[सुशील कुमार सिंह]। मेक्सिको सीमा पर दीवार के लिए बजट को लेकर अमेरिका में 22 दिसंबर से शटडाउन की स्थिति है। हालांकि इसे खत्म कराने हेतु डेमोक्रेट्स सांसद वोटिंग कराने की बात कह रहे हैं, पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अड़ियल रवैया कुछ और संकेत दे रहा है। मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए धन की व्यवस्था न होने से विधेयक का भविष्य अधर में दिख रहा है। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप द्वारा उठाए गए कठोर कदमों में एक मैक्सिको की दीवार भी शामिल है। दीवार बनाने के लिए वह संसद से रकम की मांग कर रहे हैं। विपक्षी सांसदों पर तंज कसते हुए ट्रंप ने कहा कि डेमोक्रेट फिर से ऐसा विधेयक लाएंगे जिसमें सीमा सुरक्षा के लिए कुछ नहीं होगा।

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से संबंधित हैं जबकि निम्न सदन में डेमोक्रेट का बहुमत है। बीते चार जनवरी को डेमोक्रेट्स ने ट्रंप को तब झटका दिया जब डेमोक्रेट की 78 वर्षीय नैन्सी स्पीकर निर्वाचित हुईं। इसके पहले रिपब्लिकन नेता पॉल रयान इस पद पर थे। सदन में मध्यावधि चुनाव से पहले रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में थी, पर अब स्थिति बदल चुकी है। डेमोक्रेट्स ने शटडाउन खत्म कराने के लिए जो फंडिंग बिल पारित किया है उससे यह साफ है कि मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए धन मुहैया नहीं कराया जाएगा। मध्यावधि चुनाव के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी के 435 सदस्यीय सभा में 235 सदस्य हो गए हैं और रिपब्लिकन 199 पर ही सिमट गई है जबकि पहले रिपब्लिकन की संख्या 235 थी।

खास यह भी है कि रिकॉर्ड 102 महिलाएं भी अमेरिका के निचले सदन में देखी जा सकती हैं। नई स्पीकर चुनी गई नैन्सी को भारत-अमेरिकी संबंधों का प्रबल समर्थक माना जाता है। नैन्सी पूर्व में 2007 में स्पीकर रह चुकी हैं तब अमेरिका के इतिहास में पहली महिला स्पीकर होने का उन्हें गौरव मिला था। ट्रंप का मानना है कि अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाए बिना सीमा सुरक्षित नहीं हो सकती जबकि वित्तीय प्रावधान से डेमोक्रेट्स के इन्कार के बाद ट्रंप ने खर्च संबंधी पैकेज पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है।

अमेरिकी सरकार की आंशिक कामबंदी को सालों तक जारी रखने के लिए भी ट्रंप कमर कस चुके हैं। फिलहाल शटडाउन का तीसरा सप्ताह पूरा होने जा रहा है और यह मसला अमेरिका को राष्ट्रीय आपात की ओर भी धकेल सकता है। अमेरिका में बीते 22 दिसंबर से लगभग आठ लाख संघीय कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है और ट्रंप पीछे हटने के लिए तैयार नहीं। वैसे अमेरिका के इतिहास में शटडाउन कई बार हुआ है। इसके पहले अक्टूबर 2013 में ऐसी स्थिति पैदा हुई थी, तब डेमोक्रेट की सरकार थी और राष्ट्रपति बराक ओबामा थे और यह 16 दिन चला था। वर्ष 1981, 1984, 1990 और 1995-1996 के बीच अमेरिका के पास खर्च के लिए पैसा नहीं बचा था। 1995-1996 के बीच शटडाउन 21 दिनों तक चला था।

