शैलेश चंद्रा। वर्तमान समय में सड़क दुर्घटनाएं लोगों की मृत्यु का एक बड़ा कारण बन रही हैं। सड़क दुर्घटनाएं दुनिया भर में होती हैं। एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में हर साल लगभग 11.9 लाख लोगों की जान जा रही है। इसमें अकेले भारत की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है। यह बहुत अधिक है। समय के साथ सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। वर्ष 2022 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1.68 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं। इससे सड़क एवं वाहन संबंधी सुरक्षा की आवश्यकता का महत्व पता चलता है। इसके लिए हमारी सरकार इंजीनियरिंग, एजुकेशन, इन्फोर्समेंट और इमरजेंसी केयर पर विशेष जोर दे रही है।

हालांकि केवल इतने भर से सड़कें अधिक सुरक्षित नहीं होंगी। इसके साथ डिजाइनों के विकास से वाहन सुरक्षा को भी निरंतर बेहतर बनाने के प्रयास करने होंगे। एक सुरक्षित वाहन का निर्माण करना पेचीदा कार्य है। इसमें संपूर्ण उत्पाद विकास प्रक्रिया में विभिन्न हितधारकों के बीच निर्बाध सहयोग की जरूरत होती है। सड़क पर वाहनों को टक्कर से लेकर सुरक्षा की अनगिनत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मानव शरीर की रचना और सड़कों पर अप्रत्याशित परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही किसी वाहन की डिजाइन की जाती है, जो विपरीत परिस्थितियों में अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित कर सके।

इन दिनों यह देखा जा रहा है कि कई वाहन निर्माता गाड़ियों को सुरक्षित बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। इससे वाहन महंगे तो हो ही रहे हैं, सभी के लिए वाहन सुरक्षा सुलभ बनाने का उद्देश्य भी पूरी नहीं हो रहा है। इसलिए आटो निर्माताओं को सभी तरह के वाहनों में सुरक्षा के साथ-साथ सस्ते विकल्प प्रदान करने चाहिए। इसके लिए सड़क दुर्घटना के आंकड़ों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जा सकता है।

वाहन संबंधी सुरक्षा का मामला महज एयरबैग लगाने तक सीमित नहीं है। इसमें वाहन की डिजाइन, ड्राइविंग का परिवेश और ड्राइवर का व्यवहार और दुर्घटना के पहले, दुर्घटना के समय एवं दुर्घटना के बाद की स्थितियों को संभालना भी शामिल हैं। सुरक्षा विशेषताओं को निष्क्रिय और सक्रिय प्रणालियों में वर्गीकृत किया गया है। सक्रिय वाहन सुरक्षा विशेषताओं को कार दुर्घटना रोकने के लिए डिजाइन किया जाता है, वहीं निष्क्रिय वाहन सुरक्षा विशेषताएं उस समय सुरक्षा प्रदान करती हैं, जब दुर्घटना को रोकना संभव नहीं होता।

निष्क्रिय सुरक्षा विशेषताओं में सीट बेल्ट, एयरबैग, हेड रेस्ट्रेंट और आइसोफिक्स माउंट जैसे उपकरण शामिल हैं, जो टक्कर के दौरान सक्रिय हो जाते हैं। सक्रिय सुरक्षा में ब्रेक असिस्ट, टायर प्रेशर मानिटर और पार्किंग सेंसर जैसी विशेषताएं शामिल हैं, जो दुर्घटना को रोकती हैं। इसके साथ-साथ एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंट सिस्टम तकनीक भारतीय आटोमोबाइल बाजार में अधिक प्रासंगिक हो रही है। यह सक्रिय रूप से संभावित दुर्घटनाओं को रोककर या इनका प्रभाव कम करके वाहन संबंधी सुरक्षा बढ़ाती है।

एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंट सिस्टम में अनेक उप-प्रणालियां भी शामिल हैं, जो ड्राइवर को सड़क पर कई प्रकार के खतरों के प्रति सावधान करती हैं। इनमें आटोनामस इमरजेंसी ब्रेकिंग, लेन से हटने पर चेतावनी, ब्लाइंड स्पाट, आगे टक्कर होने के संकेत देने आदि की व्यवस्था होती है। ये सभी एक साथ मिलकर सड़क पर ड्राइवर को ज्यादा सतर्क रहने को प्रोत्साहित करके और कुछ मामलों में स्वचालित रूप से कुछ कारवाई करके वाहन की सुरक्षा उन्नत करती हैं और कम-से-कम नुकसान होने देती हैं। ये ड्राइवर के व्यवहार में भी काफी सुधार करती हैं, जिससे वह सतर्कतापूर्वक वाहन चलाता है। इससे सड़कें ज्यादा सुरक्षित बनती हैं।

आटो निर्माता अपने-अपने वाहनों का मूल्यांकन करने के लिए स्वतंत्र सुरक्षा प्रोटोकाल पर निर्भर करते हैं। फलस्वरूप उन्हें विस्तृत परीक्षणों के बाद स्टार रेटिंग प्राप्त होती है। ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (जीएनसीएपी) जैसे संगठनों से प्राप्त रेटिंग से दुर्घटना में चोट की आशंका का संकेत मिलता है। फाइव-स्टार रेटिंग को काफी सुरक्षित माना जाता है, जिसमें वन-स्टार रेटिंग वाले वाहनों की तुलना में प्राणघातक चोट का खतरा कम होता है। इसके चलते ज्यादा सख्त टक्कर परीक्षण और मूल्यांकन मानदंडों के लागू होने से वाहनों की सुरक्षा काफी उन्नत हुई है। इसने विनिर्माताओं को सुरक्षा व्यवस्थाओं को उन्नत करने को प्रेरित किया है। इसमें पैदल राहगीरों की सुरक्षा पर भी जोर दिया गया है। वाहनों की बाहरी डिजाइन को इस प्रकार बनाने को प्रोत्साहित किया गया है, जिससे टक्कर की स्थिति में पैदल राहगीरों को कम-से-कम चोट आए। भारत ने सड़क सुरक्षा व्यवस्था लागू करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया है। इससे ग्राहक विभिन्न वाहनों की सुरक्षा के पहलुओं का मूल्यांकन करने में समर्थ होते हैं।

सुरक्षित वाहन बनाना एक सतत वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो व्यापक अनुसंधान तथा सुरक्षा विशेषज्ञों, उपकरण निर्माता कंपनियों, सरकारी संगठनों के सामूहिक प्रयास और सबसे बढ़कर जागरूक उपभोक्ताओं से प्रेरित होती है, जो अब अपनी कारों में सुरक्षा संबंधी विशेषताओं की मांग करने लगे हैं। जिस प्रकार सड़कों और वाहनों का विकास हो रहा है, उसे देखते हुए वाहन सुरक्षा बढ़ाने के प्रति वचनबद्धता भी बढ़नी चाहिए। इसका अंतिम लक्ष्य सड़क का प्रयोग करने वाले लोगों का भविष्य सुनिश्चित करना है। इसके अलावा सुरक्षित ड्राइविंग तकनीक के बारे में जनसाधारण को शिक्षित करना और सड़कों पर सुरक्षा संबंधी ठोस दिशानिर्देश लागू करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। वैसे इन सब सुरक्षा उपायों के ऊपर हमारा मन है, जिस पर नियंत्रण सबसे बढ़िया ब्रेक है।

(लेखक टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं)