लखनऊ, सद्गुरु शरण। Defence Expo 2020 : डिफेंस एक्सपो का शुक्रिया। उत्तर प्रदेश, खासकर लखनऊ को इतने अच्छे पांच दिन इससे पहले पता नहीं कब नसीब हुए थे। ज्ञान, गर्व और आनंद से लबालब पांच दिन। धरती, आसमां और गोमती की धारा में देश की विलक्षण सैन्य शक्ति का मुग्ध कर देने वाला प्रदर्शन। सैन्य हथियारों को करीब से देखने और छूकर उनकी असाधारण क्षमता महसूस करने का अवसर। मातृभूमि की रक्षा के लिए जीवन का बलिदान करने को तत्पर रहने वाले सपूतों को गले लगाकर कृतज्ञता जताने का अवसर। अपनी सेना के बारे में बहुत कुछ जानने का अवसर।

भारत समेत दुनिया के कई देशों की सैन्य क्षमता

पांच से नौ फरवरी तक आयोजित डिफेंस एक्सपो लखनऊ के लिए बिल्कुल नया अनुभव रहा। लखनऊ और प्रदेश के अन्य अंचलों से आए जिज्ञासुओं ने कई किमी लंबी लाइनें लगाकर एक्सपो परिसर में प्रवेश पाया और भारत समेत दुनिया के कई देशों की सैन्य क्षमता, टेक्नोलॉजी, उपलब्धियों और भावी योजनाओं का दीदार किया। प्रधानमंत्री पहले दिन उद्घाटन करने आए और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लगातार पांच दिन लखनऊ में रहे।

प्रदेश में कोई निवेशक अपनी पूंजी भला क्यों फंसाता?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हर संभव अवसर पर यहां मौजूदगी दर्ज कराई और इसे इसके घोषित लक्ष्य व उपलब्धियों से इतर प्रदेश के लिए परिणामदायी आयोजन बना दिया। प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में निवेश के लिए देश-विदेश की 23 कंपनियों के साथ 50 हजार करोड़ रुपये के करार इस एक्सपो की अमर स्मृति बन गए। याद करिए, इससे पहले उत्तर प्रदेश में कोई उल्लेखनीय निवेश कब हुआ था? वर्ष 2017 से पहले कानून व्यवस्था, लाल फीताशाही और रंगदारी वसूली के चलते कोई निवेशक यूपी का नाम भी नहीं लेता था। दिशाहीन राजनीतिक सोच वाले तत्कालीन प्रदेश में कोई निवेशक अपनी पूंजी भला क्यों फंसाता?

डिफेंस एक्सपो के नतीजे यूपी की शक्ल बदलने की शुरुआत

बहरहाल, 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद निवेश को लेकर गंभीर प्रयास शुरू हुए जिनका प्रभाव अब दिखने लगा है। कई विद्वानों को 50 हजार करोड़ रुपये छोटी धनराशि प्रतीत हो सकती है, यद्यपि इसका वास्तविक महत्व सिर्फ तब समझ में आएगा, जब इसे दशकों के अकाल के बाद बारिश की फुहारों की तरह महसूस किया जाए। दरअसल, डिफेंस एक्सपो के नतीजे यूपी की शक्ल बदलने की शुरुआत माने जा सकते हैं। इस बात से शायद ही कोई असहमत हो कि मुख्यमंत्री की रणनीति से अपराधियों में दहशत व्याप्त हुई है। नियंत्रित अपराध और दुरुस्त कानून व्यवस्था निवेशकों को आकृष्ट करने की पहली शर्त है। इस कसौटी पर प्रदेश सरकार किसी हद तक खरी साबित हो रही है।

उम्मीद की जानी चाहिए कि योगी सरकार ऐसे सभी उपाय करेगी, ताकि कोई निवेशक निराश न हो। यह नहीं भूलना चाहिए कि डिफेंस कॉरिडोर में निवेश का अच्छा-बुरा अनुभव अन्य क्षेत्रों में निवेश की दिशा-दशा तय करेगा। यदि डिफेंस कॉरिडोर में निवेश की योजनाएं फलीभूत हुईं तो उत्तर प्रदेश सही मायने में उत्तम प्रदेश बनने की राह पर आगे बढ़ सकेगा। प्रयाग अर्धकुंभ और डिफेंस एक्सपो जैसे बेहद सफल आयोजनों के बाद उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश सरकार औद्योगिक निवेश की कसौटी पर भी खरी उतरेगी।

कहां लापता हैं अखिलेश बाबू

आजमगढ़ की दीवारों पर नागरिकों ने पोस्टर लगाए हैं कि उनके सांसद अखिलेश यादव लंबे समय से लापता हैं। उन्हें तलाशने वाले को ईनाम दिया जाएगा। ऐसे ही पोस्टर पिछले चुनाव से पहले अमेठी में राहुल गांधी के लिए लगाए गए थे। मतदाताओं की भी अजब-गजब ख्वाहिशें रहती हैं। चुनाव के वक्त उन्हें वीवीआइपी उम्मीदवार पसंद आता है, यह जानते हुए भी कि जीतने के बाद यह बंदा सीधे अगले चुनाव में ही नजर आएगा। चुनाव के बाद मतदाता चाहते हैं कि सांसद जी उनके दरवाजे खड़े मिलें। अरे भाई, कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता। राहुल गांधी को मतदाताओं की नाराजगी की भनक लग चुकी थी, इसलिए उन्होंने केरल में मुस्लिम मतदाताओं की बहुतायत वाली अपने लिए सुरक्षित वैकल्पिक सीट भी पकड़ ली थी, जहां से निर्वाचित होकर वह लोकसभा पहुंच गए। रही बात अखिलेश यादव की, तो उनके लिए भी आजमगढ़ इकलौती सीट नहीं है।

आजमगढ़ वाले ज्यादा भाव खाएंगे तो वह मैनपुरी, बदायूं या संभल निकल लेंगे। आजमगढ़ तो वह आने से रहे। उनके पास तमाम और काम हैं। उनकी अपनी पार्टी की हालत जैसी भी है, उन्हें केजरीवाल, लालू यादव और ममता बनर्जी की भी चिंता रहती है। वह जाते तो कहीं नहीं, पर घर पर बैठकर सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय दिखते हैं। वैसे भी योगी जी के कारण अब आजमगढ़ उनके लिए डेंजर जोन में तब्दील हो चुका है। अतीत में रमाकांत यादव वहां करिश्मा कर ही चुके हैं। कहीं फिर कोई खेल हो गया तो दिक्कत हो जाएगी। कन्नौज से उन्हें सबक भी मिल चुका है कि गैरों पर जरूरत से ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।

[स्थानीय संपादक, लखनऊ]

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