स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक व्हीकल समेत मोबाइल फोन, लैपटॉप की रिचार्जेबल बैटरी में इस्तेमाल होने लिथियम की कीमत पिछले साल 80% कम हो गई। इस साल भी इसकी कीमत में कमी आने की पूरी संभावना है। ईवी की कुल लागत में करीब 30% हिस्सेदारी बैटरी की होती है, इसलिए इसका फायदा प्राइस कट के रूप में ग्राहकों को भी मिलेगा। देश की सबसे बड़ी ईवी कंपनी टाटा मोटर्स ने अपने ईवी के दामों में 1.2 लाख रुपए तक की बड़ी कटौती कर इसकी शुरुआत भी कर दी है।

ऑस्ट्रेलियाई मुख्य अर्थशास्त्री कार्यालय (एओसीई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्तमान में लिथियम कार्बोनेट की कीमतें 13,446 डॉलर प्रति टन पर हैं, जो सालाना आधार पर 80 फीसदी कम है। लिथियम की कीमत में अभी और कमी आने की संभावना है, क्योंकि बाजार सरप्लस प्रोडक्शन के दौर में प्रवेश कर रहा है।

चीन में ईवी की बिक्री में कमी आने की आशंका के चलते बैटरी की मांग उम्मीद से कम रह गई है। दुनिया में आधी से ज्यादा ईवी चीन में ही बिकती हैं। ऐसे में बैटरी निर्माताओं की ओर से लिथियम की मांग में भी कमी आ गई है। वहीं, 2022 में लिथियम के दाम बढ़ने से खनन कंपनियों ने लिथियम का उत्पादन बढ़ा दिया था, जो अभी भी जारी है।

इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी रैप्टी के सीईओ दिनेश अर्जुन कहते हैं, बैटरियों की कीमत कई कारणों से कम हो रही है। सबसे पहले, वैश्विक सप्लाई चेन में सहजता आई है, जिससे उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी आई है। दुनियाभर की सरकारें सब्सिडी के माध्यम से खनन और सेल मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को आक्रामक रूप से बढ़ावा दे रही हैं, जिससे भी लागत में कमी आ रही है। इन सब के चलते, बीते कुछ महीनों में बैटरी की अत्यधिक सप्लाई हुई, जबकि मांग में गिरावट आ गई। इससे बैटरी की कीमतों में कमी आई।

वैश्विक कारकों के अलावा कुछ घरेलू उपाय भी देश में बैटरी की कीमत कम करने में मदद कर रहे हैं और करेंगे। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की ओर से बैटरी स्टोरेज सिस्टम के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग की घोषणा से वित्त वर्ष 2028 तक देश में बैटरी भंडारण क्षमता लगभग 4 गीगावाट हो जानी चाहिए। अब तक, देश में बैटरी भंडारण क्षमता बैटरी की उच्च लागत के कारण कम थी, लेकिन वीजीएफ योजना जैसे कदमों से यह कमी भी दूर हो जाएगी।

अर्जुन कहते हैं, पिछले तीन महीनों में ही बैटरी की कीमत में 14% की कमी आई है। यह अब 139 डॉलर प्रति किलोवाट के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। गिरावट का यह ट्रेंड अभी जारी रहेगा, कम बैटरी लागत ईवी को उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती बनाती है। इससे ईवी अपनाने में तेजी आएगी।

एपोनिक्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के को-फाउंडर और डायरेक्टर निदेशक मनीष चुघ भी दिनेश अर्जुन से इत्तेफाक रखते हैं। चुघ कहते हैं, लिथियम बैटरी की कीमतों में गिरावट ईवी सेक्टर के लिए गेम-चेंजर है। 2023 में लिथियम की कीमतों में 80% की गिरावट आई, लिथियम डेफिसिट से सरप्लस ने अधिक टिकाऊ और किफायती भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया है।

क्या यह प्रवृत्ति भविष्य में भी जारी रहेगी?

अर्जुन कहते हैं, बैटरी की लागत में गिरावट का यह ट्रेंड भविष्य में भी जारी रहने की उम्मीद है। ईवी निर्माता कीमतों में और कमी करेंगे, क्योंकि उनकी लागत में स्पष्ट कमी आएगी और बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करेगी।

मनीष चुघ ने जागरण प्राइम से कहा कि हमारा अनुमान है कि बैटरी की कीमत में कमी का यह ट्रेंड जारी रहेगा, जिससे आने वाले वर्षों में ईवी की लागत और भी कम हो जाएगी। लिथियम बैटरी की कीमतों में गिरावट से दुनियाभर में उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अधिक सुलभ और किफायती बनाने में तेजी आएगी।

क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक अंकित हखू कहते हैं, “वीजीएफ बैटरी-स्टोरेज परियोजना की लागत को 40% तक कम करने में मदद कर सकता है। इस बीच, बैटरी की कीमतें भी गिरकर 140 डॉलर प्रति किलोवाट-घंटा के करीब आ गई हैं। लिथियम की खनन क्षमताओं में वृद्धि को देखते हुए यह माना जा सकता है कि कीमतें भले और नीचे ना जाएं, लेकिन यहां से ऊपर भी नहीं जाएंगी।