सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस यानी सीडीएस के रूप में नियुक्ति करके एक और बड़े बदलाव की आधारशिला ही नहीं रखी गई, बल्कि एक जरूरी काम को उसके अंजाम तक भी पहुंचाया गया है। चूंकि सीडीएस का फैसला तीनों सेनाओं के हित में है इसलिए यह देशहित में एक बड़ा फैसला है। सीडीएस महज एक और पद का सृजन नहीं है। यह प्रतिरक्षा मोर्चे को और दुरूस्त करने का उपाय भी है। सैन्य मामलों के प्रमुख के रूप में सीडीएस की नियुक्ति कितनी अहम है, यह इससे समझा जा सकता है कि इस पद पर आसीन होने वाले केवल तीनों सेनाओं से संबंधित सभी मामलों के लिए रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के तौर पर ही काम नहीं करेंगे, बल्कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के सदस्य भी होंगे।

इस सबके बाद भी सीडीएस की नियुक्ति से तीनों सेनाओं के प्रमुखों के अधिकारों में कहीं कोई कटौती होने नहीं जा रही है। वे पहले की तरह रक्षा मंत्री को रिपोर्ट करते रहेंगे। सीडीएस सरीखे किसी पद की आवश्यकता एक लंबे अर्से और खासकर कारगिल संघर्ष के बाद से ही महसूस की जा रही थी, लेकिन इस आवश्यकता की पूर्ति अब जाकर हो सकी। कारगिल संघर्ष के बाद यह पाया गया था कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी के चलते सेना को कहीं अधिक नुकसान उठाना पड़ा। कारगिल संघर्ष के अलावा अन्य अवसरों पर भी तीनों सेनाओं में तालमेल की कमी दिखाई दी।

एक ऐसे समय जब रक्षा मोर्चे पर चुनौतियां बढ़ती जा रही हों तब सेनाओं में तालमेल की कमी के लिए कहीं कोई गुंजाइश नहीं रहने देनी चाहिए। सीडीएस की जरूरत केवल इसलिए नहीं थी कि सभी प्रमुख देशों ने यह पद बना रखा है, बल्कि इसलिए भी थी कि तीनों सेनाओं की समस्याओं का समाधान तेजी से करने का काम ऐसे किसी सैन्य अफसर के जरिये ही हो सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए सीडीएस की नियुक्ति से केवल सेनाओं के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को ही गति नहीं मिलेगी, बल्कि उनकी रक्षा आवश्यकताएं भी समय से पूरी होंगी।

यह भी उम्मीद की जाती है कि सेनाओं में जरूरी सुधार की प्रक्रिया तेज होगी। यह होनी भी चाहिए, क्योंकि आज के समय में सेनाओं का बड़ा होना उतना महत्वपूर्ण जितना कि उनका सक्षम होना। इस तरह की तमाम उम्मीदों के पूरा होने की संभावना के कारण ही सीडीएस के सृजन को एक संस्था के निर्माण के तौर पर देखा जा रहा है। यह अच्छा है कि हर चुनौती का सामना करने और खरी बात कहने वाले बिपिन रावत इस संस्था को सुशोभित करने जा रहे हैं।