सड़क जाम से परेशानी पर भले ही हाई कोर्ट की टिप्पणी तत्कालिक तौर पर राजधानी रांची के लिए हो, लेकिन झारखंड के अन्य शहरों की स्थिति भी यातायात और फुटपाथ के मामले में रांची जैसी ही है। सड़कों पर जगह-जगह जाम से जहां एक ओर प्रदूषण बढ़ता है, वहीं आम आदमी परेशान हो जाता है। मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट पर ही हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है। 'दैनिक जागरण' इस मामले में हमेशा सजग रहा है। अखबार के माध्यम से देश स्तर पर यह जताया गया था कि फुटपाथ पर किस प्रकार का कब्जा है और आम आदमी अपने चलन में किस प्रकार की असुविधा महसूस करता है। झारखंड के लगभग सभी प्रमुख शहरों की यही स्थिति है।

जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की कोर्ट ने ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को गंभीर टिप्पणी की है। यह कहा है कि नगर निगम और पुलिस को मेन रोड में सड़क पर लगी दुकानों को हटाना चाहिए ताकि यातायात व्यवस्था सुगम हो सके। कोर्ट ने आम आदमी के दर्द को बयां किया है। यह कहा कि मेन रोड में पार्किंग के लिए जगह नहीं है और जब लोग बिना विकल्प के गाड़ी सड़क किनारे खड़ी करते हैं तो उन्हें पुलिस तंग करती है। कोर्ट ने पुलिस और हॉकर्स के बीच साठगांठ का अंदेशा जताया है। हालांकि केवल पुलिस ही इस अराजकता की दोषी नहीं है। स्थानीय निकाय और सरकार ने भी गंभीरता से इस दिशा में ठोस काम अब तक नहीं किया है।

वेंडर जोन बनाने की हमेशा घोषणा होती है। दिन ब दिन फुटपाथ पर अतिक्रमण सघन होता जा रहा है, उसकी तुलना में फुटपाथी दुकानदारों के लिए स्थायी विकल्प नगण्य हैं। पिछली सरकार ने मछली विक्रेताओं के लिए सड़क किनारे ही लोहे की दुकानें सजा दीं। इन सबका असर यह हुआ है कि हर शहर में मुख्य सड़क अतिक्रमित हो गई है। हाई कोर्ट की ओर से जवाब मांगे जाने पर भी सरकार के स्तर पर शिथिलता दिख रही है। कोर्ट ने इस संबंध में पथ निर्माण व नगर विकास के सचिवों द्वारा जवाब नहीं दाखिल करने पर कड़ी नाराजगी जताई और कड़ा रुख अख्तियार करने की चेतावनी दी है। सरकार के स्तर की शिथिलता का आलम यह है कि 28 में सिर्फ 10 निकायों में टाउन वेंडर कमेटी का गठन किया गया है। राजधानी रांची में ही अभी तक वेंडर कमेटी का गठन नहीं हो पाया है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत इस दिशा में सक्रिय हो। हाई कोर्ट की सख्ती से नहीं सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और प्राथमिकता से सुगम यातायात बहाल होना चाहिए।

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हाई कोर्ट ने कहा है कि नगर निगम और पुलिस को मेन रोड में सड़क पर लगी दुकानों को हटाना चाहिए ताकि यातायात व्यवस्था सुगम हो सके।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]