[ संतोष त्रिवेदी ]: देवलोक और असुरलोक के सभी निवासी बड़ी चिंता में थे। ‘देवासुर संग्राम’ हुए बहुत दिन हो गए थे। दोनों लोकों से किसी भी तरह के अप्रिय समाचार की कोई सूचना नहीं थी। देवर्षि नारद मन में यह विचार करने लगे कि आगे चलकर कहीं यह ‘शांति’ बड़ा खतरा न बन जाए। सृष्टि की बुनियाद भी हिल सकती है। उधर भूलोक में बड़े पैमाने पर ‘खेला’ हो रहा है और इधर हमसे छोटा-मोटा ‘संग्राम’ भी ‘मैनेज’ नहीं हो पा रहा है। इससे बड़ा गलत संदेश जा रहा है।

न्यूज-चैनल’ नाम के नए हथियारों ने ड्रॉइंग-रूम को ‘युद्ध-भूमि’ में बदल दिया

नारद जी की यह चिंता लगातार बढ़ती जा रही थी। अंतत: उन्होंने निश्चय किया कि उनकी वास्तविक भूमिका निभाने का अवसर आ गया है। वह तुरंत देवलोक के लिए चल पड़े। नारद जी को अचानक देखकर देवेंद्र के मन में तनिक खटका हुआ। मुनिवर से आने का प्रयोजन पूछा। नारद जी बेहद चिंतित स्वर में बोले, ‘भूलोक से बहुत डराने वाली खबरें आ रही हैं। जबसे ‘देवासुर संग्राम’ ठहर गया है, मनुष्यों ने नए नायक और खलनायक खोज लिए हैं। ‘न्यूज-चैनल’ नाम के नए हथियारों ने ड्रॉइंग-रूम को ‘युद्ध-भूमि’ में बदल दिया है। अपनी मुक्ति के लिए मनुष्य अब सुरों और असुरों पर निर्भर नहीं रहा। सबके अपने-अपने ‘ईश्वर’, ‘राक्षस’ और ‘एंकर’ हैं। इसका जल्द समाधान न हुआ तो मामला बिल्कुल हाथ से निकल जाएगा।’

मानव और दानव ने तपस्या करनी ही बंद कर दी

देवर्षि की ऐसी गंभीर बातें सुनकर देवेंद्र के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं। कुछ देर सोचते हुए वह बोले, ‘संकट वास्तव में गहरा है। मानव तो मानव, अब दानव तक वरदान नहीं मांग रहे हैं। तपस्या करनी ही बंद कर दी है। इसके लिए हम सबको कृपानिधान जगदीश्वर के पास जाना पड़ेगा। इस तरह वे दोनों क्षीरसागर की ओर रवाना हो गए।

राक्षसराज ने संपूर्ण भूलोक का ‘सर्वर’ हैक कर लिया था

प्रवेश-द्वार पर पहुंचते ही नागराज मिल गए। उन्हें देखते ही बोल पड़े, ‘आप दोनों की ही प्रतीक्षा थी। लगता है, अब यहां भी ‘खेला होबे।’ प्रभु से ‘होली-मिलन’ करने राक्षसराज भी आए हुए हैं। आप लोग मेरे साथ आइए।’ इंद्र को देखते ही प्रभु बोले, ‘देवेंद्र, मुझे सब पता है। राक्षसराज के साथ हम इसी संकट पर चर्चारत हैं। हमने एक असुर दूत को भूलोक भेज दिया है।’ यह कहकर प्रभु ने भूलोक पहुंचे असुर-दूत को वाट्सएप कॉल लगा दी। यह देखकर सब चौंक उठे। देवेंद्र ने पास में खड़े नागराज से इस अद्भुत यंत्र के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों राक्षसराज ने संपूर्ण भूलोक का ‘सर्वर’ हैक कर लिया था, तभी उन्हें इस अजूबे यंत्र का पता चला।

दूत की वर्तमान लोकेशन ‘सोनार बांग्ला’, होली और चुनाव एक साथ

उन्होंने किसी तरह से एक ‘जीवात्मा’ की ‘प्राइवेसी सेटिंग’ भंग की, तब यह हाथ लगा है। प्रभु इसी के जरिये दूत से संपर्क साध रहे हैं। तभी संपर्क जुड़ गया। दूत की वर्तमान लोकेशन ‘सोनार बांग्ला’ दिख रही थी। किसी चुनावी रैली का दृश्य था। मनुष्यों की भारी भीड़ जमा थी। प्रभु ने दूत को संकेत किया कि शोर-शराबे से बाहर आकर उन्हें शीघ्र ‘रिपोर्ट’ भेजे। दूत पूरे जोश में बोलने लगा-यह आर्यावर्त का ऐसा क्षेत्र है जो ‘चुनाव-ग्रस्त’ है। यहां होली और चुनाव एक साथ आ गए हैं।

एक ‘संग्राम’ की कौन कहे, यहां तो कई चरणों में ‘संग्राम’ है

एक ‘संग्राम’ की कौन कहे, यहां तो कई चरणों में ‘संग्राम’ हो रहा है। लोग होली जैसे मिलन-पर्व में भी पर्याप्त ढंग से संघर्षरत हैं। किसी ‘वायरल-मैसेज’ पर ‘खेला’ हो जाता है। बनावटी रंगों के बजाय वे रक्त बहाकर मौलिक रंगों से ही होली खेल रहे हैं। एक ‘बहुरूपिया वायरस’ राक्षस के भेष में घुस गया है। लोग उससे भी खूब घुल-मिल रहे हैं। यहां मुझे अनुभव हुआ है कि संपूर्ण आर्यावर्त में सड़क, संसद और विधानसभाओं में ‘संग्राम’ की भीषण संभावनाएं हैं। मेरे लिए भी भरपूर मौके हैं। राक्षसराज, मुझे क्षमा करना। असुर-लोक में निरर्थक जीवन बिताने से अच्छा है कि मैं यहीं बस जाऊं।’

दूत का वीजा तुरंत रद किया जाए 

यह सुनते ही राक्षसराज बोले, प्रभु इस दूत का वीजा तुरंत रद किया जाए, अन्यथा यह हमारी कुल-परंपरा को नुकसान पहुंचाएगा। प्रभु बोले, चिंता की कोई बात नहीं राक्षसराज! यह दूत भले तुम्हारे नेटवर्क से बाहर चला गया है, पर काम तुम्हारा ही करेगा। और हां, प्रसन्नता की बात यह है कि ‘देवासुर संग्राम’ अभी रुका नहीं है। बस, भूलोक में शिफ्ट हो गया है। हमें अवतार भी नहीं लेना पड़ेगा। मुक्ति के मामले में मानव अब आत्मनिर्भर हो चुका है।’

[ लेखक हास्य-व्यंग्यकार हैं ]