प्राइम टीम, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब अंतरित बजट का भाषण पढ़ा, तो उम्मीद के मुताबिक उसमें कोई लोकलुभावन योजना नहीं थी। लेकिन बजट भाषण में उनके एक ऐलान से देश के स्टार्टअप जगत की बांछें खिल गईं। यह ऐलान था तकनीकी रिसर्च के लिए 50 साल तक ब्याज मुक्त एक लाख करोड़ रुपए के फंड के निर्माण का। जानकारों का मानना है कि यह फंड बड़ी संख्या में स्टार्ट-अप और उद्यमियों को डीप-टेक, जेनरेटिव एआई और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में मदद करेगा।

वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि यह फंड प्रौद्योगिकी के उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण की पेशकश करेगा। इसके अलावा, केंद्र सरकार रक्षा क्षेत्र में "डीप-टेक" अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक और योजना शुरू करने की योजना बना रही है।

एक लाख करोड़ रुपए का यह फंड स्टार्टअप संस्कृति को छोटे शहरों की ओर ले जाने की ताकत रखता है। वेंचर कैपिटल फर्म अर्थ इंडिया वेंचर्स के निदेशक अनिरुद्ध ए दमानी कहते हैं, ईवी और डीप टेक क्षेत्रों के लिए बजट के प्रावधान स्टार्टअप्स में वेंचर कैपिटल का आकर्षण बढ़ाते हैं। इससे निवेशकों का विश्वास भी मजबूत होता है। लंबे समय के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के फंड की शुरुआत और ब्याज मुक्त कर्ज ऐतिहासिक पहल है, जो टियर-2 और टियर-3 शहरों में उद्यमशीलता को बढ़ावा देगा। ब्याज मुक्त कर्ज प्रदान करने का सरकार का कदम एक गेम-चेंजर है, जो न केवल पूंजी पहुंच को सुविधाजनक बनाता है, बल्कि बेहतरीन स्टार्टअप की तलाश में संस्थागत निवेशकों की गहरी पैठ को भी प्रोत्साहित करता है।

सीफंड के सह-संस्थापक और प्रबंध भागीदार मयूरेश राउत कहते हैं, "रक्षा में डीपटेक की योजना न केवल सरकार को स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से मेक इन इंडिया पहल को संबोधित करने में मदद करेगी बल्कि इन प्रौद्योगिकियों को अन्य नागरिक उपयोगों के लिए भी अनलॉक करेगी। हमारे जैसे डीपटेक केंद्रित फंड निश्चित रूप से इस तरह की सक्षम पहल से लाभान्वित होंगे।

डीपटेक को बढ़ावा देने से देश की अर्थव्यवस्था के स्वरूप में बदलाव आने की भी संभावना है। वेंचर कैपिटलिस्ट और कर्नाटक डिजिटल इकोनॉमी मिशन के अध्यक्ष बीवी नायडू के अनुसार, डीप-टेक पर फोकस करना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत को सेवा-केंद्रित अर्थव्यवस्था से बौद्धिक संपदा आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाएगा। नायडू के अनुसार, इससे देश प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इज़रायल, अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, कोरिया और जापान जैसे अग्रणी देशों के साथ बराबरी करने में सक्षम होगा।

देश में हाल में शुरू हुए स्पेस सेक्टर को भी इस बजट ने नई ऊर्जा दे दी है। भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट-जनरल एके भट्ट ने कहा कि सरकार के एक लाख करोड़ के फंड बनाने के प्रस्ताव से देश के सैकड़ों अंतरिक्ष तकनीक स्टार्ट-अप को भी लाभ होगा। यह फंड निश्चित रूप से उन्हें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विभिन्न उभरते डोमेन में नवाचार करने और आगे अनुसंधान करने के लिए सहायता प्रदान करेगा।

ईवी फर्म रैप्टी एनर्जी के सह-संस्थापक और सीईओ दिनेश अर्जुन इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए भी इसे महत्वपूर्ण मानते हैं। अर्जुन कहते हैं, ईवी पारिस्थितिकी तंत्र को और विकसित करने के लिए अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना उत्साहजनक है। जैसे ही सरकार ईवी पब्लिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ढांचे को बढ़ाने के लिए योजना का ब्योरा पेश करेगी, देशभर में पब्लिक चार्जर की उपलब्धता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। इससे हमारे देश में ईवी अपनाने में सबसे बड़ी बाधा 'रेंज की चिंता' भी खत्म हो जाएगी।

अर्जुन कहते हैं, ईवी चार्जिंग इन्फ्रा में वृद्धि से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे क्योंकि कंपनियां चार्जिंग इन्फ्रा को चलाने और बनाए रखने की तकनीकी जानकारी रखने वाले लोगों की तलाश में रहेंगी। इससे उद्यमिता के अवसर भी बढ़ेंगे।

मयूरेश राउत भी इसमें रोजगार का बड़ा अवसर देखते हैं। राउत के अनुसार, रूफ टॉप सोलर योजनाएं न केवल स्वच्छ ऊर्जा के लिए हमारे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक बड़ा बढ़ावा होंगी, बल्कि भारत को ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे को संबोधित करने के लिए भी तैयार करेगी जो वर्तमान में ईवी को व्यापक रूप से अपनाने में बाधा बन रही है। इससे सौर बुनियादी ढांचे की स्थापना, विनिर्माण और रखरखाव के लिए भारी नौकरियां भी पैदा होंगी।