[ संजय गुप्त ]: कोरोना वायरस से भारत की लड़ाई का मोर्चा तब कमजोर पड़ गया जब बीते दिनों दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात के एक आयोजन में करीब दो हजार लोग जमा मिले। इनमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोग तो थे ही, विदेश से आए मजहबी प्रचारक भी थे। इनमें तमाम कोरोना वायरस से संक्रमित मिले। इस जमात ने अपने जमावड़े के दौरान जरूरी सावधानी बरतने से इन्कार करने के साथ दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और भारत सरकार के निर्देशों की अनदेखी भी की।

मौलाना  के विवादित बयानों ने कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ाने का किया काम

इसकी पुष्टि इस मरकज के मौलाना साद के इस बयान से होती है कि मुसलमानों को कोरोना का कोई डर नहीं और फिर मरने के लिए मस्जिद से अच्छी जगह और क्या हो सकती है। ऐसे बयान देकर इस मौलाना ने एक तरह से जानबूझकर कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ाने का काम किया। तब्लीगी जमात की इस हरकत के भयानक नतीजे सामने आए। इस मरकज से निकाले गए लोगों में से अभी तक करीब एक हजार लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।

मौलाना कह रहे हैं कि कोरोना उनके लिए कोई खतरा नहीं

साफ है कि जमातियों ने कोरोना संकट को गहरा दिया। तब्लीगी जमात मुस्लिम समुदाय का करीब सौ साल पुराना संगठन है। इसकी जड़ें दक्षिण एशिया के साथ दुनिया के अन्य तमाम देशों में है। यह दकियानूसी तौर-तरीके वाले मजहबी व्यवहार पर जोर देता और उसके प्रचार का काम करता है। उसके मौलाना, सदस्यों और समर्थकों की ओर से अभी भी यह कहा जा रहा है कि कोरोना उनके लिए कोई खतरा नहीं। ऐसे बयान कई जमातियों की संक्रमण से मौत के बावजूद दिए जा रहे हैं। यह जहालत के अलावा और कुछ नहीं।

तब्लीगी जमात के सदस्यों ने कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई को और कठिन बना दिया

चूंकि विदेश से आए कोरोना संक्रमित भारतीयों के साथ तब्लीगी जमात के सदस्यों ने कोरोना से उपजी महामारी कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई को और कठिन बना दिया है इसलिए आने वाला सप्ताह मुश्किल भरा हो सकता है। इसका अंदेशा है कि जमातियों और दूसरे कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के जरिये संक्रमण फैलने का सिलसिला तेज हो सकता है।

अगर तीसरा दौर शुरू हो गया तो पता नहीं लगेगा कौन किससे संक्रमित हुआ

अगर ऐसा हुआ तो संक्रमण का वह तीसरा दौर शुरू हो जाएगा जिसमें यह पता नहीं लगेगा कि कौन किससे संक्रमित हुआ? इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कई बार बेहतर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते और इसके चलते वे दूसरे लोगों में आसानी से संक्रमण फैला देते हैं। यूरोप और अमेरिका में ऐसा ही हुआ। वहां लोगों ने कोरोना की चपेट में आने के बाद भी जरूरी सावधानी नहीं बरती और संक्रमण फैलाते रहे। इसी कारण देखते ही देखते दुनिया भर में संक्रमित लोगों की संख्या दस लाख पार कर गई। मरने वालों का आंकड़ा भी साठ हजार के करीब पहुंच गया है।

तब्लीगी जमात के कोरोना मरीज डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस से बदसलूकी कर रहे हैं

यह दुखद और चिंताजनक है कि जब देश कोरोना संकट से निपटने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है तब तब्लीगी जमात के कोरोना मरीज अथवा संदिग्ध डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों से भी बदसलूकी में लगे हुए हैं। इंदौर में तो उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों के साथ महिला डॉक्टरों पर भी हमला किया। ऐसी ही घटनाएं हैदराबाद, बेंगलुरु समेत अन्य अनेक शहरों में हुईं। गाजियाबाद, कानपुर आदि में अस्पताल में भर्ती जमातियों ने उत्पात मचाया। कई स्थानों पर सामूहिक नमाज पढ़ने से रोकने पर पुलिस पर हमले किए गए। ये सब दुष्कृत्य उस दुष्प्रचार का नतीजा हैं जिसके तहत सोशल मीडिया के जरिये यह झूठ फैलाया जा रहा कि कोरोना मुसलमानों के खिलाफ साजिश है।

