कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने सेहत के साथ-साथ जिस तरह अर्थव्यवस्था के लिए भी गंभीर संकट पैदा कर दिया है, वह एक तरह से दोहरी मुसीबत है। सरकार को लोगों की सेहत के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को संभालने की भी चिंता करनी पड़ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का दुष्प्रभाव तभी पड़ना शुरू हो गया था, जब उसका संक्रमण चीन में ही कहर बरपाए हुए था। चीन में सारी आर्थिक गतिविधियां ठप होने के कारण वहां से कच्चे माल और उपकरणों की आपूर्ति थम जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष जो संकट पैदा हुआ था वह अब इसलिए और बढ़ गया है, क्योंकि देश में इस वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। इसके चलते तमाम आर्थिक एवं व्यापारिक गतिविधियां सुस्त पड़ती जा रही हैं।

फौरी तौर पर भले ही एयरलाइंस, होटल और पर्यटन उद्योग प्रभावित होता हुआ दिख रहा हो, लेकिन यह लगभग तय है कि आने वाले समय में कुछ और सेक्टर संकट से घिर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि कोरोना वायरस के संक्रमण ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। इसी कारण दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट का सिलसिला कायम है।

नि:संदेह कच्चे तेल के दामों में कमी भारत के लिए एक राहत की बात अवश्य है, लेकिन फिलहाल इसका आकलन करना कठिन है कि इससे आर्थिक सुस्ती के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में कितनी मदद मिलेगी? वित्त मंत्रालय को न केवल इसके लिए सक्रिय होना होगा कि कोरोना वायरस से उपजा संकट अर्थव्यवस्था को कम से कम नुकसान पहुंचाए, बल्कि यह भी देखना होगा कि आर्थिक- व्यापारिक गतिविधियों को आवश्यक प्रोत्साहन मिलता रहे। वित्त मंत्रालय के साथ-साथ रिजर्व बैंक को भी सक्रिय होना होगा। इस सबके बीच केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए भी कमर कसनी होगी कि न तो आवश्यक वस्तुओं की कमी होने पाए और न ही उनके दाम बढ़ने पाएं। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि दुनिया के कुछ देशों में ऐसा होने लगा है। चूंकि अब यह कोई पहेली नहीं कि अर्थव्यवस्था कुछ समय के लिए संकट से घिरेगी ही इसलिए उससे जल्द से जल्द उबरने की रणनीति बननी चाहिए।

अर्थव्यवस्था के संकट को दूर करने के लिए दूसरे देशों से भी संवाद-संपर्क तेज किया जाना चाहिए ताकि एक-दूसरे की सहायता करते हुए मुसीबत को कम किया जा सके। इसी के साथ संकट में छिपे अवसरों की भी पहचान की जानी चाहिए। ध्यान रहे हर संकट कुछ अवसर भी लेकर आता है। इसी तरह हर संकट कुछ सबक भी सिखाता है। एक सबक तो यही है कि चीन सरीखे देशों पर एक सीमा तक ही निर्भर रहा जाना चाहिए।