[चार्ल्स बोमैन]। सबका साथ, सबका विकास नारे से पाठकगण निश्चित तौर पर वाकिफ होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए इस नारे का मतलब है-सबके विकास के लिए सभी लोगों के साथ मिलकर काम करना। सिटी ऑफ लंदन के लॉर्ड मेयर और ब्रिटेन के वित्तीय और व्यावसायिक सेवा क्षेत्र के प्रमुख राजदूत के तौर पर मुझे यह लगता है कि यह मंत्र भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी या फिनटेक की भूमिका को दर्शाता है। ब्रिटेन के स्टार्टअप के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए सबका साथ सबका विकास का संदेश लेकर मैं भारत आया हूं। अपने एक सप्ताह के दौरे के मध्य मुझे मुंबई, बेंगलुरु और नई दिल्ली जाना है। फिनेटक एक नया उद्यम है। इसमें तकनीक के जरिये वित्तीय सेवाओं को बेहतर बनाया जाता है। मैं जिस सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन का प्रतिनिधित्व करता हूं वह दुनिया की अग्रणी वित्तीय और व्यावसायिक सेवा केंद्र लंदन के ऐतिहासिक सेंटर यूके के स्क्वायर माइल का अधिशासी निकाय है। हमारे यहां 250 से अधिक विदेशी बैंक हैं जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी शामिल है, जो यहां लगभग 100 वर्षों से मौजूद है। शहर के 24,000 व्यवसायों में प्रतिदिन हमारे 9,000 लोगों के साथ-साथ करीब 500,000 अन्य लोग काम करते हैं।

भारत इस शहर के लिए एक अहम भागीदार है और हम 15 से अधिक भारतीय वित्तीय सेवा फर्मों के केंद्र के साथ रूपी डिनोमिनेटेड मसाला ब्रांड के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजार हैं। भारत हमारे लिए एक प्राथमिकता वाला बाजार है। भारत ब्रिटेन में चौथा सबसे बड़ा निवेशक है। यदि फिनेटक में ब्रिटेन को विशेषज्ञता हासिल है तो भारत को उसकी जरूरत है, क्योंकि उसका डिजिटल बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

सिटी कॉरपोरेशन का भारत में काम करने का लंबा कार्यक्रम है और इसने दस साल पहले मुंबई में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला था। हम मेक इन इंडिया-एक्सेस इंडिया प्रोग्राम समेत देश में यूके एसएमई के विस्तार के लिए काम करने वाले कई कार्यक्रमों पर लंदन में ब्रिटिश सरकार और भारतीय उच्चायोग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। कुछ लोग शायद इस दावे से इन्कार करेंगे कि भारत वित्तीय क्षेत्र में क्रांति के केंद्र में है। मैं यह इस आधार पर कह रहा हूं कि यहां 2023 तक रिटेल डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म पर 400 प्रतिशत के इजाफे के साथ कुल वित्तीय लेनदेन एक ट्रिलियन रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। 200 बिलियन रुपये के मौजूदा आंकड़े से यह एक बड़ी छलांग है और यह दर्शाता है कि ई-कॉमर्स और मोबाइल भुगतान जैसे क्षेत्रों में भारत की विशेषज्ञता कितनी तेजी से विकसित हो रही है।

भारतीय ई-पेमेंट सेक्टर के विकास के साथ ही भारत की कुल आबादी के 40 प्रतिशत भाग की बैंकिंग से असंबद्धता और देश में 80 प्रतिशत से अधिक भुगतान अभी भी नकद में होने जैसी चुनौतियों से भारत को अभी भी निपटना है। इसके अलावा साइबर सुरक्षा, बीमा और विनियमन जैसे क्षेत्रों में कौशल विकास की भी काफी संभावनाएं हैं। यही वे क्षेत्र हैं जहां ब्रिटेन द्वारा सहयोग किया जा सकता है। आखिरकार हम वित्तीय क्षेत्र के अगुआ हैं जो हर साल ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 5 बिलियन पाउंड से अधिक का योगदान करता है। 2017 में यूके पेमेंट सिस्टम ने 75 ट्रिलियन पाउंड मूल्य के 21 बिलियन से अधिक लेनदेन किए थे। यूके में फिनटेक से जुड़ी 76,500 नौकरियां हैं जो 2030 तक बढ़कर एक लाख से अधिक होने के लिए तैयार हैं।

यूके बीमा निवेश के क्षेत्र को बेहतर बनाने में भी भारत की मदद कर सकता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमें भी भारत से बहुत कुछ सीखना है। आधार के पीछे एकीकृत सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म इंडिया स्टैक एक अविश्वसनीय उपलब्धि है। साथ ही भारत सरकार ने डिजिटल पहल के माध्यम से वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। देश भर में हेल्थ कवरेज को बढ़ाने के लिए हाल ही में आयुष्मान भारत के नाम से जिस प्रकार से बेहतरीन पहल की घोषणा की गई है उसका भी हम पूरी दिलचस्पी के साथ अनुसरण करेंगे। दोनों देशों के पास इस क्षेत्र में और वित्तीय सेवाओं के अन्य क्षेत्रों में साथ मिलकर काम करने के लिए काफी कुछ है। मैं यह सुनने के लिए तत्पर हूं कि हम अपने रिश्ते को अगले स्तर पर कैसे ले जा सकते हैं। नरेंद्र मोदी के शब्दों में सिटी लंदन ‘भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण’ है, और यह ब्रेक्जिट के बाद भी रहेगा। मैं इससे पूरी तरह से सहमत हूं।

(लेखक लंदन के लार्ड मेयर हैं)