Jharkhand Government: जनता में बदलाव देखने की छटपटाहट, मुंह ताक रही हेमंत सरकार
आने वाले समय में इसके और बढ़ने की ही आशंका है क्योंकि सरकार चाहकर भी किसी को खुश करने की स्थिति में नहीं है।
झारखंड, प्रदीप शुक्ला। वर्तमान महामारी के बीच राज्य में राजनीतिक सरगर्मी एकाएक बढ़ने लगी है। राज्यसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के लिए 31 वोट का जुगाड़ कर भाजपा उत्साहित है। हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार के लिए आने वाला समय काफी चुनौती भरा रहने वाला है, इसके संकेत मिलने लगे हैं। कांग्रेस कोटे के मंत्री अपने कृत्यों से जहां सरकार की साख को बट्टा लगा रहे हैं, वहीं राजस्व के सिकुड़ते स्रोत ने ऐसे विकट हालात पैदा कर दिए हैं जिनके चलते मौजूदा विकास परियोजनाओं पर संकट मंडरा रहा है।
सरकार चाहकर भी किसी को खुश करने की स्थिति में नहीं : राज्य सरकार अपने चुनावी वादों को भी पूरा नहीं कर पा रही है, जिससे आमजन में रोष पनपने लगा है। आने वाले समय में इसके और बढ़ने की ही आशंका है, क्योंकि सरकार चाहकर भी किसी को खुश करने की स्थिति में नहीं है। राज्यसभा चुनाव के बाद दो विधानसभा सीटों के लिए भी सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने जिस तरह आजसू और निर्दलियों को अपने पाले में एकजुट किया उससे सरकार के माथे पर बल पड़ना लाजिमी है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय चुनाव जीते सरयू राय को भी भाजपा मनाने में कामयाब रही। इतना ही नहीं, गठबंधन खेमे में भी सेंध लगाकर शिबू सोरेन को 30 वोट तक ही सीमित कर दिया। इससे गठबंधन सरकार में अंदरखाने काफी बेचैनी है।
कांग्रेस का तो पुराना इतिहास रहा है : कांग्रेसी जहां खुद पार्टी के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के खिलाफ केंद्रीय नेतृत्व के कान भर रहे हैं, वहीं झामुमो में निराशा है। शिबू सोरेन के बहाने भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने झामुमो-कांग्रेस गठबंधन में दरार पैदा करने की कोशिश की है। उन्होंने तंज कसा है कि कांग्रेस का तो पुराना इतिहास रहा है कि वह गठबंधन के साथियों को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। इस बार हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन इसके गवाह बने हैं। राज्यसभा चुनाव में एनडीए की एकजुटता से उत्साहित भाजपा अब पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिलाने के लिए सक्रिय हो गई है। विधानसभा अध्यक्ष दबाव में हैं, क्योंकि मरांडी ने भाजपा विधायक के रूप में ही मतदान किया है। ऐसे में उन्हें ज्यादा दिन तक नेता प्रतिपक्ष पद की मान्यता न देने का हेमंत सरकार का दांव उल्टा भी पड़ सकता है।
जनता को जवाब देना हेमंत सोरेन के लिए भारी पड़ने वाला है : राज्य सरकार अभी तक अपनी प्रमुख चुनावी घोषणाओं में से एक को भी पूरा नहीं कर पाई है। न ही किसानों का ऋण माफ हुआ है और न ही बेरोजगारों को भत्ता मिल रहा है। बेरोजगारों को भत्ता देने की फाइल को विकास आयुक्त ने यह कहते हुए वापस लौटा दिया है कि अभी इसके लिए बजट नहीं है। गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये देने सहित तमाम और लोकलुभावन घोषणाओं को लेकर जनता को जवाब देना हेमंत सोरेन के लिए भारी पड़ने वाला है। वैसे तो देश के लगभग सभी राज्य वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहे हैं, लेकिन झारखंड की स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब है। नौकरशाही खजाने को भरने के लिए माथापच्ची में जुटी हुई है। कुछ नए टैक्स लगाए गए हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। सरकार आमजन पर ज्यादा बोझ भी नहीं डाल सकती है। इन परिस्थितियों के बीच सरकार के मंत्री भी लगातार मुसीबतें बढ़ा रहे हैं।
एक ठेकेदार को धमकाने का ऑडियो वायरल : कांग्रेस कोटे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के दबाव में राजेंद्र प्रसाद आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ डीके सिंह को महामारी के बीच में कार्यमुक्त करने से सरकार की काफी किरकिरी हो रही है। इस प्रकरण का अभी पटाक्षेप भी नहीं हुआ है, कांग्रेस कोटे से ही ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बरहेट विधानसभा प्रतिनिधि का एक ठेकेदार को धमकाने का ऑडियो वायरल हो गया। ठेकेदार को जिस फोन से धमकाया गया, वह मंत्री का था। ठेकेदार की शिकायत पर पुलिस ने मंत्री और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
विरासत में खाली खजाना मिला : भाजपा इसको लेकर आक्रामक हो गई है और मंत्री का इस्तीफा मांग रही है। नई सरकार को समय देने और कोरोना के चलते अभी तक शांत भाजपा की सक्रियता एकाएक बढ़ गई है। कई वर्चुअल रैलियां हो चुकी हैं, जिनमें केंद्रीय स्तर के नेता हेमंत सोरेन पर हमला बोल रहे हैं। अब राज्य इकाई भी उसी पार्टी लाइन पर मुख्यमंत्री को विफल बताने में जुट गई है। सरकार गठन के समय से ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके मंत्री यह बात बार-बार दोहरा रहे हैं कि उन्हें विरासत में खाली खजाना मिला है। शुरुआती कुछ महीनों में तो लोगों के गले यह बात उतर सकती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, जनता धरातल पर कुछ वास्तविक बदलाव देखना चाहती है और यही सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है।
स्थानीय संपादक, झारखंड