संस्कृत हमारी धरोहर: सीएम
जागरण संवाददाता, देहरादून: संस्कृत हमारी द्वितीय राजभाषा होने के साथ-साथ राष्ट्रीय धरोहर व मानव सभ्य
जागरण संवाददाता, देहरादून: संस्कृत हमारी द्वितीय राजभाषा होने के साथ-साथ राष्ट्रीय धरोहर व मानव सभ्यता के इतिहास की भाषा है। वर्तमान समय में संस्कृत को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह विचार संस्कृत भारती के संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर रखे।
आर्य कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में आयोजित संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत को लोकभाषा बनाने के लिए हमें संस्कृत में ही संभाषण करना चाहिए। साथ ही उन्होंने वेदों में निहित ज्ञान को जनमानस तक पहुंचाने का आह्वान किया। संस्कृत में गणित, विज्ञान आदि शास्त्र समाहित हैं। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि संस्कृत में शोध पर आधारित संस्कृत ज्ञान को आगे बढ़ाने की जरूरत है। संस्कृत संस्कारों की जननी है और इसी से हमारी सभ्यता व संस्कृति जीवित रहेगी।
इस दौरान संस्कृत भारती के प्रांत अध्यक्ष डॉ. बुद्धदेव शर्मा ने कहा कि संस्कृत कंप्यूटर के छठे व सातवें संस्करण की भाषा है और आगे इसे सभी लोगो को पढ़ना पढ़ेगा। संस्कृत भारती का उद्देश्य है कि आम जनमानस जाति, वर्ग व भेद के बिना सरल संस्कृत में संभाषण कर संस्कृत को अपने दैनिक व्यवहार में इस्तेमाल करे। इस दौरान महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अन्नपूर्णा ने कहा कि चारों वेद संस्कृत में हैं। संस्कृत को जाने बिना भारत की उन्नति संभव नहीं है। वेद शब्द का अर्थ विज्ञान है। संस्कृत हमारी आत्मा एवं प्राण भाषा है। इस दौरान शिवनाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सूर्यमोहन भट्ट ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में द्रोण स्थली कन्या गुरुकुल, शिवनाथ संस्कृत महाविद्यालय और पौंधा गुरुकुल के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रस्तुतियां दी। इस दौरान डॉ. रत्नलाल भट्ट, डॉ. शैलेंद्र डंगवाल, डॉ. रामभूषण बिजल्वाण, शिल्पा, देवी लाल आदि मौजूद रहे।