[अनिल बलूनी] मई 2014 में जनता के आशीर्वाद और अथाह समर्थन से नरेन्द्र मोदी ने पूर्ण बहुमत के साथ जब देश की बागडोर संभाली, तब वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले तीन दशकों में पहले प्रधानमंत्री बने। यह केवल उनकी लोकप्रियता के आधार पर दिया गया जनादेश नहीं था, बल्कि यह कांग्रेस सरकार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, सुस्त आर्थिक विकास और वंशवादी सामंतवाद से निराश देश द्वारा भविष्य के भारत का निर्माण करने की आकांक्षाओं को पूरा करने वाले जन-नेता के लिए देश की जनता द्वारा दिया गया आशीर्वाद था। उनकी कार्यसंस्कृति और उनके निर्णायक फैसलों में हम इसकी अनुभूति कर सकते हैं कि किस तरह वह हर दिन अतीत की बेड़ियों को तोड़ते हुए देश को प्रगति के पथ पर गतिशील कर रहे हैं। मोदी सरकार में आर्थिक सुधार और बड़े फैसले लगातार हो रहे हैं। चाहे वह हाल ही में लाई गई नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना हो, जीएसटी का कार्यान्वयन हो, आइबीसी से जुड़े निर्णय हों, जैम (जन-धन, आधार, मोबाइल) का क्रियान्वयन हो या फिर कंपनी अधिनियम के तहत गैर-अपराधीकरण जैसे बड़े फैसले-ये निर्णय वह इसलिए ले पाए, क्योंकि जानते हैं कि ये देश के लिए सही फैसले हैं और इससे देश को दीर्घकालिक लाभ होगा। भारत के समृद्ध भविष्य के लिए उनकी राष्ट्रीय हित और दूरदर्शिता वाली सोच बड़ी समस्याओं से निपटने के उनके साहस को रेखांकित करती है। भारत के लिए उनका यह दृष्टिकोण आत्मनिर्भर भारत और वोकल फार लोकल जैसे कदमों में भी परिलक्षित होता है, जिसने मेक इन इंडिया की अपनी भव्य महत्वाकांक्षा से दुनिया को चकित कर दिया।

नरेन्द्र मोदी ने देश को विकास के पथ पर तेज गति से अग्रसर तो किया ही है, साथ ही उन्होंने विरासत में मिले दीर्घकालिक विवाद के मुद्दों का स्थायी समाधान निकाला। एक राष्ट्र, जो विरासत में मिलने वाली बड़ी समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढ़ पाता, वह कभी भी विकास नहीं कर सकता। श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण का निर्णय, जम्मू-कश्मीर का देश के साथ पूर्ण एकीकरण और ब्रू-रियांग, बोडो और कार्बी आंगलांग जैसे ऐतिहासिक शांति समझौते अपने आप में बड़ी उपलब्धियां हैं, जो उनकी इस इच्छा का प्रतीक है कि भले ही उन्हें कितना ही बड़ा जोखिम क्यों न उठाना पड़े, पर वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐसा राष्ट्र छोड़ कर जाना चाहते हैं, जहां विरासत में मिली देश को तोड़ने वाली कोई समस्या न हो और तेज विकास के लिए देश में सभी बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हो।

गुजरात का मुख्यमंत्री बनते ही नरेन्द्र मोदी के सामने एक ऐसा दुरूह कार्य था, जिसे करने की हिम्मत शायद ही कुछ लोगों में थी। गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भुज और कच्छ में राहत और पुनर्वास के कार्य शिथिल पड़ रहे थे और परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर राज्य में असंतोष फैल रहा था, लेकिन उन्होंने गंभीरता से इसे एक चुनौती के रूप में लेते हुए बड़े पैमाने पर आपदा प्रबंधन का कार्यक्रम तैयार किया जो गुजरात ही नहीं, देश का गौरव बन गया। यहां तक कि इस आपदा प्रबंधन की योजना से दूसरे राज्यों ने भी सीख ली और इसके आधार पर भविष्य की आपदा प्रबंधन की नीतियां तय कीं। हालांकि यह सिर्फ शुरुआत थी, क्योंकि उन्होंने अगले 12 वर्षो तक एक अविस्मरणीय लक्ष्य की दिशा में काम किया, जिसका एक ही मकसद और उद्देश्य था-गुजरात को अनुसरण और प्रतिस्पर्धा के लिए योग्य राज्य के रूप में स्थापित करना। गुजरात के बिजली क्षेत्र में सुधार, विशेष रूप से फीडर सेपरेशन प्रोग्राम को तब तक असंभव माना जाता रहा, जब तक कि यह एक वास्तविकता नहीं बन गया। इस योजना ने राज्य में सभी के लिए 24 घंटे बिजली की अबाध आपूíत सुनिश्चित की। सुजलाम सुफलाम कार्यक्रम ने राज्य के लिए वाटर ग्रिड की आधारशिला रखी। सरदार सरोवर परियोजना को पूरा किया गया और सरदार वल्लभ भाई पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा-स्टैच्यू आफ यूनिटी का निर्माण कराया गया। इन सभी परियोजनाओं को शुरू करने और इनके पूरा होने की उम्मीद किसी ने भी नहीं की थी, पर बड़े सपने देखने और इसे जमीन पर उतारने की नरेन्द्र मोदी जी की यह चाहत ही है कि उन्होंने हर बार असंभव को संभव कर दिखाया।

इसी तरह व्यापारियों के राज्य के रूप में पहचाने जाने वाले गुजरात को उन्होंने उद्योगों वाले राज्य के रूप में स्थापित किया और प्रदेश को एक प्रमुख निजी निवेश गंतव्य के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध किया। नरेन्द्र मोदी की एक प्रमुख एवं प्रभावशाली विशेषता यह भी रही कि उन्होंने अधिकारियों को अन्य राज्यों से भी अच्छे कार्यो को सीखने के लिए प्रेरित किया। साधारणत: संकीर्ण मानसिकता वाले लोगों के लिए दूसरों से सीखना असंभव होता है, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि गुजरात सरकार के अधिकारी हर जगह से सीखें और अपने राज्य के लाभ के लिए इसे तदनुसार अमल में लाएं। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं, जो उनके कामकाज की इनोवेटिव कार्यशैली को दर्शाते हैं। 130 करोड़ भारतीयों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म अथवा क्षेत्र से हों, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी की कार्यसंस्कृति में सबके लिए बेहतर जीवन जीने हेतु इनोवेटिव योजनाओं के लक्ष्य को अविलंब पूरा करने की ललक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। वह पूरी शिद्दत से सबका सर्वागीण विकास चाहते हैं। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोई भी यह महसूस कर सकता है कि एक मजबूत और समृद्ध नए भारत की नींव तेजी से रखी जा रही है, जिसका सकारात्मक प्रभाव आने वाली पीढ़ियां सदियों तक महसूस करेंगी।

(लेखक राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख हैं)