औद्योगिक पूंजी निवेश के मोर्चे पर लंबी मायूसी के बाद उम्मीद की कई किरणों दिखने से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूरे सरकारी तंत्र और सूबे के आम-ओ-खास लोगों का प्रसन्न होना लाजिमी है। नई सूचना है कि प्रतिष्ठित कृषि यंत्र निर्माता कंपनियों ने बिहार में पूंजी निवेश के प्रति सकारात्मक रुख दर्शाया है। स्वाभाविक रूप से राज्य सरकार ने इन कंपनियों को भरोसा दिलाया है कि इस कृषि प्रधान राज्य में उन्हें पूंजी निवेश के लिए हर संभव सहूलियत मुहैया कराई जाएगी। कंपनियों का भी उत्साह स्वाभाविक है क्योंकि उन्हें सहूलियतों के साथ बिहार में संभावनापूर्ण स्थानीय कृषि यंत्र बाजार भी मिलेगा। देश के कुल कृषि यंत्र बाजार में बिहार की हिस्सेदारी करीब 10 फीसद है। शासन से अपेक्षा है कि इस दिशा में लगातार सक्रिय रहे ताकि प्रक्रिया संबंधी अड़चनों की वजह से निवेशकों को कठिनाई न हो। इससे पहले पंजाब के गारमेंट कारोबारी और कई अन्य सेक्टर बिहार में निवेश के प्रति सकारात्मकता दिखा चुके हैं।

राज्य में औद्योगिक निवेश के लंबे शून्य के बाद निवेशकों का बदला रुख स्पष्ट करता है कि नीतीश सरकार द्वारा राज्य की छवि बदलने के प्रयास सटीक साबित हुए हैं। राज्य सरकार को यह कवायद न सिर्फ जारी रखनी होगी बल्कि इसे लगातार गति भी देनी होगी। जगजाहिर है कि बिहार के प्रति निवेशकों की अरुचि का सबसे बड़ा कारण कानून व्यवस्था रही है। नक्सलियों और स्थानीय दबंगों द्वारा कारोबारियों से रंगदारी वसूली के लिए धमकी, च्हसा, आगजनी, संपत्ति को क्षति, अपहरण और हत्या जैसी घटनाओं के बाद औद्योगिक मानचित्र से बिहार का नाम लुप्त हो गया था। सरकार को राज्य में बेहतरीन औद्योगिक माहौल बनाने की चुनौती स्वीकार करनी होगी। कानून व्यवस्था का मोर्चा दुरुस्त रखना होगा। कोई निवेशक अपनी पूंजी, मान-सम्मान, सुख-शांति और जीवन की कीमत पर निवेश नहीं करना चाहता। सरकार को निवेशकों को 100 फीसद सुरक्षा की गारंटी देनी होगी। इसके अलावा सिंगल विंडो सिस्टम, अबाध बिजली आपूर्ति, परिवहन सुविधाएं और शासन की सकारात्मक कार्यशैली आवश्यक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह साल औद्योगिक पूंजी निवेश के नजरिए से ह्यमील का पत्थरह्ण साबित होगा।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]