UP Lok Sabha Election: यूपी की इस लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी मैदान में, विपक्ष अब भी कर रहा नाम पर मंथन
Sant Kabir Nagar Lok Sabha पिछले दो लोकसभा चुनावों से संतकबीरनगर की सीट भाजपा के खाते में है। लगातार दो बार जीत से भाजपा इस सीट पर अपना दावा मजबूत मान रही है। जातीय गणित के आधार पर एक बार फिर प्रवीण निषाद पर दांव लगाया गया है। पार्टी इस बार भी जीत हासिल कर यहां हैट्रिक लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
राज नारायण मिश्र, संतकबीर नगर। Sant Kabir Nagar Lok Sabha संत कबीर की धरा पर चुनाव की सरगर्मी धीरे-धीरे बढ़ रही है। छठवें चरण में यहां मतदान होना है। इसी महीने के अंतिम सप्ताह से नामांकन भी शुरू हो जाएगा। भाजपा ने काफी पहले ही अपने सांसद प्रवीण निषाद को एक बार फिर मैदान में उतार दिया है।
क्षेत्र में उनका दौरा भी तेज हो गया है लेकिन विपक्ष अभी भी प्रत्याशी के नाम पर मंथन करने में जुटा है। न तो सपा व कांग्रेस गठबंधन से और न ही बसपा की ओर से किसी प्रत्याशी की घोषणा की गई है। पिछले दो लोकसभा चुनावों से संतकबीरनगर की सीट भाजपा के खाते में है। लगातार दो बार जीत से भाजपा इस सीट पर अपना दावा मजबूत मान रही है।
जातीय गणित के आधार पर एक बार फिर प्रवीण निषाद पर दांव लगाया गया है। पार्टी इस बार भी जीत हासिल कर यहां हैट्रिक लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। जबसे पार्टी ने प्रवीण निषाद को फिर से कमल थमाया है, वह अपने समर्थकों के साथ गांव-गांव पहुंच रहे हैं।
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भाजपा संगठन भी लगातार इस दिशा में काम कर रहा है। स्थानीय नेताओं के साथ ही प्रदेश स्तर के नेता भी लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं। लेकिन विपक्ष अभी प्रत्याशी चयन को लेकर ही परेशान है। सभी नेता क्षेत्र छोड़कर लखनऊ तक दौड़ लगा रहे हैं। यहां पूर्व में एक बार सपा और दो बार बसपा को जीत मिल चुकी है।
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दो दशक पहले यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती थी। कांग्रेस के दौर में यहां से दो बार कृष्ण चंद्र पांडेय व एक बार डा. चंद्रशेखर त्रिपाठी को सांसद बनने का मौका मिला था। अब कृष्ण चंद्र पांडेय वृद्ध हो चुके हैं उनकी राजनीतिक विरासत उनके पुत्र व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रवीण चंद्र पांडेय संभाल रहे हैं। बसपा से पूर्व में दो बार सांसद रहे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी वर्तमान में साइकिल पर सवार हैं।
सपा में तीन पूर्व जनप्रतिनिधियों, एक पूर्व जिलाध्यक्ष समेत कई के द्वारा दावेदारी करने के साथ ही अपनों को सहेजने का प्रयास किया जा रहा है। अभी तक के राजनैतिक परिदृश्य को देखा जाय जो विपक्ष में सपा को छोड़कर अन्य दल के संभावितों में थोड़ी सुस्ती ही नजर आ रही है। विपक्षी दल के पदाधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही विपक्ष से भी प्रत्याशी मैदान में आ जाएंगे।