हरियाणा, जगदीश त्रिपाठी। पक्ष और विपक्ष में तकरार होती है। चलती ही रहती है। सरकार के बीच भी होती है। लेकिन सार्वजनिक रूप से नहीं। सरकार में शामिल मंत्रियों के बीच भीतर ही भीतर भले ही तकरार हो, लेकिन बाहर दोनों इकरार का इजहार करते ही नजर आते हैं। यह तब और जरूरी हो जाता है जब मंत्री अति वरिष्ठ की श्रेणी में आते हों और एक सरकार का नेतृत्व कर रहे दल का हो और दूसरा सहयोगी दल का मुखिया हो। उनके इकरार के इजहार से ही तो जनता में यह संदेश जाता है कि सरकार में सब ठीक चल रहा है। विपक्षी भी ज्यादा बवाल नहीं करते। उन्हें पता होता है कि दोनों दलों के बीच समन्वय है। पर हरियाणा में अभी ऐसा नहीं दिख रहा।

लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में करोड़ों का शराब घोटाला हुआ। इसकी जांच के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से विशेष जांच समिति गठित की गई। समिति अपना निष्कर्ष दे चुकी है और उसके निष्कर्ष पर गृह मंत्री अनिल विज और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के बीच मतभेद इस तरह बढ़ गए हैं कि दोनों की तकरार सार्वजनिक हो गई है। अब इसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी शामिल हो चुके हैं। कारण यह कि दुष्यंत ने जांच समिति के निष्कर्षो से असहमति जता दी थी। दूसरी तरफ विज सहमत थे। मुख्यमंत्री ने यह कह कर विज की बात पर मुहर लगा दी कि किसी की असहमति मायने नहीं रखती। सरकार नियमों के अनुसार चलेगी।

गृह विभाग समिति के निष्कर्षो पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय भेजेगा, फिर फैसला लिया जाएगा कि क्या कार्रवाई की जानी चाहिए। विज और दुष्यंत के बीच विवाद सामने आने के बाद मुख्य विरोधी दल कांग्रेस को सरकार को घेरने का अवसर मिल गया। वैसे जिस शराब घोटाले के लिए इस समिति का गठन किया गया था, वह लॉकडाउन की अवधि के दौरान का था। लेकिन जांच दो वर्ष पहले की अवधि से लेकर अब तक केंद्रित की गई। दो वर्ष पहले कैप्टन अभिमन्यु प्रदेश के वित्त एवं आबकारी मंत्री थे। इस बार वे चुनाव हार गए। नई सरकार जननायक जनता पार्टी के समर्थन से बनी और उसके नेता दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री बने। इस बार आबकारी एवं कराधान उनके ही पास है।

कैप्टन अभिमन्यु रिश्ते में दुष्यंत चौटाला के मौसा लगते हैं। किंतु दोनों के बीच संबंध बहुत अच्छे नहीं। कारण यह कि दुष्यंत के चक्रव्यूह को न भेद पाने के कारण ही इस बार अभिमन्यु धराशायी हुए थे। बीते दो वर्षो पर जांच फोकस किए जाने से लोगों को यह भी लगा कि इस बहाने दुष्यंत और कैप्टन दोनों को घेरने का प्रयास है। हालांकि कैप्टन इस प्रकरण पर शांत हैं। दुष्यंत अपने विभाग को क्लीन चिट दे रहे हैं और इशारों में दोष पुलिस पर डाल रहे हैं तो विज अपने विभाग को पाकसाफ बता रहे हैं। रही बात कांग्रेस की तो वह सरकार में मची तकरार को चरम पर पहुंचते हुए देखने के लिए बेकरार है। आखिर जब भाजपा-जजपा में कुछ और होगा तभी तो उसके लिए कुछ संभावनाएं बनेंगी।

अभय दे रहे कांग्रेस को टेंशन: शराब घोटाले में कांग्रेस जहां भाजपा पर हमलावर है, वहीं इनेलो नेता ने कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप जड़ दिया है कि घोटाले के मुख्य आरोपित भूपेंद्र दहिया ने हुड्डा को 31 लाख रुपये चुनावी चंदा दिया था। ऐसा नहीं कि अभय घोटाले को लेकर भाजपा सरकार को क्लीन चिट दे रहे हैं। वह भाजपा को इस मुद्दे पर घेरते रहे हैं। लेकिन उनके इस आरोप से कांग्रेसी टेंशन में हैं। अब वे भाजपा पर आक्रमण करें या खुद का बचाव करें। सो, बचाव करने में लग गए हैं। अभय के बयान के बाद हुड्डा ने बयान दिया कि चंदे की रकम अभय ही लाए होंगे, मेरे पास तो कोई रकम नहीं पहुंची।

बुजुर्ग पिता की आंखों में दुख की सुनामी: फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत के बाद उनका परिवार सदमे में हैं। राजपूत की बहन रानी सिंह फरीदाबाद में रहती हैं। उनके पिता भी बेटी के पास ही आकर रह रहे हैं। रानी के पति ओपी सिंह हरियाणा के वरिष्ठ आइपीएस हैं और फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विश्वस्त हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल सुशांत के पिता को सांत्वना देने ओपी सिंह के घर पहुंच गए। उन्हें देखते ही सुशांत के पिता केके सिंह बिलख कर रोने लगे। मुख्यमंत्री ने उन्हें सांत्वना दी। वहां से लौटते समय उनके साथ चल रहे एक अधिकारी ने कहा कि त्रियाचरित्र आंखों में आंसू तो क्या सुनामी ला सकता है। फिर एक गजब की बात कही, सुनामी में पहला अक्षर टी होता है, जो साइलेंट होता है। त्रियाचरित्र में भी पहले अच्छर टी को साइलेंट कर पढ़ें तो सबकुछ स्पष्ट हो जाता है।

[प्रभारी, हरियाणा स्टेट डेस्क]