैसी ही एकजुटता दिखानी होगी जैसी उसने तब दिखाई थी जब पंजाब आतंकवाद से बुरी तरह झुलस रहा था।

पंजाब में अराजक-आतंकी तत्व और साथ ही उनके समर्थक-हितैषी सिर न उठाने पाएं, इसकी चिंता राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी करनी होगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि एक ओर जहां पाकिस्तान खालिस्तानी तत्वों को खाद-पानी देने में जुटा है वहीं दूसरी ओर कनाडा-अमेरिका के साथ कई यूरोपीय देशों में भी ऐसे तत्व फल-फूल रहे हैं।