[ हृदय नारायण दीक्षित ]: भारत और नेपाल दो देश हैं, लेकिन संस्कृति एक है। दोनों की जीवन शैली एक। दोनों की आस्तिकता एक। उपास्य देवी-देवता एक। नेपाल के पशुपतिनाथ और काशी के शिव एक हैं। नेपाल की वागेश्वरी और भारत की विध्यांचल देवी या महाकाली एक ही हैं। नेपाल की 85 प्रतिशत जनसंख्या हिंदू है। भारत की भी स्थिति ऐसी ही है। दोनों देशों के हिंदू अयोध्या में जन्मे श्रीराम के प्रति गहन आस्था से भरे पूरे हैं। दोनों देशों का सांस्कृतिक प्रवाह एक है।

असली अयोध्या नेपाल में है: ओली के बयान से नेपाल और भारत के हिंदू आहत हैं 

सरहदें सांस्कृतिक प्रवाह नहीं रोक पातीं। भारत नेपाल की सीमाएं भी धार्मिक आस्तिकता और सांस्कृतिक आवाजाही नहीं रोक पाईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों देशों की आत्मीयता और सांस्कृतिक एकता के संवर्धन के लिए जब जनकपुर गए थे तब नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने उनके संग जनकपुर से अयोध्या के बीच सीधी बस सेवा का उद्घाटन किया था। अब इन्हीं ओली ने नेपाल के वीरगंज के पास ठोरी को श्रीराम जन्मभूमि बताते हुए कहा कि असली अयोध्या नेपाल में है। उनके बयान से नेपाल और भारत के हिंदू आहत हैं।

नेपाल के पूर्व पीएम बाबूराम भट्टाराई ने कहा- ओली के बयान ने सारी हदें पार कर दीं

भारत और नेपाल का जनमानस श्रीराम और अयोध्या के प्रति श्रद्धालु है। इस शरारतपूर्ण बयान पर स्वाभाविक ही तीखी प्रतिक्रियाएं हुई हैं। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने टिप्पणी की, ‘ओली के बयान ने सारी हदें पार की हैं। अब ओली से कलियुग की नई रामायण सुनने की उम्मीद करें।’ पूर्व विदेश मंत्री और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष कमल थापा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री से मूखर्तापूर्ण अपुष्ट टिप्पणी वांछनीय नहीं थी। प्रतीत होता है कि उनका ध्यान भारत के साथ संबंधों को सुधारने की जगह नष्ट करने पर केंद्रित है।’ यही सही जान पड़ता है। ओली अपनी विचारधारा के सूत्र माओत्से तुंग में खोजते हैं।

ओली ने मोदी के साथ दिखाई थी जनकपुर से अयोध्या के लिए सीधी बस सेवा को हरी झंडी

नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल का शासन है। इसी दल के वरिष्ठ नेता वामदेव गौतम ने कम्युनिस्ट विचार की संस्कृति विरोधी धारणा प्रकट करते हुए कहा कि किसी वास्तविक कम्युनिस्ट के लिए इससे फर्क नहीं पड़ता कि भगवान राम कहां पैदा हुए? श्रीराम को खारिज करना नेपाली कम्युनिस्टों का ताजा एजेंडा है। यही भारतीय कम्युनिस्टों का भी आधारभूत एजेंडा रहा है। प्रधानमंत्री ओली से पूछा जाना चाहिए कि असली अयोध्या नेपाल में ही है तो उन्होंने पीएम मोदी के साथ जनकपुर से अयोध्या के लिए सीधी बस सेवा को हरी झंडी क्यों दिखाई थी? क्या यह सेवा नकली अयोध्या के लिए थी? क्या ऐसा करने के पहले वह कथित असली अयोध्या के अस्तित्व से अनजान थे।

अयोध्या काव्य कल्पना नहीं है, इसका सुदीर्घ इतिहास है

अयोध्या काव्य कल्पना नहीं है। इसका सुदीर्घ इतिहास है। अथर्ववेद से लेकर वाल्मीकि, कंबन और पौराणिक साहित्य तक अयोध्या एक ऐतिहासिक नगरी है। यह इस्लामी हुकूमत के अभिलेखों में है और ब्रिटिश सत्ता के गजेटियर में भी है। नेपाल के लाखों श्रद्धालु अयोध्या आते हैं। ऐसे में एक प्रधानमंत्री के मन में अयोध्या को लेकर ऐसा खुराफाती विचार क्यों आया? क्या नेपाली प्रधानमंत्री कामरेडों को खुश करने और स्वयं को असली कम्युनिस्ट सिद्ध करने के लिए असली-नकली अयोध्या का विवाद खड़ा करना चाहते थे? उनका दांव तो उलटा पड़ा। नेपाल में ही इस पर खासी तीखी प्रतिक्रिया हुई। वहां के विदेश मंत्रालय को सफाई भी देनी पड़ी।

