कांग्रेस अभी सैम पित्रोदा के विरासत टैक्स की पैरवी करने वाले बयान से उबरी भी नहीं थी कि उन्होंने भारत की विविधता का बेतुके तरीके से चित्रण करते हुए यह कह दिया कि दक्षिण के लोग अफ्रीकियों, पूर्वोत्तर के चीनियों, पश्चिम के अरबों और उत्तर भारत के श्वेतों जैसे दिखते हैं। इसके पहले शायद ही किसी ने विभिन्न रूप-रंग वाले भारतीयों को ऐसी उपमा दी हो।

यह उपमा बेतुकी ही नहीं, आपत्तिजनक भी है। इसमें नस्ली सोच भी झलकती है, क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि किस तरह कुछ नासमझ लोग पूर्वोत्तर भारत के लोगों को चीनी कहकर चिढ़ाते हैं या काले लोगों का मजाक उड़ाते हैं। इस पर आश्चर्य नहीं कि सैम पित्रोदा के बयान पर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गई। चुनाव के मौके पर कोई भी विरोधी दल ऐसा ही करेगा।

कांग्रेस को एक बार फिर सैम पित्रोदा के कथन से वैसे ही पल्ला झाड़ना पड़ा, जैसे विरासत टैक्स वाले बयान से झाड़ना पड़ा था। इससे बात बनी नहीं और इसी कारण सैम पित्रोदा को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देना पड़ा, जिसे पार्टी ने तत्काल स्वीकार कर लिया। इससे यही स्पष्ट होता है कि वह कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गए थे। इसलिए और भी, क्योंकि वह यह भी कह गए थे कि अयोध्या में निर्मित राम मंदिर भारत के विचार के विपरीत है।

निःसंदेह बात केवल सैम पित्रोदा की ही नहीं है। बीते दिनों कांग्रेस के कुछ और नेताओं ने पार्टी की फजीहत कराने वाले बयान दिए हैं। हाल में महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने मुंबई हमले के दौरान बलिदान पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के बारे में यह बयान दिया कि वह पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब नहीं, बल्कि आरएसएस के करीबी पुलिस अफसर की गोली का निशाना बने थे।

विरोध और फजीहत होने पर वह तो लीपापोती में लग गए, लेकिन शशि थरूर बीच में कूद पड़े और उन्होंने यह मांग कर दी कि विजय वडेट्टीवार के आरोपों की जांच होनी चाहिए। आखिर वह यह कैसे भूल गए कि इस मामले की जांच भी हुई थी और अजमल कसाब को फांसी भी हुई थी? उस समय मनमोहन सरकार सत्ता में थी और खुद शशि थरूर इस सरकार में मंत्री थे।

आखिर शशि थरूर इतना गैर जिम्मेदाराना बयान कैसे दे सकते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस में जिसके जो मन में आ रहा है, बिना सोचे-समझे बोल रहा है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि बीते दिनों पुंछ में आतंकी हमले को लेकर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने यह कह दिया कि यह हमला भाजपा की चुनावी नौटंकी है। बाद में उन्हें भी अपने इस बयान के लिए सफाई देनी पड़ी। कांग्रेस यह समझे तो बेहतर कि उसके नेताओं के बेतुके बयान उस पर बहुत भारी पड़ रहे हैं।