टाटा समूह की एअरलाइन एअर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ानें अचानक रद होने से विमान यात्रियों को जिस तरह समस्याओं का सामना करना पड़ा और हवाई यात्रा के किराए बढ़ने की आशंका बलवती हो गई, वह नई नहीं है। इसके पहले भी ऐसा हो चुका है और बड़ी संख्या में यात्री परेशान हो चुके हैं। यह ठीक है कि हड़ताली चालक दल के सदस्यों की बर्खास्तगी शुरू करने के बाद उन्होंने हड़ताल तो वापस ले ली, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि समस्या का स्थायी रूप से समाधान हो गया है।

कर्मचारियों और प्रबंधन तंत्र में आगे जो वार्ता होनी है, उसमें यदि बात नहीं नहीं बनी तो फिर से उड़ानों पर संकट खड़ा हो सकता है। यह टाटा समूह के प्रबंधन तंत्र की खामी को ही बयान करता है कि कुछ समय पहले उसकी एक अन्य एअरलाइन विस्तारा भी इसी तरह के संकट से दो-चार हुई थी। तब विस्तारा का विलय एअर इंडिया में करने से नाराज पायलटों ने हड़ताल की राह पकड़ी थी। उस समय भी बड़ी संख्या में यात्री परेशान हुए थे।

लगता है कि टाटा समूह ने उस संकट से कोई सबक नहीं सीखा। अब एअर इंडिया एक्सप्रेस के चालक दल के सदस्य समूह की एक अन्य एअरलाइन एअर एशिया में विलय से क्षुब्ध हैं। वे अपनी सुविधाओं और वेतन-भत्तों में कटौती की आशंका से ग्रस्त हैं। समझना कठिन है कि टाटा समूह एअर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों की आपत्तियों से परिचित होने के बाद भी उनका समय रहते समाधान क्यों नहीं कर पाया?

इसका कोई विशेष मतलब नहीं कि एअर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ानें रद होने से यात्रियों को अन्य किसी दिन की वैकल्पिक उड़ानों की पेशकश की गई और किराया वापस करने का वादा किया गया। प्रश्न यह है कि तय समय पर गंतव्य तक न पहुंच पाने के कारण हजारों लोगों को जो नुकसान उठाना पड़ा, उसकी भरपाई कैसे होगी? यह नुकसान केवल यात्रियों की परेशानी बढ़ाने वाला ही नहीं, टाटा समूह की साख पर बट्टा लगाने वाला भी है।

जब टाटा समूह ने करीब दो वर्ष पहले एअर इंडिया को सरकार से हासिल किया था, तब यह आस बंधी थी कि न केवल विमानन क्षेत्र को पंख लगेंगे, बल्कि इस विमान सेवा के साथ इस समूह की अन्य एअरलाइंस की सेवा एवं संचालन की गुणवत्ता सुधरेगी। यह विडंबना ही है कि ऐसा होने के बजाय विमान यात्रियों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा।

यह सही है कि विमानन महानिदेशालय ने एअर इंडिया एक्सप्रेस के प्रबंधन तंत्र से जवाब-तलब किया, लेकिन आवश्यकता इसकी है कि वह उसके प्रबंधन की उन खामियों का दूर कराए, जिनके कारण टाटा समूह की एअरलाइंस बार-बार विमान यात्रियों को परेशानी में डाल रही हैं। उसे यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी एअरलाइन के खराब प्रबंधन का दुष्परिणाम विमान यात्रियों को न भुगतना पड़े।