पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पुलिस के लिए एक व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम तैयार किए जाने की जानकारी देते हुए जनसंख्या के अनुपात में पुलिस बल की उपलब्धता की कमी को दूर करने का जो आश्वासन दिया, उसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने की आवश्यकता है। यह आवश्यकता इसलिए और अधिक बढ़ गई है, क्योंकि एक तो पुलिस बल संसाधनों के साथ संख्याबल के अभाव का सामना कर रहा है और दूसरे, पुलिस सुधार का काम भी लक्ष्य से पीछे चल रहा है। चूंकि पुलिस राज्य सरकारों का विषय है और यह किसी से छिपा नहीं कि उनकी पुलिस सुधार में कोई खास दिलचस्पी नहीं, इसलिए केंद्र सरकार को ही पहल करनी होगी। यह पहल ऐसी होनी चाहिए जो जल्द अंजाम तक पहुंचे।

पुलिस को आधुनिक संसाधनों और आवश्यक तकनीक से लैस करने के साथ ही उसकी कार्य प्रणाली में परिवर्तन लाने की बातें एक लंबे अर्से से हो तो रही हैं, लेकिन उन पर अमल का काम धीमी गति से ही हो रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के लिए यह अनिवार्य है कि वह शिथिलता के इस दुष्चक्र को तोड़े और ऐसे उपाय करे, जिससे राज्य सरकारें पुलिस सुधार के साथ उसके आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में आनाकानी न करने पाएं।

पुलिस को सक्षम बनाने का काम इसलिए तेजी के साथ किया जाना चाहिए, क्योंकि उसके दायित्वों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। उसे सामान्य अपराधों के साथ साइबर अपराध और सोशल मीडिया के जरिये नफरत फैलाने वाले तत्वों पर भी ध्यान देना पड़ रहा है और प्रतिरोध के बहाने अराजकता फैलाने वालों पर भी। जब पुलिस की चुनौतियां तेजी के साथ बढ़ती जा रही हों तब फिर इसका कोई औचित्य नहीं कि राज्य सरकारें पुलिस को लेकर पहले जैसा सुस्त रवैया अपनाए रहें। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि राज्य सरकारें पुलिस का मनचाहा इस्तेमाल करने के लिए ही उसमें सुधार के लिए सक्रिय नहीं हो रही हैं। 

यह किसी से छिपा नहीं कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से पुलिस सुधार संबंधी जो दिशानिर्देश दिए गए थे, उनकी किस तरह अनदेखी की गई। यह भी एक तथ्य है कि सुप्रीम कोर्ट को पुलिस के रिक्त पदों की भर्तियां करने के लिए भी विभिन्न राज्यों को बार-बार निर्देश देने पड़े। केंद्रीय गृह मंत्रालय के लिए जितना जरूरी यह सुनिश्चित करना है कि पुलिस के आधुनिकीकरण और उसमें सुधार का काम तेजी से आगे बढ़े, उतना ही यह भी कि भारतीय दंड संहिता एवं आपराधिक प्रक्रिया संहिता में आवश्यक बदलाव यथाशीघ्र हों। यह ठीक है कि यह काम एजेंडे में है, लेकिन उसे आगे बढ़ाने की जरूरत बढ़ती जा रही है।