कश्मीर में बीते तीन दिनों में आतंकियों ने दो युवकों की जिस तरह गला रेतकर हत्या कर दी उससे यही पता चल रहा है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद कितने घिनौने और खौफनाक दौर में पहुंच गया है। ये हत्याएं यह भी बयान करती हैैं कि आतंकवाद आखिरकार किस तरह उन लोगों की ही जान का दुश्मन बनता है जिनके कथित हित की लड़ाई लड़ने का दावा करता है। कहना कठिन है कि वहशी तरीके से की गई इन हत्याओं के बाद उन कश्मीरियों की आंखें खुलती हैैं या नहीं जो आतंकियों के न केवल हमदर्द हैैं, बल्कि उनके पक्ष में पत्थरबाजी भी करते रहते हैैं?

आतंकियों ने मुखबिरी के शक में जिन युवकों को वीभत्स तरीके से मारा उनमें से एक 18 साल का 11 वीं का छात्र था। पाकिस्तान में पल रहे आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के एक गुर्गे ने उसकी हत्या को यह कहकर जायज ठहराया कि वह पुलिस को सूचनाएं दे रहा था। उसने इस छात्र की बर्बर तरीके से की गई हत्या का वीडियो भी जारी किया। ऐसा करके उसने यही जाहिर किया कि उसे कश्मीर की तथाकथित आजादी के नाम पर मासूम कश्मीरियों का कत्ल करने में संकोच नहीं। कश्मीर अभी शोपियां में इस छात्र की वहशी तरीके से की गई हत्या से उबरा भी नहीं था कि आतंकियों ने कुलगाम में 19 साल के एक युवक को गला रेतकर मार डाला।

माना जा रहा है कि उसकी हत्या मुखबिरी के संदेह में हिजबुल और लश्कर के आतंकियों ने मिलकर की। इस युवक को मारने के साथ ही आतंकियों ने कुछ और युवकों का अपहरण भी किया है। इससे कश्मीर में हड़कंप मचना स्वाभाविक है, क्योंकि ये हत्याएं दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन आइएस की तर्ज पर की गई हैैं। क्या अब भी इसमें कोई संदेह है कि आजादी की लड़ाई के बहाने कश्मीर को बर्बरता और बर्बादी की ओर धकेला जा रहा है। यह काम पाकिस्तान कर रहा है। वह शायद इससे बौखलाया है कि तमाम विरोध के बावजूद कश्मीर में स्थानीय निकायों के चुनाव हो रहे हैैं।

इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि बहिष्कार की अपील और धमकियों के बाद भी गत दिवस कश्मीर में पंचायत चुनावों के पहले चरण में करीब 65 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान का ऐसा प्रतिशत आतंकियों के साथ ही पाकिस्तान को यही सीधा संदेश दे रहा है कि उसका खूनी खेल आम कश्मीरियों को समझ आने लगा है। मुश्किल यह है कि इस बात को न तो चीन समझ रहा है और न ही अमेरिका कि पाकिस्तान किस तरह अपने साथ अपने आस-पास के क्षेत्र को तबाही की ओर ले जा रहा है।

अगर चीन सब कुछ जानते हुए भी पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कृत करने में लगा हुआ है तो अमेरिका उसके खिलाफ दिखावटी कार्रवाई करके उससे सौदेबाजी करने की कोशिश में है। विडंबना यह है कि यही वे देश हैैं जो दक्षिण एशिया में शांति और विकास की पैरवी करने के साथ यदा-कदा यह भी कहते रहते हैैं कि भारत को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। यह आतंकवाद को पालने-पोसने वाले देश की अनदेखी के अलावा और कुछ नहीं।