कम्युनिस्ट विशाल हिंदू मन की थाह लेने में असफल रहे चुनाव उन्हें धकियाते रहे, कांग्रेस से सटते रहे

भारत का कम्युनिस्ट आंदोलन भी संस्कृति को तहस-नहस करने का एजेंडा लेकर 1925 में शुरू हुआ था। वे रूसी क्रांति से प्रेरित होकर भारत में सर्वहारा क्रांति लाना चाहते थे। भारतीय संस्कृति वाम अभियान में बाधक थी। उन्होंने सांस्कृतिक प्रतीकों को निशाना बनाया। भारत के पास दुनिया का प्राचीनतम ज्ञान ऋग्वेद था। इसके रचनाकार आर्य थे। कम्युनिस्टों ने आर्यों को लुटेरा और हमलावर बताया। वैदिक संस्कृति और समाज को असभ्य सिद्ध करने के प्रयास किए। वे वैदिक संस्कृति से टकराकर औंधे मुंह गिरे। उन्होंने श्रीराम को निशाना बनाया। उन्हें काव्य कल्पना बताया। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की राष्ट्रीय अभिलाषा का परिहास किया। कुछेक ने तो श्रीराम और सीता को भाई-बहन बताया। वे विशाल हिंदू मन की थाह लेने में असफल रहे। चुनाव उन्हें धकियाते रहे। वे कांग्रेस से सटते रहे। नेपाली कम्युनिस्टों को भी तमाम वैचारिक सहूलियतें वामदल समर्थित मनमोहन सरकार के समय उपलब्ध हुईं।

जहां श्रीराम वहां वाम का क्या काम

नेपाल कम्युनिस्ट विचार के लिए स्वाभाविक भूमि नहीं है और न ही भारत। जहां श्रीराम वहां वाम का क्या काम? श्रीराम परिपूर्ण जीवन शैली के पर्याय हैं। नेपाल और भारत के संबंध प्राचीन इतिहास में भी हैं। सम्राट अशोक ने अपनी पुत्री के साथ नेपाल यात्रा की थी। ललित पाटन नगर का निर्माण अशोक ने कराया था। समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में नेपाल का विवरण है। यहां नेपाल का उल्लेख समुद्रगुप्त के करद (डोमीनियन) प्रकृति के राज्यों में किया गया है। नेपाल और भारत के मध्य राजकीय भौगोलिक सीमाएं महत्वपूर्ण नहीं थीं। वैचारिक आदान-प्रदान का माहौल था। नेपाल-भारत एक सांस्कृतिक इकाई थे और हैं।

भारत में कम्युनिस्ट विचार 1925 में आया, नेपाल में 1949 में आया

भारत में कम्युनिस्ट विचार 1925 में आया। नेपाल में 1949 में। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी 1962-63 में टूट गई। नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी भी टूटी। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी 1995 में टूट से बनी। इसर्ने ंहसा का मार्ग चुना। हजारों लोग मारे गए। भारत-भारतीय संस्कृति से इसकी खुन्नस की वजह यह है कि वाम के प्रसार में सांस्कृतिक प्रवाह मुख्य बाधा है।

श्रीराम देसी कम्युनिस्टों का भी निशाना रहे

श्रीराम देसी कम्युनिस्टों का भी निशाना रहे हैं। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन एक नवजागरण था। जाति-पंथ के आग्रह धाराशायी हो गए। मंदिर को लेकर मुकदमे चले। अदालती आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआइ) ने जन्मभूमि परिसर की खोदाई की। मंदिर के साक्ष्य मिले। वाम विचारकों ने एएसआइ पर भी आरोप लगाए। तथ्यहीन बाबरी मस्जिद की पैरवी और एएसआइ के निष्कर्षों पर हमला ध्यान देने योग्य है। सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई की। ऐतिहासिक तथ्य पुरातत्व और प्राक् इतिहास साक्ष्य बने।

अगले माह से होगी श्रीराम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण की शुरुआत

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्रमाणित हो गया है। अगले माह से श्रीराम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण की शुरुआत की घोषणा हो चुकी है। विश्वास है कि नेपाल के श्रद्धालु भी अयोध्या आएंगे। संस्कृति विरोधी वाम विचार का वायरस निष्प्रभावी है। जैसे नेपाल और भारत एक सांस्कृतिक इकाई हैं वैसे ही दोनों देशों के वामदल भी एक जैसी संस्कृति विरोधी धारणा से लैस हैं। नेपाल की जनता प्रबुद्ध है। वह भारत से आत्मीयता चाहती है। भारत की जनता नेपाल को प्रेम करती है। ओली का बयान वाम विचार की सोची समझी माओवादी रणनीति का प्रमाण है। ऐसे बयान संबंध बिगाड़ने वाले हैं।

( लेखक उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हैं )