Earth Day: गांव में रिड्यूस, रियूज, रिसाइकल से धरती को बचाने की पहल, सरकारी स्कूल में खोला अपना पुस्तक घर
गांव के सरकारी स्कूल में अपना पुस्तक घर खोला है। इसमें पिछली कक्षा के विद्यार्थियों की पुस्तकें संकलित कर नए छात्र छात्राओं को दी जातीं हैं और प्रतिवर्ष कम से कम 40 से 50 पेड़ कटने से बचा लेते हैं। पुरानी कापियों को भी पुनः प्रयोग लायक बना रहे हैं। वह बच्चों की पढ़ाई को प्रयोगधर्मी बनाने पर जोर देते हैं।
रमेश त्रिपाठी, प्रतापगढ़। पुस्तकों एवं कॉपियों का पुनः प्रयोग पेड़ की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, फिर पेड़ बचाते हैं पर्यावरण। रिड्यूस, रीसाइकिल और रीयूज पर्यावरण संरक्षण के मूलभूत चरण हैं। प्रतापगढ़ के सराय आनादेव गांव में सरकारी शिक्षक ने पर्यावरण संरक्षण का अनोखा प्रयास किया है।
गांव के सरकारी स्कूल में अपना पुस्तक घर खोला है। इसमें पिछली कक्षा के विद्यार्थियों की पुस्तकें संकलित कर नए छात्र छात्राओं को दी जाती हैं और प्रतिवर्ष कम से कम 40 से 50 पेड़ कटने से बचा लेते हैं। पुरानी कॉपियों को भी पुनः प्रयोग लायक बना रहे हैं। वह बच्चों की पढ़ाई को प्रयोगधर्मी बनाने पर जोर देते हैं। इस लघु प्रयास से कागज बचाओ, पेड़ बचाओ, धरती बचाओ का बड़ा संदेश दे रहे हैं।
यह शिक्षक हैं अनिल कुमार निलय। बच्चों को विज्ञान पढ़ाते हैं। वह केवल किताबी ज्ञान देने तक नहीं, कुछ हटकर करने में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि उन्होंने स्कूल में अपना पुस्तक घर खोला है।
इसमें पिछली कक्षा के विद्यार्थियों की पुस्तकें संकलित कर नए छात्र छात्राओं को दी जाती हैं। यानी पुरानी कापियों को भी संकलित कर पुनः प्रयोग लायक बना रहे हैं, ताकि कागज बचे। जब कागज बचेगा तो पेड़ कम कटेंगे।
उनकी यह पहल कागज बचाओ, पेड़ बचाओ, धरती बचाओ का बड़ा संदेश बन गई है। देखा जाए तो संसाधनों की बढ़ती अनावश्यक खपत की प्रवृत्ति ने प्रकृति को विनाश के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसे में रीसाइकिल भी अहम है।
इसमें वह ऐसे संसाधनों के प्रयोग को बढ़ावा देते हैं, बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाए पुनः प्रयोग में लाने योग्य बनाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए कागज को सात बार रीसाइकिल करके उपयोग किया जा सकता है।
रीयूज से आशय है कि सभी में वस्तुओं के पुनः प्रयोग की प्रवृत्ति विकसित करना। कहते हैं ऐसा करके एक ही पुस्तक से कई विद्यार्थियों द्वारा पढ़ाई की जा सकती है, लेकिन अनावश्यक रूप से प्रतिवर्ष नई पुस्तकें खरीदने की प्रवृत्ति ने लाखों पेड़ों की बलि चढ़ा दी है।
औसतन एक टन (1000 किलोग्राम) कागज बनाने में 17-18 पेड़ काटने पड़ते हैं। इस प्रकार अपना पुस्तक घर पहल प्रतिवर्ष 50 से अधिक पेड़ कटने से बचा रहा है। निलय कहते हैं कि यदि यह पहल सभी विद्यालय के विद्यार्थी अपना लें तो लाखों पेड़ कटने से बच सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से यह बहुत बड़ा कदम होगा।
पढ़ाई और प्रयोग से बच्चों को सिखाते हैं पर्यावरण संरक्षण
अपना पुस्तक घर के अतिरिक्त वह स्टूडेंट्स ईको क्लब के माध्यम से प्रतिवर्ष 300 से अधिक पोधों का रोपण व उनके संरक्षण के साथ ही साथ पनघट संवाद के माध्यम से नदी और पर्यावरण संरक्षण का पाठ भी पढ़ाते हैं।
अपना पुस्तक घर की स्थापना एक अप्रैल 2022 को की गई। तब से प्रतिवर्ष पुस्तकों एवं पुरानी कॉपियों का संकलन किया जा रहा है। लगभग 600 से अधिक पुस्तकों का संकलन एवं निशुल्क वितरण किया जा रहा है।
निलय द्वारा बचाओ नदियां, बचेगी दुनिया पहल के अंतर्गत दीवारों पर पेंटिंग बनाकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। वह भारत और जर्मनी की संयुक्त पहल गंगा बॉक्स के मास्टर फैसिलिटेटर भी हैं।
वह यह भी सिखाते हैं कि कैसे घर के कूड़े से जैविक तथा गंदे पानी गोबर का उपयोग बायोगैस संयंत्र में करके ईंधन बना सकते हैं, जिन अपशिष्टों का पुन: उपयोग नहीं हो सकता है उसे उद्योगों में भेज कर प्लास्टिक को नई वस्तुएं बना सकते हैं।
हम पृथ्वी को ठोस अपशिष्ट प्लास्टिक की कचरा तथा गीला कचरा से बचने के लिए अपने जीवन में तीन प्रकार से रिड्यूस, रियूज तथा रीसाइिकल का उपयोग कर सकते हैं। इस पहल को व्यापक किया जाना चाहिए। धरती बचाने की यह पहल सराहनीय है। इस तरह का पुस्तक घर अन्य राजकीय विद्यालयों में भी स्थापित कराने का प्रयास किया जाएगा।
-सरदार सिंह, डीआईओएस।
जागरण भी बना सहभागी
लोगों का सामाजिक जुड़ाव बढ़ाने, महंगी होती शिक्षा के प्रभाव को कम करने, पेड़ों के कटने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान के प्रति सजगता लाने जैसे बिंदुओं को लेकर दैनिक जागरण ने पुस्तकों की विरासत अभियान चलाया।
इसमें अभिभावकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच विमर्श खड़ा करते हुए आर्य कन्या इंटर कॉलेज और खालसा गर्ल्स कॉलेज में बुक बैंक खुलवाया। सैकड़ों की संख्या में लोग आगे आए। छात्र छात्राओं ने भी पहल की।
उन्होंने अपनी पुरानी किताबों को बुक बैंक या फिर अपने विद्यालय में ही उसे जमा करते हुए संबंधित कक्षा के विद्यार्थियों को उपहार में दिया। अभियान ने छात्र छात्राओं में पर्यावरण के प्रति सजगता भी लाई।
उन्हें समझ में आया कि कापी किताब के बनने की प्रक्रिया में वृक्षों की बड़ी भूमिका है। यदि कागज की बर्बादी रोक दें तो वृक्षों के कटने की रफ्तार पर अंकुश लग सकता है। कुछ स्कूलों में विद्यार्थियों ने शपथ ली कि वे कागज का दुरुपयोग रोकेंगे।