बनारस शहर धर्म की नहीं बल्कि आध्यात्मिक नगरी है। यहां मृत्यु का शोक नहीं, जीवन की खुशी नहीं, बल्कि बसती है तो इन दोनों के बीच होने वाला आनंद। यह ढेरो रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए है, यह दिल में तो आता है पर समझ में नहीं आता। यहां पर ज्ञान की गंगा बहती रहती है। चाय चल रही है और पान की गिलौरियां धड़ाधड़ मुंह में गायब हो रही हैं। कहा भी जाता है, ‘बनारस में सब गुरु, केहू नाहीं चेला।’ इसलिए बनारस को कृपया उसकी टूटी सड़कों और गंदी गलियों से न देखें। हल्की फुल्की बातों में भी बनारस जीवन का मर्म बता देता है।
बीमारी विशेष को चिह्नित कर आईएमए ने विशेष कैंप लगाने के लिए कितने फीसदी काम किया है?
49%आईएमए की ओर से अत्याधुनिक ब्लड बैंक ऑटो डीफिब्रिलेटर लगने की प्रगति कितनी हुई है?
49%औद्योगिक क्षेत्रों को सजाने-संवारने के लिए कितना प्रतिशत काम हुआ है?
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