कश्मीर में बीते तीन दिनों में तीन गैर कश्मीरियों की जिस तरह चुन-चुन कर हत्या की गई उससे यही स्पष्ट हो रहा है कि घाटी में छिपे आतंकी दहशत फैलाने में तुल गए हैं। इस दहशतगर्दी का सिर कुचला ही जाना चाहिए और वह भी आनन-फानन। आतंकियों ने जिन्हें अपना निशाना बनाया उनमें एक ट्रक ड्राइवर था, एक सेब व्यापारी और एक ईंट भट्ठे में काम करने वाला मजदूर। आतंकियों ने खास तौर पर सेब की खेप लाने गए लोगों को जिस तरह निशाना बनाया उसका मतलब यही है कि वे नहीं चाहते कि घाटी में सेब उगाने वाले किसानों का भला हो। ये तीन हत्याएं कश्मीरियत को कलंकित करने के साथ ही यह भी बताती हैं कि कश्मीर में पाकिस्तान की शह पर सक्रिय आतंकी किस तरह कश्मीरियों के लिए ही खतरा बन गए हैं। तीन निर्दोष-निहत्थे लोगों की हत्या के बाद कश्मीर में काम-धंधे के लिए गए अन्य लोगों में दहशत होना स्वाभाविक है।

यदि उन्हें सुरक्षा का भरोसा नहीं दिलाया गया तो वे कश्मीर छोड़ने को मजबूर हो सकते हैं। इससे सबसे अधिक अहित कश्मीर के लोगों का ही होगा। नि:संदेह एक ओर जहां यह जरूरी है कि पुलिस एवं सुरक्षा बल काम-धंधे की वजह से कश्मीर गए बाहरी लोगों का निशाना बना रहे आतंकियों का सफाया करें वहीं यह भी आवश्यक है कि आम कश्मीरी जनता आतंकी तत्वों के खिलाफ खुलकर खड़ी हो। आम कश्मीरी जनता पाकिस्तान परस्त कायर आतंकियों और साथ ही उनके खुले-छिपे समर्थकों के खिलाफ मुखर हो, इसकी कोशिश सुरक्षा बलों के साथसाथ कश्मीर के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों को भी करनी चाहिए। ऐसा करके ही कश्मीरियत को जीवित किया जा सकता है।

यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि गैर कश्मीरी लोगों को मारने वाले आतंकियों ने प्रतिबंधों में ढील का फायदा उठाया है। वे ऐसा कैसे कर पा रहे हैं, इसकी न केवल तह तक जाना होगा, बल्कि आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ सख्ती का भी परिचय देना होगा। ऐसा करते हुए यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आतंक के समर्थक मानवाधिकारों की फर्जी आड़ न लेने पाएं। सरकार और सुरक्षा बल इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की बात करने वाले कई ऐसे तत्व सक्रिय हैं जो वास्तव में अलगाव और आतंक के पिट्ठू हैं। यही तत्व कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार करने में लगे हुए हैं। उनकी ढिठाई का पता इससे चलता है कि वे खूंखार आतंकियों को भी आम कश्मीरी नागरिक की संज्ञा देने से बाज नहीं आते। यह जरूरी है कि भारत सरकार सोशल मीडिया से लेकर पश्चिमी मीडिया में सक्रिय ऐसे तत्वों को बेनकाब करने का काम करे।