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संस्कृत सभी भाषाओं की जननी

पिथौरागढ़: संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसके प्रचार-प्रसार की जरूरत है। जिससे अधिक से अधिक लोगों त

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 May 2017 04:22 PM (IST)Updated: Tue, 16 May 2017 04:22 PM (IST)
संस्कृत सभी भाषाओं की जननी
संस्कृत सभी भाषाओं की जननी

पिथौरागढ़: संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसके प्रचार-प्रसार की जरूरत है। जिससे अधिक से अधिक लोगों तक संस्कृत भाषा की पहुंच हो। यह विचार संस्कृत भारती द्वारा आयोजित जनपदीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने रखे। आगामी 31 मई से हल्द्वानी में होने वाले संस्कृत भाषा त्रिविध प्रशिक्षण वर्ग के लिए सोमवार को संस्कृत भारती द्वारा एक जनपद स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की शुरुआत करते हुए डॉ. भारती ने कहा कि देश की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत का एक अलग महत्व है। हमारे आदि ग्रंथों के साथ गणित, विज्ञान, आयुर्वेद आदि विषयों के महान ग्रंथ की रचना संस्कृत में की गई। जो आज हमारे राष्ट्रीय धरोहर हैं। धर्मराज भट्ट ने कहा कि संस्कृत भाषा सीधे हमारे संस्कारों को प्रभावित करती है। आज इसकेअध्ययन-अध्यापन को रू चिकर बनाने और प्रचार-प्रसार करने की जरू रत है। गोष्ठी में मनोज, मुकेश, गणेश सिंह, रमेश पांडेय आदि ने विचार रखे।

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