डॉ. वंदना सेन। वर्तमान विश्व में ज्ञान-विज्ञान के संबंध में कहीं जाने वाली बहुत सी बातें ऐसी हैं, जिनके बारे में भारत में युगों पूर्व कहा जा चुका है। भारत में ज्ञान और विज्ञान की पराकाष्ठा थी, लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि हम विदेशी चमक के मोहजाल में फंसकर अपने ज्ञान को संरक्षित नहीं कर सके। भारत की भूमि से विश्व को एक परिवार मानने का संदेश प्रवाहित होता रहा है, आज भी हो रहा है। यह अकाट्य सत्य है कि विश्व को शांति के मार्ग पर ले जाने का ज्ञान और दर्शन भारत के पास है। योग विधा ऐसी शक्ति है जिसके माध्यम से दुनिया को स्वस्थ और मजबूती प्रदान की जा सकती है।

हमारे मनीषियों ने बहुत पहले ही विश्व को स्वस्थ और मजबूत बनाने का संदेश दिया है। वर्तमान में भारतीय योग ने एक बार फिर अपनी महत्ता साबित की है और देश-समाज को कई गंभीर बीमारियों से बचाव करने में कामयाबी हासिल की है। दुनिया भर में योग कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में भाग लेने वाले लोगों के मन में योग के बारे में अनुराग पैदा होना यह प्रमाणित करता है कि अब विश्व एक ऐसे मार्ग पर कदम बढ़ा चुका है, जिसका संबंध सीधे तौर पर व्यक्तिगत स्वास्थ्य से है।

दुनिया के अनेक देश इस सत्य से भली-भांति परिचित हो चुके हैं कि योग जीवन संचालन की एक ऐसी शक्ति है, जिसके सहारे तनाव मुक्त जीवन की कल्पना की जा सकती है। हम जानते हैं कि विश्व के कई देशों में जिस प्रकार का विचार प्रवाह है, उससे जीवन की अशांति का परिवेश तैयार हो रहा है और अनेक लोग इसकी गिरफ्त में आते जा रहे हैं। हम यह भी जानते हैं कि वर्तमान में हमारी जीवनशैली में व्यापक परिवर्तन आया है, जो मानसिक अशांति का कारण बन रहा है। इसके चलते व्यक्ति अवसाद के घेरे में आ रहा है। कुछ भी खाना भोजन का पर्याय नहीं माना जा सकता। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के लिए सात्विक आहार प्राथमिक है। भारतीय भोजन एक प्रकार से योग का ही एक हिस्सा है, जिसे आज विश्व स्वीकार कर रहा है।

आज पूरी दुनिया में योग के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदला है। योग से प्रतिदिन लाखों लोग जुड़ रहे हैं। इसे वैश्विक समर्थन भी मिल रहा है। कोरोना की लड़ाई भारत जिस तरीके से लड़ रहा है, वह शक्ति संपन्न देशों को अचंभित कर रहा है। भारत के दर्शन में एक ठोस बात यह भी है कि भारत में हमेशा सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया वाला भाव ही रहा है। जो भी देश भारत के इस दर्शन से तालमेल रखता हुआ दिखाई देता है, वह कभी दूसरे का अहित सोच भी नहीं सकता। जबकि विश्व के अनेक देश केवल स्वयं का ही हित सबसे ऊपर रखकर दूसरों के हितों पर चोट करते हैं। आतंक फैलाकर अपना वर्चस्व स्थापित करने वाला समाज मारकाट करने की मानसिकता के साथ जी रहा है।

आज पैसे के पीछे भाग रहा पूरा विश्व तनाव भरा जीवन जी रहा है। इस तनाव से मुक्ति पाने का एक ही मार्ग है योग को अपनाया जाए। जिसने अपने जीवन में योग को महत्व दिया है, वह इस तनाव से छुटकारा पाने में सफल रहा है। हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि आध्यात्मिकता और ध्यान योग के मामले में हम विश्व के सभी देशों से बहुत आगे हैं। इस बारे में दुनिया का ज्ञान भारत के समक्ष अधूरा ही है। हम योग के माध्यम से एक बार फिर से आदर्श स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए यह समय अनुकूल है। भारत की इस शक्ति का प्रस्फुटन हो चुका है। अब जरूरत इस बात की है कि हम सभी सरकार के साथ सहयोग का भाव अपनाकर अपना कार्य संपादित करें।

(लेखिका सहायक प्राध्यापक हैं)