अमरजीत कुमार। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के दस सर्वाधिक कोरोना प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की और कोरोना से मृत्यु दर को एक प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य रखा। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि इन प्रभावित राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या सर्वाधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो बिहार और कई अन्य राज्यों में स्थिति असंतोषजनक है। शहरी क्षेत्रों में कार्यरत स्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण दबाव बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए हमें हर स्तर पर काम करने की जरूरत है जिसमें पंचायत की भूमिका काफी अहम होगी। इस पक्ष को समझने के लिए विगत महीनों में केंद्र और राज्य सरकारों के निर्णयों में ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत की बढ़ी भूमिका का विश्लेषण करना आवश्यक होगा।

लॉकडाउन के पहले चरण के बाद देश कोरोना महामारी की जिन चुनौतियों से गुजरा, उसमें कई अहम फैसले लिए गए। कम रोजगार के अवसर और भुखमरी ने शहरी क्षेत्रों से लोगों का वापस गांवों की तरफ रुख करने को मजबूर कर दिया। वास्तविकता तो यह है कि महामारी के दौर में सीमित संसाधनों में व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण कार्य है। ऐसे में कई निर्णयों ने पंचायत की भूमिका बढ़ाई है, क्योंकि अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े थे। प्रारंभिक स्थिति में विभिन्न राज्यों ने ब्लॉक स्तर पर स्कूलों में क्वारंटाइन सेंटर बनवाया, जबकि बाद में झारखंड और बिहार जैसे राज्यों द्वारा पंचायत स्तर पर भी प्राथमिक स्कूलों में ऐसी व्यवस्था की गई। पंचायत की भूमिका इस लिहाज से अच्छी थी, क्योंकि इनसे जिले और ब्लॉक स्तर पर सीमित संसाधनों में व्यवस्था बनाए रखने में काफी मुश्किलें आ रही थीं, वहीं महामारी में पंचायत स्तर पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग आसानी से संभव था।

कोरोना महामारी के कारण लोगों के ग्रामीण क्षेत्रों में वापसी से उनके जीविका का संकट उत्पन्न हो गया। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा के लिए 40,000 करोड़ राशि का प्रावधान किया ताकि लोगों की रोजगार गारंटी के तहत काम मुहैया कराया जा सके। पंचायतों ने भी इस संकट काल में अपनी भूमिका को समझते हुए लोगों को पर्याप्त रूप से रोजगार देने का प्रयास भी किया। पंचायत की भूमिका के कुछ अन्य पहलू हैं जो ऐसी आपात स्थिति में राहत देते दिखाई देते हैं। मसलन ग्रामीण विकास मंत्रलय की एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल माह में 27 राज्यों में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लगभग दो करोड़ मास्क का निर्माण किया गया।

पंचायती राज्य व्यवस्था की प्रभाविकता उसके छोटे आकार और नीचे के स्तर के प्रबंधन अहम पक्ष हैं। यह एक व्यवस्था थी जिसके तहत कोरोना महामारी में बिहार जैसे राज्यों में लगभग 30 लाख लोगों की घर वापसी पर संक्रमण फैलने से रोकने के लिए ब्लॉक और पंचायत स्तर पर क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई और यही स्थिति अन्य कई राज्यों में भी देखी गई। ओडिशा सरकार ने तो पंचायतों को कई अधिकार भी दिए ताकि व्यवस्था बनाए रखने में कोई बाधा न उत्पन्न हो।

कोरोना महामारी से निपटने के लिए लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता पैदा करना महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण और स्वच्छता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति सजगता का कार्य हर पंचायत स्तर पर किया जा रहा है जिससे कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में काफी मदद मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत का जो संकल्प देश ने लिया है उसकी बुनियाद ग्रामीण क्षेत्रों से ही जुड़ी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हालिया संबोधनों में इसकी चर्चा भी की है।

कोरोना से मृत्यु दर में कमी लाने के लिए टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और संबंधित पंचायत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का भाषण इस मायने में भी महत्वपूर्ण था कि उन्होंने सभी पंचायतों को तीन वर्षो में ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, जिससे पंचायत की भूमिका और सशक्त होगी। हालिया सर्वे बताता है कि कोरोना के मरीज बेहतर चिकित्सीय निगरानी में घर पर भी ठीक हो सकते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं से जुझ रहे ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन जैसी सुविधा मुहैया हो सकेगी। इंटरनेट ग्रामीण क्षेत्रों को स्वास्थ्य के अलावा शिक्षा, कृषि, आपदा राहत कार्य, प्रशासनिक निगरानी आदि में भी मील का पत्थर साबित होगा।

पंचायत की भूमिका आने वाले समय में भी अहम होगी, जब कोरोना महामारी लोगों के जीने के तौर तरीकों में बदलाव कर चुका है। ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों की है। कोरोना संकट अभी टला नहीं है। ऐसे में जरूरत है पंचायतों को और सशक्त बनाना। पंचायत के स्तर पर निíमत छोटे आपात कालीन समूह जैसे ग्राम रक्षा दल जिसका गठन आपात कालीन स्थिति के लिए किया जाता है, उसे फिर से संगठित करने की जरूरत है। कोरोना महामारी ने बच्चों और महिलाओं की सेहत संबंधी जरूरतों को भी काफी प्रभावित किया है। अत: समय रहते आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से प्रभावी तरीके से चलाया जाए। स्कूल बंद होने की स्थिति में अधिकांश गरीब बच्चे मिड डे मील स्किम के तहत मिल रहे पोषण युक्त भोजन से वंचित हैं। इसकी भी वैकल्पिक व्यवस्था पंचायत स्तर पर की जानी चाहिए।

[शोधार्थी, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय]