बरसात में भले ही अभी एक माह से ज्यादा का वक्त है, लेकिन बारिश अभी से पहाड़ों की परीक्षा लेने लगी है। उत्तराखंड के मौसम में आए बदलाव से आम आदमी हैरत में हैं तो कुछ सहमा हुआ भी। बारह वर्ष बाद बदरीनाथ धाम में मई में हुई बर्फबारी को एक सुखद संकेत कहा जा सकता है। वर्ष 2006 के बाद पहली बार धाम में इस माह बर्फ गिरी है। केदारनाथ में तो मई में हिमपात आश्चर्य में नहीं डालता, लेकिन बदरीनाथ में यह संयोग लंबे समय बाद बना है। संयोग सिर्फ इतना ही नहीं है, कुछ दिनों पहले तक इस बार रिकार्ड गरमी की बात की जा रही थी, लेकिन मौसम की उलटबांसियां देखिए, मई में बारिश का दौर चल रहा है। बीते एक सप्ताह से पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार वर्षा से दुश्वारियां भी बढ़ी हैं। कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले के कुछ क्षेत्रों में तो आपदा जैसे दृश्य भी देखने को मिल रहे हैं। मसलन रविवार को हुई बारिश के बाद एक प्राथमिक विद्यालय और दस मकानों में मलबा घुस गया। ओलावृष्टि से किसानों की नींद उड़ी हुई है। कृषि और उद्यान विभाग के सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 25 फीसद फसल को इससे नुकसान की आशंका है।

बात सिर्फ फसलों के नुकसान की ही नहीं है, आंधी के कारण कुमाऊं में चार लोग जान भी गंवा चुके हैं। आने वाले तीन दिनों के लिए चेतावनी जारी की गई है। इस दौरान ओले तो पड़ेंगे ही, 70-80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा भी चलेगी। मौसम विज्ञानियों की मानें तो यह बदलाव हवा की दिशा में आए बदलाव का नतीजा है। आमतौर पर इन दिनों दक्षिण-पूर्वी हवाओं के कारण प्रदेश में मौसम शुष्क रहता है, लेकिन इस बार हवा उत्तर-पश्चिम से चल रही है। इस हवा से मानसून की सक्रियता जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं। दरअसल, जून 2013 में केदारनाथ जैसी आपदा ङोल चुके उत्तराखंड के लोगों के लिए मौसम में आया छोटे से छोटा बदलाव भी भय पैदा कर देता है। बेशक समय के साथ जख्म भरने लगे हों, लेकिन टीस बार-बार उठती रहती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रकृति के तेवरों पर अंकुश लगाना मुमकिन नहीं है, लेकिन वक्त पर एहतियाती कदम उठाकर नुकसान तो कम किया ही जा सकता है। चार धाम यात्र चरम पर है। ऐसे में सरकार का दायित्व है कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी जाए। तैयारी चाहे संसाधन जुटाने की हो या अफसरों की सतर्कता की, इसमें किसी भी तरह की ढील नहीं दी जानी चाहिए। केदारनाथ आपदा का सबक भी यही है।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]