प्रमुख राजनीतिक दलों से गायब ब्राह्मण चेहरा, इन प्रत्याशियों पर लगाया गया दांव; समझें संतकबीरनगर सीट के समीकरण
संतकबीरनगर लोकसभा में चुनाव की सरगर्मी बढ़ने लगी है। सभी दलों की ओर से प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं। लेकिन पहली बार इस सीट से किसी प्रमुख दल ने ब्राह्मण चेहरे पर भरोसा नहीं जताया है। राजनीतिक दलों ने इस बार अति पिछड़े एवं अल्पसंख्यक प्रत्याशी पर दांव आजमाया है। भाजपा और सपा ने निषाद मतों को सहेजने के लिए निषाद प्रत्याशी मैदान में उतारा है।
राज नारायण मिश्र, संतकबीर नगर। संतकबीरनगर लोकसभा में चुनाव की सरगर्मी बढ़ने लगी है। सभी दलों की ओर से प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं। लेकिन पहली बार इस सीट से किसी प्रमुख दल ने ब्राह्मण चेहरे पर भरोसा नहीं जताया है। राजनीतिक दलों ने इस बार अति पिछड़े एवं अल्पसंख्यक प्रत्याशी पर दांव आजमाया है। भाजपा और सपा ने निषाद मतों को सहेजने के लिए निषाद प्रत्याशी मैदान में उतारा है।
बसपा ने अल्पसंख्यक प्रत्याशी दिया है। परिसीमन से पूर्व और बाद में हुए लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो इस सीट पर न केवल ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतरे बल्कि जीत भी हासिल की। इससे पहले के चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा ब्राह्मण चेहरों को प्राथमिकता दी जाती रही है। इस बार राजनीतिक दलों ने नया दांव खेलते हुए निषाद व अल्पसंख्यक मतों को दल के परंपरागत मतों से जोड़कर जीत दर्ज कराने को प्राथमिकता दिया है।
भाजपा निषाद पार्टी से गठबंधन के साथ ही निषाद समाज को परंपरागत भाजपाई मानकर अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। सपा भी निषाद मतों को अपने पाले में करने के लिए लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को मैदान में लेकर आई है। भाजपा और सपा के दांव पर नजर रखते हुए बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर अल्पसंख्यक मतों को अपने पाले में करने की रणनीति पर फोकस किया है। बसपा हार की हैट्रिक रोककर दिल्ली का मार्ग प्रशस्त करने की तैयारी में है।