देखा जाए तो 2018-19 में भी अमेरिका इसी दौर से गुजर रहा है। पहले शटडाउन कुछ दिनों में समाप्त होता था, पर ट्रंप के रुख को देखते हुए कहना मुश्किल है कि यह कब समाप्त होगा। आखिर शटडाउन है क्या? अमेरिका में एंटी डेफिशिएंसी एक्ट लागू है जिसके तहत वहां पैसे की कमी होने पर संघीय एजेंसियों को अपना काम रोकना पड़ता है और उन्हें अवैतनिक छुट्टी पर भेज दिया जाता है। ऐसी स्थिति में सरकार संघीय बजट लाती है जिसे अमेरिकी कांग्रेस और सीनेट में पारित कराना आवश्यक है।

अमेरिका में घुसपैठ कर रहे शरणार्थियों पर वहां के सैनिकों ने हाल में आंसू गैस के गोले दागे थे। मैक्सिको गरीबी और बेरोजगारी से त्रस्त है और अमेरिका इनके अवैध घुसपैठ से परेशान है। यही कारण है कि ट्रंप दीवार खड़ी करना चाहते हैं जिसके लिए बेहद भारी- भरकम बजट बनाया गया है। हालांकि दोनों देशों की सीमा के एक हिस्से पर स्टील की दीवार है, मगर घुसपैठ की कोशिश के कारण कई लोग मारे भी जाते हैं, कुछ वापस भेज दिए जाते हैं। कुछ ने तो इस दीवार के सहारे अपना घर भी बनाया है। दोनों देशों के बीच करीब 3,145 किमी लंबी सीमा है।

हालांकि करीब एक तिहाई हिस्से पर इस्पात की दीवार लगी हुई है जिसका निर्माण कार्य 1990 में शुरू हुआ था। अमेरिका- मैक्सिको बॉर्डर पर मानव तस्करी समेत अन्य तस्करी जैसी गतिविधियां भी चलती रहती हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ट्रंप दीवार को लेकर कोई समझौता शायद ही करें। वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावी वादे में यह दीवार थी तो जाहिर है कि यह ट्रंप के लिए मामूली बात नहीं होगी। फिलहाल मैक्सिको से अमेरिका में घुसपैठ न हो इसके लिए ट्रंप ने बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया है और चेतावनी दी है कि अगर शरणार्थियों से अशांति होती है तो मैक्सिको के साथ कारोबार पर रोक लगा देंगे और सीमा को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।

सवाल है कि शटडाउन से किस पर कितना असर पड़ेगा। अमेरिका के अलावा मैक्सिको और कनाडा पर भी इसका असर पड़ेगा। यदि अमेरिका में मांग कम होगी तो कनाडा और मैक्सिको की कंपनियां जिन वस्तुओं को अमेरिका में निर्यात करती हैं उसमें कमी आएगी। अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको के बीच 1993 से उत्तर अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता (नाफ्टा) हुआ है। कनाडा अपने व्यापार का लगभग 70 फीसद और मैक्सिको कुल आयात-निर्यात का 65 फीसद व्यापार अमेरिका से करता है। शटडाउन के असर से ये देश प्रभावित होंगे। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ेगा। यदि शटडाउन अधिक दिनों तक चला तो स्वयं अमेरिका आर्थिक संकट से जूझने लगेगा। साढ़े पांच अरब डॉलर से अधिक की मांग करने वाले ट्रंप यदि पीछे नहीं हटे तो उनकी लोकप्रियता पर भी असर पड़ेगा।

तमाम प्रतिबंध के बावजूद लैटिन अमेरिकी देशों अल सल्वाडोर, ग्वाटेमाला और होंडूरास जैसे देशों से हजारों शरणार्थी लगभग चार हजार किमी की यात्रा कर अमेरिका मैक्सिको सीमा पर पहुंच चुके हैं। शोषण, गरीबी और हिंसा के चलते उन्हें अपने देश से पलायन करना पड़ रहा है। फिलहाल इस समस्या का हल अमेरिका को ही खोजना है, बस ध्यान इतना देना है कि आर्थिक हित और मानव हित दोनों कायम रहें।