इसमें संदेह नहीं कि पुंछ में वायुसेना के काफिले पर आतंकी हमले का एक मकसद अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर मतदान से पहले माहौल बिगाड़ने की कोशिश होगी और इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ होगा। इस हमले में एक जवान बलिदान हुआ और पांच घायल हो गए। आतंकियों की तलाश में सघन अभियान जारी है, लेकिन न केवल यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उन्हें खोजकर ठिकाने लगाया जाए, बल्कि यह भी कि इस तरह के हमलों की उनकी क्षमता का दमन किया जाए। इसकी भरी-पूरी आशंका है कि चुनावों के चलते पाकिस्तान के इशारे पर जम्मू-कश्मीर में आने वाले दिनों में भी आतंकी इसी तरह के हमले करने की वैसी ही कोशिश कर सकते हैं, जैसी उन्होंने पिछले लोकसभा चुनावों के ठीक पहले पुलवामा में की थी। इस आशंका का एक बड़ा कारण राजौरी-पुंछ क्षेत्र की पीर-पंजाल पर्वतमाला में आतंकियों की सक्रियता है। इस इलाके में पिछले एक वर्ष में सेना के काफिलों पर कई आतंकी हमले हो चुके हैं। इन हमलों में लगभग 20 सैन्य अफसरों और जवानों को अपना सर्वोच्च बलिदान देना पड़ा है। यह एक बड़ी क्षति है। पुंछ-राजौरी इलाके में आतंकी हमलों का सिलसिला तभी बंद होगा, जब पीर-पंजाल की पहाड़ियों में ठिकाना बनाने वाले आतंकियों और उनकी मदद करने वाले स्थानीय लोगों पर सख्ती की जाएगी। इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि सीमा पार से आतंकी पीर-पंजाल की दुर्गम पहाड़ियों में छिपने और फिर सुरक्षा बलों पर हमला कर सुरक्षित बच निकलने में सफल न होने पाएं। यह ठीक नहीं कि वे बचकर निकल जाते हैं।

वास्तव में पीर-पंजाल की पहाड़ियों और गुफाओं में एक बार फिर आपरेशन सर्प विनाश जैसे किसी सैन्य अभियान की आवश्यकता है। करीब दो दशक पहले छेड़े गए इस अभियान में बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया किया गया था। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान से आए अथवा उसकी शह पर सक्रिय आतंकियों ने पीर-पंजाल में फिर से अपना ठिकाना बना लिया है। आशंका इसकी भी है कि कुछ स्थानीय लोग आतंकियों की मदद कर रहे हैं। यह ध्यान रहे कि वायुसेना के काफिले पर हमला करने वाले आतंकी एक बस्ती से निकल कर आए थे। यह हमला यह भी बताता है कि पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ कराने और उनकी सहायता करने से बाज नहीं आ रहा है। यह मानने के भी अच्छे-भले कारण हैं कि आतंकी कश्मीर के स्थान पर जम्मू क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। इसके कारणों का पता लगाकर उनका निवारण करने का समय आ गया है। इसके साथ ही पाकिस्तान पर दबाव बनाने के भी नए उपाय खोजे जाने चाहिए, क्योंकि वह रणनीति बदल-बदलकर जम्मू-कश्मीर में हस्तक्षेप करता ही रहता है। भारत सरकार को उन तत्वों के खिलाफ भी अपनी निगाह टेढ़ी करनी होगी, जो आतंकी गतिविधि बढ़ते ही पाकिस्तानपरस्ती का परिचय देने लगते हैं।