नैमिषारण्य संस्कृत का पौराणिक केंद्र
सीतापुर : संस्कृत भाषा हमारे देश की समृद्ध, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को अपनी सुंदरतम
सीतापुर : संस्कृत भाषा हमारे देश की समृद्ध, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को अपनी सुंदरतम शैली में सहेजे हैं। आज भी संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता, लोगों द्वारा व्यापक स्वीकार्यता और प्रयोग के चलते भारत की मूल आत्मा में स्पष्ट रूप कायम है। यह बात प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री वाचस्पति मिश्र ने तीर्थ स्थित संस्कृत विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि नैमिषारण्य तीर्थ सतयुग से ही संस्कृत भाषा की शिक्षा और यज्ञ अनुष्ठानों का मुख्य केंद्र ¨बदु रहा है। जहां से पूरे विश्व को ज्ञान का प्रकाश प्राप्त होता रहा है। विदेशों में भी संस्कृत भाषा पाठ्यक्रम में सम्मिलित की जा रही है, यह हम सबके लिए गौरव की बात है। नैमिषारण्य भूमि में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए शीघ्र ही बड़े स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की योजना है। संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए शासन द्वारा गठित समिति ने नैमिषारण्य को उपयुक्त मानते हुए संस्तुति की है। केंद्र सरकार को महामना मदन मोहन मालवीय संस्कृत विश्वविद्यालय का प्रस्ताव प्रदेश सरकार ने भेज दिया है। उन्होंने संस्कृत का अध्ययन करने वाले छात्रों, शिक्षकों से भी वार्ता की। ओंकार नारायण भारद्वाज, अनंत वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य रमेश चंद्र दीक्षित, गौरव नायक, आचार्य विवेक, प्रभाकर द्विवेदी, स्वदेश शुक्ल आदि उपस्थित रहे।