[संजू वर्मा]। चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही ने आर्थिक मोर्चे पर कई अच्छे संकेत दिए। इस दौरान ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के शुद्ध लाभ में 23.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं कोलगेट के मुनाफे में 26.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ। दिग्गज सीमेंट कंपनियों में शामिल एसीसी के परिचालन लाभ में 20.47 प्रतिशत की तेजी आई, तो अल्ट्राटेक ने 113 प्रतिशत का लाभ दर्ज किया। इसी तरह कोविड महामारी और लॉकडाउन की मुश्किलों से उबरते हुए आइसीआइसीआइ बैंक के शुद्ध लाभ में छह गुना तेजी आई, जबकि निजी क्षेत्र में देश के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक के शुद्ध लाभ में 18.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। तमाम अनिश्चितताओं के बीच ये आंकड़े यही दर्शाते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विगत तीन महीनों से अर्थव्यवस्था वापस गति पकड़ रही है। भारत का कोविड रिकवरी रेट करीब 94 प्रतिशत है, जो फिलहाल दुनिया में सबसे अधिक है। वहीं कोरोना से होने वाली मृत्यु दर 1.47 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे कम है।

आर्थिक मोर्चे पर कंपनियों के आंकड़े ही नहीं, बल्कि अन्य संकेतक भी अच्छी स्थिति दिखा रहे हैं। जैसे औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आइआइपी सितंबर में 0.2 प्रतिशत ऊपर चढ़ा और इसमें छह महीनों से चली आ रही गिरावट का सिलसिला थमा। यह कहना अनुचित होगा कि यह अच्छा प्रदर्शन महज अनुकूल बेस इफेक्ट या यकायक उत्पन्न हुई मांग का परिणाम है। इस साल दीवाली पर भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर रिकॉर्ड 72,000 करोड़ रुपये की बिक्री हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.8 प्रतिशत अधिक रही। कोरोना के बावजूद इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच देश में 35.73 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ। इसमें सालाना 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। यह दर्शाता है कि विदेशी निवेशक लगातार भारत में निवेश कर रहे हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कृषि एवं श्रम सुधारों में अपना भरोसा जताया है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी 572.771 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर है।

इस वर्ष नवरात्र में मारुति ने 95,000 कारों की बिक्री की

समग्र मांग में हो रहा सुधार बनावटी नहीं, बल्कि वास्तविक है। आंकड़े खुद इसकी गवाही दे रहे हैं। जैसे मारुति सुजुकी ने अक्टबूर में 1.82 लाख कारें बेचीं। उसकी बिक्री में करीब 19 प्रतिशत की तेजी आई। इस वर्ष नवरात्र में मारुति ने 95,000 कारों की बिक्री की, जबकि पिछले वर्ष नवरात्र में उसकी 65,000 कारें बिकी थीं। वहीं हुंडई की क्रेटा और आइ20 जैसी कारों के लिए तो ग्राहकों को दो से चार महीने इंतजार करना पड़ रहा है। दोपहिया वाहन निर्माता हीरो मोटो कॉर्प ने अक्टबूर में 8.06 लाख मोटरसाइकिलें बेचीं। उसकी वार्षिक बिक्री में 35 प्रतिशत की तेजी आई। इतना ही नहीं अक्टूबर में ट्रैक्टरों की बिक्री ने लगातार दूसरे महीने एक लाख का आंकड़ा पार किया। अक्टूबर में कुल 1,15,155 ट्रैक्टर बिके।

आर्थिक मोर्चे पर हो रहे सुधार में ग्रामीण भारत अहम भूमिका निभा रहा है, जिसे खरीफ की बंपर फसल और पीएम-किसान निधि जैसी योजनाओं से बहुत लाभ पहुंचा है। पीएम किसान योजना की शुरुआत से अब तक 75,000 करोड़ रुपये की राशि किसानों को दी जा चुकी है। इसके अतिरिक्त गेहूं की फसल के लिए मोदी सरकार द्वारा 42 लाख किसानों को 73,500 करोड़ रुपये का भुगतान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की मद में किया जा चुका है, जो इसका सुबूत है कि एमएसपी को लेकर विपक्ष के आरोप झूठे और आधारहीन हैं। 

सेवा क्षेत्र में भी दिख रहा प्रत्यक्ष सुधार 

हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुके सेवा क्षेत्र में भी सुधार प्रत्यक्ष दिख रहा है। सितंबर में सेवा क्षेत्र का मुख्य सूचकांक 49.8 के स्तर पर आ गया, जो अप्रैल में 5.4 के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था। वहीं मैन्यूफैक्र्चंरग पीएमआइ भी अक्टूबर में 58.9 के स्तर पर पहुंच गया, जो वर्ष 2008 के बाद से उसका सबसे ऊंचा स्तर है। इस बीच मोदी सरकार कई अहम कदम भी उठा रही है। जैसे प्रमुख विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए हाल में पेश की गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम, जो भारत को वैश्विक निर्यात का गढ़ बनाने का माद्दा रखती है। केवल मोबाइल फोन श्रेणी में ही अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले पांच वर्षों के दौरान देश में 10 लाख करोड़ रुपये के मोबाइल फोन बनने लगेंगे, जिनमें से 60 प्रतिशत निर्यात किए जाएंगे।

 13 अक्टूबर तक माल ढुलाई भी 18 फीसद बढ़ी 

निश्चित है कि आगे अर्थव्यवस्था में और सुधार ही आएगा। अक्टूबर में 1.05 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह इसका सुबूत है। 13 अक्टूबर तक माल ढुलाई भी 18 फीसद बढ़ी है। अक्टूबर के पहले पखवाड़े में देश का बिजली उपभोग भी 11.45 प्रतिशत बढ़ा, जिसमें तेजी औद्योगिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों के बढ़ने से ही आई। अक्टूबर में भीम यूपीआइ ट्रांजेक्शन में 80 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी दर्ज हुई। ट्रांजेक्शन वैल्यू भी 1.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.86 लाख करोड़ रुपये रही। वहीं अगस्त में ईपीएफओ के समक्ष 8.8 लाख नामांकन के मुकाबले सितंबर में 14.9 लाख नामांकन दर्शाते हैं कि संगठित क्षेत्र में लगातार रोजगार विस्तार जारी है।

पीएम मोदी ने 29.88 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय प्रोत्साहन है दिया 

कोविड महामारी के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पीएम मोदी ने 29.88 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय प्रोत्साहन दिया है। यह भारत की जीडीपी के 15 फीसद के बराबर है। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत पिछले नौ महीनों से हर माह 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। यानी हर महीने भारत सरकार ने अमेरिका की आबादी से दोगुने लोगों को भोजन कराया।

स्पष्ट है कि आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी के अद्भुत और अनथक प्रयास अब असर दिखाने लगे हैं। यही कारण है कि अगले वित्त वर्ष के लिए जहां आइएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान व्यक्त किया है, वहीं गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक यह 13 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इन अनुमानों का यही सार है कि अब भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनेगा।

 

(लेखिका अर्थशास्त्री और भाजपा की प्रवक्ता हैं)

(लेखक के निजी विचार हैं)