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लापरवाही सूखा रही हरियाली: चार करोड़ के पानी में बेपानी हुए पौधे, हजारों ने तोड़ा दम

टेंडर में शहर के सभी प्रमुख मार्गों के डिवाइडरों पर पौधा लगाने व सड़क किनारे बड़े गमलों में पौधा लगाना था। कंपनी को तीन-साल तक पौधे की देखभाल भी करनी थी ताकि कोई पौधा सूख न सके। इसके बावजूद पौधों की निराई-गुड़ाई खाद देना तो दूर नियमित पानी तक नहीं मिल पा रहा है। निगम कंपनी को अब तक 2.34 करोड़ रुपये भुगतान कर चुका है।

By Ajay Krishna Srivastava Edited By: Vivek Shukla Published: Fri, 26 Apr 2024 01:56 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2024 02:02 PM (IST)
मलदहिया चौराहे के पास डिवाइडर पर लटकाए गए गमले के पौधे देखरेख के अभाव में मुरझा गए l जागरण

अजय कृष्ण श्रीवास्तव, जागरण वाराणसी। गर्मी से केवल इंसान या अन्य जीव जंतु ही परेशान नहीं हैं बल्कि इसका असर वे पेड़-पौधे भी झेल रहे हैं, जिनकी जड़ों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है, जबकि पौधे लगाने व रखरखाव के नाम पर नगर निगम करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है।

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हाल यह है कि साल भर पहले शहर के प्रमुख सड़कों के डिवाइडरों पर लगाए गए हजारों पौधे पानी की अभाव में दम तोड़ रहे हैं। यही हाल सड़क के किनारे लगे बड़े-बड़े गमलों का भी है। निगम ने जी-20 सम्मेलन के दौरान शहर को हरा-भरा बनाने के लिए मंडुवाडीह की डीके कंस्ट्रक्शन कंपनी को 4.5 करोड़ का ठेका दिया था।

टेंडर में शहर के सभी प्रमुख मार्गों के डिवाइडरों पर पौधा लगाने व सड़क किनारे बड़े गमलों में पौधा लगाना था। कंपनी को तीन-साल तक पौधे की देखभाल भी करनी थी ताकि कोई पौधा सूख न सके। इसके बावजूद पौधों की निराई-गुड़ाई, खाद देना तो दूर नियमित पानी तक नहीं मिल पा रहा है।

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निगम कंपनी को अब तक 2.34 करोड़ रुपये भुगतान कर चुका है। अब कंपनी ने पौधों के रखरखाव के लिए निगम को 49 लाख रुपये का बिल दिया है। इसमें एक 35 लाख व दूसरा 14 लाख रुपये का बिल शामिल है। निगम ने फिलहाल कंपनी का भुगतान रोक दिया है।

उद्यान विभाग ने सत्यापन बाद ही भुगतान करने की शर्त रखी है। निगम के अधिकारी भी मान रहे हैं कि सड़कों के डिवाइडरों पर लगे पौधों की नियमित देखभाल नहीं हो रही है। इसके बावजूद इस संबंध बात करने से कतरा रहे हैं।

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हरियाली के नाम पर 2.34 करोड़ का घालमेल

नागरिकों का कहना है कि 2.34 करोड़ रुपये में शहर के कोने-कोने में पौधा लगाया जा सकता है। रखरखाव भी आसानी किया जा सकता है। ऐसे में हरियाली के नाम पर घालमेल किया गया है।

दुकानदार स्वयं दे रहे पौधों को पानी

शहर में तमाम दुकानदार ऐसे हैं जो अपने सामने लगे पौधे बड़े गमलों में स्वयं पानी दे रहे हैं। नागरिकों की जागरूकता से ही तमाम गमलों में पौधे अब भी टिके हैं। हालांकि बीच-बीच में टैंकर से डिवाइडर पर लगे पौधों में पानी देते देखे जा सकते हैं लेकिन इस गर्मी में पौधों को नियमित पानी की आवश्यकता है।

वार्ड नंबर 92 के पार्षद हारून अंसारी ने कहा कि जी-20 सम्मेलन के दौरान शहर को हरा-भरा बनाने के लिए नगर निगम द्वारा डिवाइडरों पर करीब दस हजार से अधिक पौधा रोपा गया था। इसके अलावा सड़कों के किनारे-बड़े-बड़े गमले रखे गए थे। इसके लिए करोड़ों रुपये का ठेका दिया गया था। संबंधित फर्म को तीन साल तक पौधों की देखभाल भी करनी थी लेकिन देखभाल तो दूर पौधों में नियमित पानी तक नहीं दिया जा रहा है। इसके कारण हजारों पौधे सूख गए। इसकी जांच के लिए चुनाव बाद होने वाली निगम की कार्यकारिणी व सदन में इस प्रकरण को उठाया जाएगा।

गतगंज निवासी दूद्वी उपाध्याय ने कहा कि तेज धूप व भीषण गर्मी पौधों को नियमित पानी देने की जरूरत है। वहीं नगर निगम सड़कों पर बड़े-बड़े गमले रखकर पानी देना ही भूल गया है। यही हाल डिवाइडरों पर पौधाें का है। 15 दिन या एक माह में टेंकर से पौधों को पानी दिया जा रहा है। इसके कारण तमाम पौधे अब सूख रहे हैं। कुछ दुकानदार अपने सामने के गमलों में अपने स्तर से सुबह-शाम पानी दे रहे हैं। इसके चलते बड़े गमलों में लगे कुछ पौधे अब भी हरा-भरा दिखाई दे रहा है।


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