जो स्वास्थकर्मी जान हथेली पर रखकर उपचार कर रहे हैं उनसे बदतमीजी करना शर्मनाक है

यह जानना बेहद कष्टदायक है कि स्वास्थकर्मी जान हथेली पर रखकर जिनका उपचार कर रहे वही उनसे बदतमीजी कर रहे हैं। आखिर कोई इतना जाहिल कैसे हो सकता है कि अपनी जान बचाने वालों को ही अपना दुश्मन समझे? इन जाहिल तत्वों से सख्ती से निपटने के साथ यह आवश्यक है कि लॉकडाउन को कड़ाई से लागू किया जाए। यदि इसमें ढिलाई बरती गई तो लॉकडाउन बढ़ाने की नौबत आ सकती है। यदि उन इलाकों में लॉकडाउन की अवधि बढ़ानी पड़े जहां कोरोना के अधिक मरीज हैं तो सरकार को हिचकिचाना नहीं चाहिए।

पीएम की अपील पर आज रात नौ बजे, नौ मिनट के लिए घर पर दीये से रोशनी करें

यह सही है कि लॉकडाउन लोगों के मनोबल पर असर डाल रहा है और उससे अमीर-गरीब सब परेशान हैं। जहां अमीर अपने कारोबार को लेकर परेशान है वहीं गरीब रोजी-रोटी को लेकर, लेकिन इस समय कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता। देशवासियों में कोरोना से लड़ने की क्षमता बनी रहे और वे इस संकट से बचने को लेकर आशावान रहें, इसके लिए प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की है कि वे आज रात नौ बजे, नौ मिनट के लिए अपने घर पर रहते हुए दीये, मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लैश लाइट के जरिये रोशनी करें ताकि एक तो लोग अलग-थलग रहते हुए अकेलापन न महसूस करें और दूसरे, इस संकल्प से लैस हों कि सब मिलकर इस संकट को परास्त करेंगे।

इस आयोजन से देशवासी कोरोना से लड़ाई को लेकर सचेत होंगे और एकता के सूत्र में बंध जाएंगे

इस आयोजन का अपना महत्व है। इससे देशवासी कोरोना से लड़ाई को लेकर सचेत होंगे और साथ ही खुद को एकता के सूत्र में बंधा पाएंगे। अगर लोग सचेत रहेंगे तो वे सार्वजनिक मेल-मिलाप से बचने के लक्ष्य को पूरा करने में भी सहायक होंगे। यह बेहद जरूरी है, क्योंकि कोरोना का कोई इलाज नहीं और उसका टीका बनने एवं दुनिया भर में पहुंचने में एक साल से अधिक का समय लग सकता है।

पीएम ने सीएम से कहा- लॉकडाउन खत्म होने पर लोग कहीं संयम और अनुशासन न छोड़ दें

चूंकि कोई भी देश लंबे समय तक लॉकडाउन में नहीं रहा और भारत सरीखा अधिक आबादी वाला देश तो और भी नहीं इसलिए यह स्वाभाविक है कि प्रधानमंत्री ने बीते दिनों मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत में इसे लेकर चर्चा की कि लॉकडाउन खत्म होने पर लोग संयम और अनुशासन का परिचय देना न छोड़ दें।

पीएम की अपील देश की एकता और अखंडता बनाए रखने की है

शायद इसी कारण प्रधानमंत्री ने प्रकाश फैलाने का संदेश देते वक्त भी देशवासियों को अनुशासित रहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का अनुरोध किया। लोगों को इस अनुरोध के अनुरूप ही आचरण करते हुए सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए। चूंकि आने वाला समय कठिनाई भरा रहने वाला है इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को न केवल इस पर ध्यान देना होगा कि जरूरी वस्तुओं की कहीं कोई कमी न होने पाए, बल्कि इस पर भी कि शहरों से लेकर गांवों तक में कोरोना के संदिग्ध मरीजों के परीक्षण का काम तेज हो। यह अच्छा है कि कोरोना के मरीजों की पहचान के काम में तेजी लाई जा रही है, लेकिन लोगों को यह तो ध्यान रखना ही होगा कि यह वह लड़ाई है जिसे उनके सहयोग के बिना जीतना नामुमकिन है।

[ लेखक दैनिक जागरण के प्रधान संपादक हैं ]