चीनी सेना ने लद्दाख की गलवन घाटी में धोखे से भारतीय सैनिकों को जिस तरह निशाना बनाया उसके बाद चीन से रिश्ते सामान्य बने रहने का कोई कारण नहीं रह जाता। चीन ने अपनी हरकत से भारत के भरोसे को तोड़ने के साथ ही दशकों पुराने संबंधों में जहर घोलने का काम किया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि उसने ऐसा जानबूझकर किया है ताकि आर्थिक-व्यापारिक मामलों में भारत को दबाव में लेने के साथ ही देश-दुनिया का ध्यान कोरोना वायरस से उपजी महामारी से हटा सके। यह अच्छा हुआ कि चीन की धोखेबाजी पर भारतीय प्रधानमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि भारतीय सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और देश की अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा हर हाल में होगी।

चीन को जवाब देने के अलावा अब और कोई उपाय नहीं, क्योंकि उसने अपनी हरकत से खुद को भारत का शत्रु साबित किया है। चीन के शत्रुतापूर्ण व्यवहार की झलक उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के उस बयान से मिली जिसमें उसने गलवन घाटी पर दावा जताते हुए कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन तो भारतीय सेना ने किया है। यह चोरी और सीनाजोरी है। जिस गलवन घाटी का कोई चीनी नाम तक नहीं उस पर वह अपना दावा कर रहा है। वह ऐसे थोथे दावे करने में माहिर है।

चीन पहले दूसरे देशों की जमीन पर छल-कपट से कब्जा जमाता है और फिर शांति की बातें करने का ढोंग करता है। भारतीय विदेश मंत्री ने उसके ढोंग की पोल खोलते हुए यह सही कहा कि गलवन में जो कुछ हुआ उसके लिए सिर्फ वही जिम्मेदार है। चूंकि चीन अपनी तानाशाही का भोंडा प्रदर्शन करते हुए अन्य पड़ोसी देशों को भी तंग करने में लगा हुआ है इसलिए भारत को उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय होने के साथ ही उससे पीड़ित देशों के साथ भी खड़ा होना होगा। चीन को यह बताने की सख्त जरूरत है कि वह अपनी शर्तों पर रिश्ते कायम नहीं कर सकता। 

यदि वह गलवन घाटी से पीछे नहीं हटता तो फिर भारत को उसके खिलाफ अपने सारे मोर्चे खोलने में देर नहीं करनी चाहिए। उसे वहां चोट पहुंचाई जानी चाहिए जहां सबसे ज्यादा असर हो। अब इसका कोई औचित्य नहीं कि चीनी कंपनियां भारत में विभिन्न परियोजनाओं के ठेके हासिल करें। चीन के इस मुगालते को भी दूर करना होगा कि उसके बगैर भारत का काम नहीं चल सकता। नि:संदेह चीन से आर्थिक-व्यापारिक दूरी बनाने से कुछ कठिनाई आएगी, लेकिन उसका सामना करने की सामर्थ्य जुटाना ही आज की सबसे बड़ी मांग है। इस मांग को पूरी करने के लिए देश की जनता को भी प्राणप्रण से जुटना होगा।