आजादी के 76 वर्षों में समस्त भारतवासियों को एक साथ ऐसी गौरव की अनुभूति शायद ही पहले कभी हुई हो। और होती भी क्यों न! हमने वह कारनामा कर दिखाया जो अब तक कोई दूसरा देश नहीं कर सका। हम चांद के उस छोर पर पहुंच गए जहां जाना कल तक नामुमकिन लग रहा था। वर्षों के परिश्रम से मिली इस कामयाबी के लिए हमारे वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। वे विश्व को यह भरोसा दिलाने में सफल हुए हैं कि चांद को समझने और आदित्य एल-1 मिशन, गगनयान, शुक्रयान जैसी आगे की चुनौतियों पर भी वे विजय पा लेंगे। अंतरिक्ष में मिली यह सफलता हमें दूसरे क्षेत्रों में भी ऐसे ही परिश्रम के लिए प्रेरित करती है। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए यह जरूरी है।

अभी अनेक मोर्चों पर बहुत काम करना है। ख़ासतौर पर गाँव- क़स्बों की सेहत को लेकर। रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स 2021 के अनुसार सामुदायिक केंद्रों में डॉक्टरों की कमी 57% तक है। दो-तिहाई आबादी ग्रामीण इलाकों में है, लेकिन सिर्फ 33% स्वास्थ्यकर्मी और 27% डॉक्टर वहां उपलब्ध हैं। कृषि इन्फ्रा में भी और सुधार चाहिए। अभी कुछ खामियों के कारण कभी प्याज चुनावी मुद्दा बन जाता है तो कभी टमाटर ‘लाल’ हो जाते हैं।

हालांकि, बीते 76 वर्षों में हमने बहुत कुछ हासिल भी किया है जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी की विकास यात्रा का गवाह है। विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं, आजादी के समय भारतीयों की औसत उम्र सिर्फ 32 वर्ष थी, जो अब 70 वर्ष से अधिक है। मृत्यु दर 28.1 से घटकर 7.41 रह गई है। साक्षरता 1947 में 12% थी, जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार यह 74.04% हो गई है। आबादी (1951 में 36 करोड़) चार गुना बढ़ी तो अनाज उत्पादन 6 गुना बढ़कर 2021-22 में 3157 लाख टन हो गया। प्रति व्यक्ति आय भी 1950-51 के 255 रुपये से बढ़कर 2021-22 में 1.71 लाख हो गई। आज भारत सैन्य क्षमता में दुनिया के शीर्ष चार देशों में शुमार होने के साथ सबसे बड़ा जेनरिक ड्रग और वैक्सीन निर्माता है। स्टील, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल और टेलीकॉम के क्षेत्र में भी हम शीर्ष देशों में हैं। हमारा स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में तीसरा बड़ा है। हमारे 100 से ज्यादा स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन चुके हैं।

इस अंक में हमने आम जन से जुड़े पांच प्रमुख पहलुओं- सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, शिक्षा और स्वास्थ्य की गहराई से पड़ताल की है। इनकी उपलब्धियां के साथ हमने इनकी चुनौतियों को भी रेखांकित किया है।

(यह लेख जागरण प्राइम के अगस्त अंक की मैगजीन में प्रकाशित है)