'मुर्दा' इलाके में फैलाएगा दहशत! सात साल पहले मरे शख्स पर नजर रखेगी पुलिस; जानिए क्या है पूरा मामला
UP News लोकसभा चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने की तैयारियों में जुटी पुलिस निरोधात्मक कार्रवाई में सही और गलत का फर्क भूल गए। धरातल पर सच पता किए बगैर पुलिस ने थाना और चाैकी से बैठे-बैठे सात साल पहले दिवंगत हुए व्यक्ति को पाबंद कर दिया। मामला चर्चा में आया तो एसडीएम ने कोतवाल हसनगंज में मामले में रिपोर्ट तलब की है।
संवाद सूत्र, हसनगंज। लोकसभा चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने की तैयारियों में जुटी पुलिस निरोधात्मक कार्रवाई में सही और गलत का फर्क भूल गए। धरातल पर सच पता किए बगैर पुलिस ने थाना और चाैकी से बैठे-बैठे सात साल पहले दिवंगत हुए व्यक्ति को पाबंद कर दिया।
मामला चर्चा में आया तो एसडीएम ने कोतवाल हसनगंज में मामले में रिपोर्ट तलब की है। सीओ ने भी जांच करा कार्रवाई की बात कही है। क्षेत्र के कुरौली गांव निवासी ज्ञानेंद्र का सात वर्ष पूर्व निधन हो गया था। लोकसभा चुनाव को लेकर निरोधात्मक कार्रवाई में जुटी पुलिस ने बिना हकीकत पता किए दिवंगत ज्ञानेंद्र को शांतिभंग में पाबंद कर दिया।
स्वजन को जानकारी हुई तो उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। आरोप है कि बिना जांच किए पुलिस कोतवाली व चौकी में चहेतों के पास बैठकर निरोधात्मक कार्रवाई का कोरम पूरा कर इस तरह की कार्रवाई कर रही है।
दिवंगत ज्ञानेंद्र के 17 वर्षीय पुत्र सुधांशु ने बताया कि पिता की बीमारी से सात साल पहले मौत हो गई थी। इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें शांति भंग में दूसरो के कहने पर पाबंद कर दिया। उसने जांच कर कार्रवाई की मांग की है।
सीओ संतोष सिंह ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि दिवंगत को शांतिभंग की आशंका पर पाबंद किया गया है तो इसकी जांच कराई जाएगी। पुलिस को साफ निर्देश दिए हैं कि किसी प्रधान या बीसीसी के कहने पर पाबंद की कार्रवाई न करें। एसडीएम हिमांशु गुप्ता ने बताया कि एक मृत व्यक्ति को शांतिभंग में पाबंद करना गलत है। प्रभारी निरीक्षक को पत्र भेजकर मामले की रिपोर्ट मांगी गई है।
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