किन्नरों ने रविवार रात गोरखधाम एक्सप्रेस में यात्रियों से न केवल मारपीट की, बल्कि लूटपाट भी की। इसके बाद चेन पुलिंग कर फरार हो गए। मारपीट में घायल दो यात्रियों का टूंडला रेलवे स्टेशन पर प्राथमिक उपचार कराया गया। मामले में जीआरपी का कहना है कि यात्रियों का किन्नरों से कुछ विवाद हो गया था। दो यात्री मामूली घायल हो गए थे। ट्रेनों में ऐसी घटनाएं आम हैं। रेलवे के लगभग सभी रूटों पर किन्नरों का आतंक है। नेग मांगने के नाम पर यात्रियों से जबरन वसूली की जाती है। पैसे न देने वाले या कम पैसे देने वाले यात्रियों से बदसलूकी करते हैं, जो कभी कभी मारपीट में बदल जाती है।

चूंकि ये किन्नर स्थानीय होते हैं और संगठित गिरोह के रूप में काम करते हैं, रेल सुरक्षा तंत्र भी लगभग इन्हीं के पक्ष में खड़ा रहता है, लिहाजा ये यात्रियों पर भारी पड़ते हैं। इस मामले में भी यही हुआ। पीड़ित यात्रियों ने दस रुपये दिए जो उन्हें मंजूर नहीं था। मनचाहा नेग लेने के लिए मारपीट पर उतर आए। रेल सुरक्षा कर्मियों को उनके बारे में जानकारी न हो ऐसा नहीं हो सकता। बावजूद इसके उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। लीपापोती करने के लिए यह तक कह दिया कि किन्नर की चूड़ी लगने से दो यात्री मामूली घायल हो गए थे। यात्रियों ने कोई लिखित शिकायत नहीं दी, यह अलग बात है, पर सवाल है कि क्या चेन पुलिंग अपराध नहीं है। किन्नर चेन पुलिंग कर भागे, जीआरपी ने आखिर इसके लिए क्या कार्रवाई की, जिन्हें सुरक्षा के लिए लगाया गया है, वही आंख मूंद लें तो इसका मतलब स्पष्ट है। रेलवे का दावा है कि उसके लिए यात्रियों की सुरक्षा सवरेपरि है। ऐसे में उसे इस दावे पर खरा उतरने का भी प्रयास करना चाहिए। यह तभी हो सकता है जब सुरक्षित रेल संचालन सुनिश्चित करने के अलावा यात्रियों के सुरक्षित, भयरहित और आरामदेह सफर पर भी ध्यान दिया जाए। इसके लिए सभी विभागों की सुनिश्चित जिम्मेदारी के प्रभावी अनुपालन का भी कोई मजबूत तंत्र उसे विकसित करना होगा। अन्यथा उसके दावे खोखले ही साबित होते रहेंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]