डॉ. शिव कुमार राय। हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के कई शहरों-गांवों में बेटियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं की खबरें आई हैं। बात केवल इसमें शामिल हैवानों और दरिंदों की नहीं है, क्योंकि जानवरों से भी बदतर ऐसे लोग देश के हर कोने में हैं और त्वरित अदालतों के माध्यम से इन्हें फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आखिर कानून व्यवस्था और प्रशासन की स्थिति में कब सुधार होगा? प्रदेश में जब एक मासूम बेटी के साथ दुष्कर्म जैसी वारदात होती है तो एफआइआर यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में पुलिस देर क्यों करती है? दुष्कर्म पीड़ित महिला को प्रशासन इलाज की बेहतर सुविधा तत्काल क्यों नहीं मुहैया कराता? ऐसे एक नहीं अनेक सवाल हैं, जो उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन पर निरंतर उठते रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद लोगों की सबसे बड़ी उम्मीद यही रही है कि प्रदेश में अपराध पर पूरी तरह अंकुश लगेगा। राज्य की कमान संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गुंडों और अपराधियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि गुंडे या तो सुधर जाएं या फिर उत्तर प्रदेश छोड़कर चले जाएं। इसके साथ ही योगी ने पार्टी के नेताओं से भी कहा था कि अब उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है और इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए जमकर काम किया जाएगा। अपने नेताओं को उन्होंने संदेश दिया कि ठेकेदारी का काम वे न करें, बल्कि ठेकेदारों के कार्यो की निगरानी करें। इसमें कोई दो मत नहीं कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपराध पर अंकुश लगा है। पुलिस और प्रशासन को दुरुस्त करने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं। इस वर्ष के आरंभ में ही योगी सरकार ने प्रदेश में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को लागू किया और पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे लखनऊ तथा नोएडा में लागू भी कर दिया गया। इस संबंध में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को लागू करना पुलिस सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट पुलिसिंग और लॉ एंड ऑर्डर की बेहतरी के लिए इस सिस्टम की जरूरत थी, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं होने की वजह से यह फैसला टलता गया।

यह बात ठीक है कि कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाने के लिए पुलिस कमिश्नरी सिस्टम ज्यादा कारगर है और यह कदम उठाकर योगी सरकार ने एक सकारात्मक पहल की है, लेकिन जिस प्रदेश में पुलिस विभाग में आरक्षी से लेकर उच्च पदों तक की भर्ती में भ्रष्टाचार आम बात रही हो, उस प्रदेश में क्या पुलिस कमिश्नरी सिस्टम मात्र से किसी बड़े बदलाव की उम्मीद की जा सकती है?

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पुरानी सरकारों के दौर में राज्य की इन भíतयों में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी घूस देकर या अपने राजनीतिक संबंधों का लाभ उठाकर राज्य पुलिस में भर्ती हो गए हैं। उत्तर प्रदेश में पुलिस, प्रशासन और अपराधियों की साठ-गांठ कोई नई बात नहीं है। ये वही पुलिसकर्मी हैं, जो कानपुर में विकास दुबे पर कार्रवाई होने के पहले ही उसे सूचित कर देते हैं। ये वही लोग हैं जिनकी मिलीभगत उन्नाव कांड के वक्त भी सामने आई थी। ऐसे लोगों की वजह से हाथरस हो या लखीमपुर खीरी, कानपुर हो या उन्नाव, राज्य में अपराधियों के हौसले अभी भी बुलंद हैं। अभी कुछ दिनों पहले गाजियाबाद का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें एक महिला ने अपनी बेटी के साथ छेड़छाड़ का विरोध किया तो अपराधी ने उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इसी जिले में छेड़छाड़ का विरोध करने पर एक पत्रकार की हत्या कर दी जाती है। राज्य में पुलिस और प्रशासन के साथ अपराधियों के रिश्तों को लेकर बड़े अधिकारी अनभिज्ञ नहीं हैं।

यह सच है कि सड़क और नाली में पड़ी गंदगी को दूर करने में स्वच्छता अभियान काफी हद तक सफल रहा है, लेकिन सवाल यह उठता है कि पूरे समाज को दूषित करने वाली पुलिस और प्रशासन की गंदगी को साफ करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? आए दिन दुष्कर्मियों के खिलाफ कुछ बोलने की बजाय समाज का एक बड़ा तबका लड़कियों और महिलाओं की पोशाक पर टिप्पणी करता है, उनके रहन सहन पर सवाल उठाता है, जबकि इस देश में छोटी छोटी बच्चियों के साथ भी दुष्कर्म की घटनाएं सामने आ रही हैं।

समाज की इन घटनाओं को जाति और मजहब से जोड़ने की बजाय हर अपराधी पर फिर चाहे वह राजनीति में बड़े पद पर बैठा शख्स हो या फिर कोई तथाकथित ढोंगी साधु महात्मा हो या फिर कोई जमीन और जायदाद के दम पर दबगंई करने वाला कोई अपराधी, इन दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ये उन दीमक की भांति हैं, जो अपार संभावनाओं वाले राज्य उत्तर प्रदेश को बरसों से खोखला कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद हालात में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन पुलिस, प्रशासन और अपराधियों की साठ-गांठ को प्रदेश से खत्म करना एक बड़ी चुनौती है और इस चुनौती से निपटकर ही उत्तर प्रदेश को सवालों से मुक्त किया जा सकता है।

समाज में व्याप्त तरह-तरह की गंदगी की सफाई के लिए बीते कुछ वर्षो से अभियान चलाए जा रहे हैं। समय आ गया है कि दुष्कर्म की मानसिकता को भी इस सफाई के दायरे में लाया जाए।

[वरिष्ठ पत्रकार]