मेट्रो में तकनीकी खराबी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह यकीनन एक गंभीर चिंता का विषय है। आए दिन खराबी आने के कारण किसी न किसी रूट पर मेट्रो खड़ी हो जाती है। इससे जहां पूरे रूट पर परिचालन बाधित होता है, वहीं यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। विगत रविवार को स्थिति इस कदर गंभीर हो गई कि ओवर हेड इक्विपमेंट (ओएचई) वायर में खराबी आने के कारण दिलशाद गार्डन से रिठाला की ओर जा रही मेट्रो बीच रास्ते में खड़ी हो गई। मेट्रो काफी देर तक रुकी रही और एक कोच के एसी ने भी काम करना बंद कर दिया, जिसके कारण यात्रियों में घबराहट और बेचैनी शुरू हो गई और एक महिला यात्री बेहोश हो गई। यह सही है कि क्विक रिस्पांस टीम व सीआइएसएफ के जवानों ने इमरजेंसी गेट खोलकर यात्रियों को निकाला और महिला यात्री को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन मेट्रो का बीच में रुक जाना दर्शाता है कि दिल्ली मेट्रो में सबकुछ ठीक नहीं है। एक के बाद एक लगातार हो रही तकनीकी खामियां यह संकेत देती हैं कि करीब 15 साल पूर्व राजधानी में शुरू हुई मेट्रो सेवा के सुचारु परिचालन के लिए इसके रखरखाव को लेकर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। मेट्रो न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में लाखों यात्रियों को प्रतिदिन तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा उपलब्ध कराती है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण घटाने में भी काफी हद तक सहायक साबित हुई है। यही नहीं, यातायात जाम से परेशान दिल्ली में मेट्रो ने सड़कों से वाहनों का दबाव कम करने में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। ऐसे में यह आवश्यक है कि दिल्ली मेट्रो की तकनीकी खामियां दूर करने के लिए मेट्रो प्रबंधन जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाए। इसके लिए मेट्रो प्रबंधन को सभी लाइनों पर ओएचई वायर समेत अन्य संभावित गड़बडिय़ों के लिए सर्वे कराना चाहिए। साथ ही पुराने हो चुके ओएचई वायर व अन्य संभावित गड़बडिय़ों वाली तकनीकी चीजों को बदला या दुरुस्त किया जाना चाहिए, ताकि यात्रियों को कोई परेशानी न होने पाए।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]